
Criminal Race
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
164
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
328 mins
Book Description
हिन्दी पट्टी के टोन और टेंपरामेंट, अंडरटोंस एवं अंडरकरेंट्स को न तो दूर रहकर 'आह-वाह' के भाववादी नज़रिए से जाना जा सकता है, न ही नज़दीक रहकर आग्रही नज़र से। वर्ग, वर्ण, लिंग, जाति-उपजाति, परम्परा और परिवेश एवं धर्म और राजनीति के मकड़जाल में उलझे आदमी के मर्म तक पहुँचना आज के सही रचनाकार का दायित्व है। मनुष्य की प्रकृति-नियति, उसकी कमज़ोरियाँ और उसकी ताक़त, उसके ज़हर और उसके अमृत से जूझते-सीझते हेमन्त के कथाकार ने कितनी वयस्कता अर्जित कर ली है, इसका साक्ष्य हैं ‘क्रिमिनल रेस’ की कहानियाँ। यहाँ हेमन्त न सिर्फ़ अपने कई समकालीनों को अतिक्रमित करते हैं, बल्कि ख़ुद अपने ‘पिछले हेमन्त’ को भी...। विज्ञान का बीज शब्द है—‘क्यों?’ ‘ऐसा क्यों?’ ‘ऐसा ही क्यों?’ हेमन्त का बीज शब्द है’—फंशय।' इतने चिकने-चुपड़े चेहरे, संवाद और आचरण—‘आख़िर मंशा क्या है?’, ‘हासिल क्या होगा?’ यह संशय कभी सम्पूर्ण कथा में प्रच्छन्न भाव से व्याप्त है (क्रिमिनल रेस), कभी अन्दर से बाहर फैलता हुआ (धक्का)! कभी देश की आदिम शौर्य परम्परा बनकर ग़ुलाम बनानेवाली गलीज औपनिवेशिक शक्तियों से लेकर आज के मल्टीनेशनल्स के ऐटीट्यूड्स को सूँघता-झपटता है (ओवरकोट) तो कभी औरतों के तन-मन के साथ धन पर भी क़ाबिज़ होने की पुरुष-चाल पर सवाल उठाता है (लाश-तलाश) तो कभी सभ्यता के उषा-काल और मिथकीय कुहासों से लेकर वर्तमान के तपते द्विप्रहर तक को खँगालते हुए प्रश्नवाचक बन बैठता है कि जीवन के महाभारत में औरत के प्रति यदि कौरवों और पांडवों का रवैया एक-सा है तो ऐसा युद्ध से क्या बदल जाएगा और अगर युद्ध होता ही है तो स्त्रियाँ युद्ध में शामिल क्यों नहीं होंगी। अन्तत: ‘क्रिमिनल रेस’ के केन्द्र दिल्ली की आपराधिकी की भूल-भुलैया में भटककर मासूम देशवासी को रास्तों और गंतव्य तक पर संशय होने लगता है—मैं कहाँ हूँ? (सुबह का भूला)।</p> <p>संघर्ष और जन आन्दोलनों की आग में जीकर रची हुई अपनी नफ़ीस भाषा-शैली की हेमन्त की कहानियाँ अपने पाठकों को किसी आनन्द वन या नक़ली उसाँसों के मरुस्थल में नहीं ले जातीं बल्कि धसकते धरातलों, गिरते आसमानों और हरहराते तूफ़ानों की क्राइसिस के सम्मुख ला खड़ा करती हैं—तुम यहाँ हो और तुम्हारी मंज़िल यहाँ।</p> <p>—संजीव