Viparyast

Viparyast

Authors(s):

Samresh Basu

Language:

Hindi

Pages:

168

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

336 mins

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Book Description

शहरी जीवन के हाशियों और क़स्बों की निम्नवित्तीय कथाओं के चर्चित बांग्ला लेखक समरेश बसु का यह उपन्यास परम्परागत पारिवारिक ज़िन्दगी के अन्तर्विरोधों<strong>, </strong>बेरोज़गारी<strong>, </strong>प्रेम और उसमें दख़ल देती व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षाओं की कहानी है।</p> <p>अपने बहुविध-बहुरंगी निजी अनुभवों का उपयोग करके अनेक कहानियों को निराशा<strong>, </strong>जिजीविषा और करुणा के प्रामाणिक दस्तावेज़ बना देने की लेखक की क्षमता इस उपन्यास में भी साफ़ दिखाई देती है। यह कुछ बांग्ला कथा-शैली का कमाल है और कुछ स्वयं समरेश बसु की संवेदना का कि जीवन यहाँ अपनी पूरी सघनता के साथ जस का तस चित्रित हेाता लगता है। परिस्थितियों से त्रस्त कथानायक का यह बयान उन तमाम विडम्बनाओं पर एक साथ रोशनी डालता है<strong>, </strong>जो उसने सही है—‘लोग-बाग उँगलियों पर गिनकर बता देते हैं कि दुनिया में कौन-कौन से आश्चर्य हैं। मेरे पिताजी को किस नम्बर पर रखा जाएगा<strong>, </strong>यही जानने की ख़्वाहिश मुझे हुई थी।...बसीरहाट के नाना की सम्पत्ति अपने नाम लिखा लेना<strong>,</strong> पुन: गृहत्याग<strong>, </strong>फिर लौटकर आना। पता नहीं अब भी उन्हें कोई बड़ा कारनामा करके दिखाना है या नहीं।’</p> <p>खुकु यानी जोछना यानी ज्योत्‍स्ना को पाकर उसके जख़्म कुछ देर को भरते हैं। लेकिन वह भी हमेशा के लिए नहीं हो पाया। सत्तर के दशक में जब देश राजनीतिक उठापटक का सामना कर रहा था<strong>, </strong>युवा पीढ़ी भी अलग-अलग दिशाओं में बदल रही थी। खुकु को भी अपनी इच्छाओं को अभिव्यक्त करना था<strong>,</strong> जिसका नतीजा भीषण अलगाव में हुआ।</p> <p>बेरोक-टोक अगर कुछ जारी रहा तो नियति का दुष्चक्र।

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