Chandrakanta (Santati) Ka Tilism
Author:
Wagish ShuklaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
कई बार क्लैसिक कृतियाँ भी आलोचनात्मक ध्यान में गहनता से नहीं आतीं, भले उनकी लोकप्रियता व्यापक और असंदिग्ध हो। 'चन्द्रकान्ता’ और 'चन्द्रकान्ता सन्तति’ ऐसे ही क्लैसिक हैं जिन पर आलोचना और अनुसन्धान का ध्यान ख़ासी देर से, लगभग बीसवीं शताब्दी के अन्त पर, गया। गहरे विद्वान् और अनूठे आलोचक वागीश शुक्ल ने इस छोटी-सी पुस्तक में अध्यवसाय और सूक्ष्मता से इन दो कृतियों का विश्लेषण और आकलन किया है। रज़ा फ़ाउंडेशन उनकी 'मनमानी बातों’ को पुस्तकाकार प्रस्तुत करते हुए आश्वस्त है कि अब योग्य विचार और विश्लेषण की शुरुआत हो रही है।
—अशोक वाजपेयी
ISBN: 9789388933858
Pages: 117
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
ऐतिहासिक उपन्यास लेखन पर कोई स्पष्ट राय अब तक नहीं बन सकी है। रोमांस और त्रासदी का अंकन कर उपन्यासकार अपने दायित्व से मुक्त हो जाता है। लेकिन प्रख्यात लेखिका महाश्वेता देवी ‘इतिहास-सृजन’ को अतिरिक्त ज़िम्मेदारी से निभाती हैं। ऐसे लेखन के लिए एक ख़ास प्रवणता, कथा के बजाय देश, काल, पात्र और आचार-व्यवहार की प्रामाणिक जानकारी का होना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा मौजूदा समय की पकड़ भी। महाश्वेता जी में ये सभी विशेषताएँ मौजूद हैं।
पहले उपन्यास ‘झाँसी की रानी’ के बाद ‘जली थी अग्निशिखा’ में पुनः रानी लक्ष्मीबाई केन्द्र में है। महाश्वेता जी का लेखन अपने मिज़ाज और तेवर में नितान्त भिन्न है। बिलकुल नई सूचनाएँ, नया अनुभव और नई भाषा। लोक मुहावरे और ठेठ देशज शब्दों के इस्तेमाल से उन्हें परहेज़ नहीं है, दरअसल उनका आग्रह सामाजिकता के प्रति अधिक रहता है। प्रस्तुत उपन्यास में अंग्रेज़ों और उनके सेनापति ह्यूरोज़ के लिए झाँसी और रानी दोनों पहेली हैं। रानी की ताक़त के सम्मुख अंग्रेज़ सैनिक हताश हैं। ह्यूरोज़ जानना चाहता है कि झाँसी की रानी आख़िर क्या बला है? ग्वालियर शहर (जहाँ उनका डेरा है) से पूरब की तरफ़ धू-धू जल रही अग्नि किन लोगों ने जलाई होगी? सारे द्वन्द्व उसके अन्दर चलते रहते हैं। जब उसे पता चलता है कि रानी अदम्य इच्छाशक्ति, साहस और संघर्ष से लैस शान्त, सभ्य और बुद्धिमान महिला है तो वह अवाक् रह जाता है। उसकी यह धारणा ख़त्म हो जाती है कि भारतीय महिलाएँ अनपढ़, गँवार और फूहड़ होती हैं।
रानी के संघर्ष के बहाने उपन्यास उस समय की जीवन स्थितियों, विडम्बनाओं, विद्रूपताओं तथा अंग्रेज़ों की क्रूरताओं को भी सामने लाता है। इतिहास में रुचि रखनेवालों के लिए एक ज़रूरी किताब।
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