Hindi Dalit Sahitya Sanchayita

Hindi Dalit Sahitya Sanchayita

Authors(s):

Preeti Sagar

Language:

Hindi

Pages:

424

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

848 mins

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Book Description

सवर्णवाद के सामाजिक-सांस्कृतिक वर्चस्व को चुनौती देनेवाले दलित साहित्य का आधार आधुनिक संवैधानिक मूल्य, मानव की सार्वभौमिक समानता और प्रजातंत्र में विश्वास है, और प्रेरणा का स्रोत उस अनन्त पीड़ा में है जो इस देश की दलित जातियों ने सदियों-सदियों अकारण और बिना कोई प्रतिरोध किए सही है। सन् 1914 में ‘सरस्वती’ में प्रकाशित हीरा डोम की कविता ‘अछूत की शिकायत’ से आरम्भ मानी जानेवाली दलित साहित्य की यात्रा अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी के सामाजिक-राजनीतिक अदालतों और आज़ादी के बाद संविधान से मिले नए स्पेस से होती हुई आज एक स्थापित धारा का रूप ले चुकी है। मात्र प्रतिरोध और आक्रोश की कलाहीन अभिव्यक्ति के आरोपों को झुठलाते हुए अपनी रचनात्मकता को उसने एक भिन्न सौन्दर्यशास्त्रीय ज़मीन भी दी है।</p> <p>प्रस्तुत संचयिता पिछली पूरी शताब्दी की दलित मनीषा के प्रमुख पड़ावों को संकलित करने का हिन्दी में सम्भवतः पहला सर्वांगीण प्रयास है। विद्रोह की तीव्र आकांक्षा को बेलाग स्वर में वाणी देनेवाली कविता, दलित जन के संघर्ष को गहराई से रेखांकित करनेवाली कहानी, दलित जीवन के अन्तर्बाह्य रेशों की व्याख्या करनेवाले उपन्यासों की स्वानुभूत पीड़ा की प्रामाणिक अभिव्यक्ति, आत्मकथा और अपनी पहचान के लिए लड़ रही रचना को ठोस वैचारिक आधार प्रदान करनेवाली आलोचना, सभी विधाओं का सम्यक् प्रतिनिधित्व इसमें हुआ है। उद्देश्य यही है कि दलित साहित्य के पाठकों, अध्येताओं और छात्रों को पीड़ा और प्रतिकार से उपजी सन्दर्भमूलक रचनाएँ एक जिल्द में उपलब्ध हो सकें; और दलित साहित्य का मूल स्वर कुछ प्रमुख रचनाओं के माध्यम से सामने लाया जाए।</p> <p>संचयिता में उनतीस कवियों की कविताएँ, तेरह कहानियाँ, सात महत्त्वपूर्ण उपन्यास-अंश, छह आत्मकथा-अंश और आठ आलोचनात्मक आलेख शामिल हैं।

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