Bhartiya Rangmanch Ki Mahila Prampra
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
128
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
256 mins
Book Description
मानवीय सृजनशीलता की उत्कृष्टतम उपलब्धियों को सूचित करने वाली भारतीय रंगमंच की गरिमामयी परम्परा अति प्राचीन एवं अत्यंत समृद्ध रही है। प्राचीन काल से ही भारत में रंगमंचीय कलाओं का किसी न किसी रूप में प्रचार अवश्य होता रहा है, जो निरंतर विकास की दिशा में अग्रसर होते हुए समय-समय पर अपना परिष्कार करता रहा है। इस बात में कोई सन्देह नहीं है कि भारत में प्राचीन काल से ही स्त्रियाँ रंगकर्म से अवश्य जुड़ी रही थीं। किन्तु हमारे रंगमंचीय अतीत एवं वर्तमान में महिलाओं की जो भूमिका रही है उसको विवेचित-विश्लेषित करना व इतिहासबद्ध तरीके से अंकित करने का कार्य तथाकथित रंगमंचीय इतिहासकारों व अध्येताओं ने नहीं के बराबर ही किया है। चाहे नाट्य-कृतियों का साहित्यिक इतिहास हो अथवा नाट्य-प्रदर्शन का रंगमंचीय इतिहास, महिला कलाकारों के योगदान को प्रायः हाशिए पर डाल दिया गया दिखाई देता है।