Butkhana
Author:
Nasera SharmaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 180
₹
225
Unavailable
नासिरा शर्मा की कहानियों का यह संग्रह सामाजिक चेतना, मानवीय संवेदना और इंसानी जटिल प्रवृत्तियों की अभिव्यक्ति का दस्तावेज़ है। यह वर्तमान समय की विषमताओं को कहानियों में इस सहजता से पिरोता है कि इंसानी रिश्तों की ललक पात्रों में बाक़ी ही नहीं रहती, बल्कि टूटते रिश्तों और बदलते मानवीय सरोकारों की कचोट पाठकों को गहरी तपकन का एहसास देती है।
ISBN: 9788180313462
Pages: 169
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
‘ज़िन्दगी और जोंक’, ‘देश के लोग’ और ‘मौत का नगर’ के बाद ‘मित्र-मिलन तथा अन्य कहानियाँ’ अमरकान्त की नई कहानियों का संकलन है। ये कहानियाँ न केवल इतिहास की विसंगतियों और असफलताओं पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त करती हैं, बल्कि यथा-स्थितिवाद का कोहरा हटाकर हमारे दृष्टिकोण को बदलती हैं, और हमें मनुष्य के अधिक निकट ले जाती हैं। इन कहानियों में बदलाव की व्याकुलता है, प्रगतिशील जीवन-दृष्टि के प्रति आस्था है।
अमरकान्त भारतीय निम्न मध्यवर्गीय मनुष्य की भावनाओं को जितना समझते हैं, उतना ही उसके अन्तर्विरोधों पर व्यंग्य करते हैं। ‘फ़र्क़’ हो या ‘शक्तिशाली मैत्री’ हो या ‘मित्र-मिलन' वास्तविकता का इतना आत्मीय अंकन अन्यत्र दुर्लभ है। विश्वनाथ त्रिपाठी का यह कथन सार्थक है कि अमरकान्त का रचना-संसार महान रचनाकारों के रचना-संसारों जैसा विश्वसनीय है। उस विश्वसनीयता का कारण है स्थितियों का अचूक चित्रण जिससे व्यंग्य और मार्मिकता का जन्म होता है। वास्तव में प्रेमचन्द के बाद जीवन की इतनी गहरी पकड़ अमरकान्त में ही मिलती है।
Adab Mein Baaeen Pasli : Bhartiyetar Urdu Kahaniyan : Vol. 6
- Author Name:
Nasira Sharma
- Book Type:

-
Description:
उर्दू वाले कहानियों को सीमा में नहीं बाँधते हैं, वह हर उस कहानी को उर्दू की समझते हैं जो उर्दू में लिखी गई हो, चाहे लेखक कहीं का हो। हिन्दुस्तान-पाकिस्तान में रहनेवाले, और बाहर के मुल्कों में बसनेवाले उर्दू अदीब जिनकी मूल धरती हिन्दुस्तान रही है चाहे उन्होंने विश्व के किसी कोने में बैठकर कहानी लिखी हो, यहाँ तक कि पाकिस्तानी भी
जहाँ का हर बड़ा कहानीकार आज के भारत में पैदा हुआ था और कल के भारत के हिस्से में बैठकर लिख रहा है। इनकी जड़ें हिन्दुस्तान में गहरे धँसी हुई हैं।
इन कहानियों में ‘अपनी ज़मीन की हुड़क’ तो है और इसीलिए इन कहानियों में छोड़े हुए वतन की यादें घुमड़ती नज़र आती हैं। इसके बावजूद अब वहाँ जिस तरह की ज़िन्दगी वह गुज़ार रहे हैं, यदि उनसे पूछा जाए कि वह भारत या पाकिस्तान लौटना चाहेंगे तो वह शायद इनकार कर दें, जबकि वहाँ सभी लेखक लगभग दो बार या इससे भी ज़्यादा एक जगह से दूसरी जगह जा चुके हैं। पहली महाजरत, सियासत के चलते बँटवारे के कारण भारत से पाकिस्तान की ओर कूच के रूप में, दूसरे आर्थिक कारणों से पाकिस्तान से अन्य देशों की ओर, फिर एक देश से दूसरे देश में रोज़ी-रोटी की तलाश में भटकन। जब पैरों के नीचे ठोस ज़मीन आई और संघर्ष से राहत मिली तो अपनों की याद आई।
कुछ लेखकों को छोड़कर बाक़ी लेखकों की कहानियाँ हिन्दी में पहली बार इस संकलन में
छप रही हैं।
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