
Gandhi Aur Unke 'Satyagrah' Ki Yatra
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
187
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
374 mins
Book Description
जब तक मानव सभ्यता का अस्तित्व है तब तक गाँधी की प्रासंगिकता बनी रहेगी, क्योंकि गाँधी ने मानवता के साथ मानव सभ्यता के मौलिक मूल्यों और मानवता के आदर्शों, प्रतिमानों पर ही अपना दर्शन आधारित किया और उसे क्रियान्वित करते हुए अपना जीवन भी जी कर दिखा दिया। जब तक विश्व में युद्ध और युद्धपरक परिस्थितियाँ बनी रहेंगी, मानव-समाज और विश्व में उनके दर्शन का महत्त्व सदैव बना रहेगा। गाँधी मानवता, शान्ति, शान्तिपूर्ण अस्तित्व के साथ विकास के समर्थक थे और सत्य शाश्वत मूल्य अधारित हो अर्थात् सृष्टि, विश्व और समाज के मध्य भी सामंजस्य, सन्तुलन और सहभाग का भाव स्थायी हो, इसके इच्छुक थे। इसलिए किसी एक आयाम को लेकर गाँधी को समझने के लिए अध्ययन करना ख़तरा मोल लेना ही है। उनके व्यक्तित्व के समस्त आयामों के बिना उनका समावेशी अध्ययन सम्भव नहीं है। अत: गाँधी जी का हर अध्ययन उनकी जीवन-यात्रा का ही अध्ययन हो जाता है और इसलिए उन 'संस्कारों' और उनके व्यक्तित्व के मनोवैज्ञानिक विकास को भी विश्लेषित करना पड़ेगा तब हम उनको एवं उनके विचारों को समझ सकेंगे। बिना वांग्मय के अध्ययन के किसी लेखक, विचारक, ऐतिहासिक व्यक्तित्व को पूर्णता में समझा ही नहीं जा सकता। अत: गाँधी के 'सत्याग्रह' की यात्रा भी उनकी जीवन-यात्रा ही हो जाती है।