
Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Varanasi
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
272
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
544 mins
Book Description
वाराणसी जनपद शुरू से ही आंदोलनों की पहली पंक्ति में रहता आया है। विद्या और नवचेतना का केंद्र होने के कारण यह नगर शुरू से ही देश के बुद्धिजीवियों का नेतृत्व करता रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन में भी उसने यह चुनौती स्वीकार की और इस नगर ने कई महत्त्वपूर्ण नेता और कार्यकर्ता स्वतंत्रता आंदोलन को दिए। गांधी जी का अहिंसक आंदोलन हो या क्रांतिकारियों का हिंसक आंदोलन सभी जगह काशी के कार्यकर्ताओं का वर्चस्व था।</p> <p>ब्रिटिश शासन के विरुद्ध पहला मोहभंग काशी में ही उजागर हुआ जब काशिराज महाराज चेतसिंह ने ब्रिटिश गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स की जोर-जबरदस्ती के सामने नतमस्तक होने से इनकार कर दिया। इसी कड़ी में अठारह वर्ष बाद काशी राज के दीवान बाबू जगतसिंह ने अवध के निष्कासित नवाब वजीर अली का समर्थन किया और उन्हें कालापानी की सजा भोगनी पड़ी।</p> <p>हिंदी आंदोलन, स्वदेशी की चेतना और देश का धन विदेश चले जाने की बेचैनी, भारतेंदु हरिश्चंद्र के चिंतन की मूल पीठिका है। इस लड़ाई में वे आधुनिक साधनों से लड़ने के लिए कटिबद्ध हुए। उनका मन और भाषाबोध मध्ययुगीन था, लेकिन चिंतन आधुनिक था। वे उस समय की भारतीय नवचेतना के प्रतीक थे जो एक नई शताब्दी में प्रवेश कर रही थी।</p> <p>वर्तमान पुस्तक काशी और वाराणसी को एक नए दृष्टिबोध के साथ समझने का एक प्रयास है।