Bahattar Meel
Author:
Ashok VatkarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
72 मील उपन्यास में लेखक के बचपन की, सातारा से कोल्हापुर तक की तीन दिनों की यात्रा का वर्णन है। यह लेखक के बालमन पर अंकित होनेवाले जीवन के हृदयविदारक अनुभवों की दास्तान है जो इसे इस यात्रा के दौरान हुए। इन तीन में लेखक के मन पर अमिट चिह्न पड़ते हैं, उनका यह जीवंत चित्रण हमें स्तब्ध कर देता है।
तीन दिनों के प्रवास में राधाक्का के साथ जो कुछ घटता है उसमें इस क्षणभंगुर जीवन की सच्चाई सामने आ जाती है। अपनी इस यात्रा में राधाक्का अपने छह बच्चों में से तीन की अकाल मृत्यु के दारुण दुख को चुपचाप सहन करती है। उसकी आशा की किरण राणू जब साँप के डस लेने से प्राण त्याग देता है तब तो राधाक्का का दुख पराकाष्ठा पर जा पहुँचता है।
अपने भूखे-प्यासे बच्चों की खातिर मुट्ठी-भर सेव के लिए उसे अपनी अस्मत त्यागनी पड़ती है, उसका क्या वर्णन किया जाए? यह उपन्यास पाठकों को अन्दर तक झकझोर देता है। जो घटनाएँ घटित होती हैं, उनसे हम भी सन्न रह जाते हैं। राधाक्का के जीवन-संघर्ष और उसकी मार्मिक दास्तान को पाठक लम्बे समय तक नहीं भूल पाएँगे।
ISBN: 9788119989508
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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यह किताब कैंसर की अँधेरी लड़ाई में एक रोशनी की तरह है (कमरे की खिड़की पर बैठे गंदे कौवे की तुलना अपने एकदम साफ़, बिना बालों के सर से करना), एक कैंसर के मरीज़ के लिए कौन सा गिफ़्ट उपयोगी है ऐसी सलाह देना (जैसे रसदार मछली भात के साथ कुछ उतनी ही स्वादिष्ट कहानियाँ एक अच्छा उपहार हो सकती हैं), साथ ही एक कैंसर मरीज़ का मन कितनी दूर तक भटकता है (जैसलमेर रोड ट्रिप और गंडोला–एक तरह के पारम्परिक नाव–में बैठ इटली के ख़ूबसूरत, पानी में तैरते हुए, शहर वेनिस की सैर)।
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Ve Bhi Din The
- Author Name:
Shivnath
- Book Type:

- Description: ‘वे भी दिन थे’ शिवनाथ जी की आत्मकथात्मक डोगरी पुस्तक 'ओह बी दिन हे' का अनुवाद है। शिवनाथ बतौर व्यक्ति और लेखक, ऐसी शख़्सियत थे, जिनकी दृष्टि सूक्ष्म और सुदूर दोनों बिन्दुओं पर समान एकाग्रता से रहती थी। इस पुस्तक में उन्होंने 1950 में भारतीय डाक सेवा ज्वाइन करने के बाद से अपने संस्मरण, अनुवाद और विचार अंकित किए हैं। उनके विवरण की विशेषता यह है कि जहाँ-जहाँ वे रहे, उस शहर के वातावरण, साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों और महत्त्वपूर्ण स्थलों को उन्होंने गहरी नज़र से देखा, जिसका वर्णन भी वे इस पुस्तक में देते हैं। साथ ही डाक विभाग की कार्य-प्रक्रिया, संचार के इस देश-व्यापी संजाल की दिक़्क़तों और सम्भावनाओं की भी जानकारी देते चलते हैं। वे जिज्ञासु, ज्ञान-पिपासु और सेवा-भावी व्यक्ति थे। कर्तव्यनिष्ठा को उनके व्यक्तित्व से एक नया ही अर्थ मिलता था, जिसकी झलक हमें इस पुस्तक में भी मिलती है। कुछ स्थानों और व्यक्तियों का विवरण देखते ही बनता है। पुस्तक में डैनिश साधु शून्यता से उनकी पहली मुलाक़ात का वर्णन भी है। उनकी मैत्री 1952 से शुरू होकर 1982 तक चली। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने उनके पत्रों पर केन्द्रित एक पुस्तक 'शून्यता' का सृजन भी किया। डोगरी को स्वतंत्र भाषा के रूप में मान्यता दिलाने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई, इसका ज़िक्र भी उन्होंने विस्तार से किया है। “हिन्दी में आत्मकथाएँ और जीवनियाँ कम ही हैं। लेखकों की आत्मकथाएँ तो और भी बहुत कम, लगभग गिनती की। शिवनाथ डोगरी के एक बड़े लेखक होने के अलावा सिविल सेवक भी थे। उनकी यह आत्मकथा उनके निरभिमानी व्यक्तित्व, लम्बे सार्वजनिक जीवन, उसके उतार-चढ़ावों और लेखकीय संघर्ष की, बिना किसी नाटकीयता के, तथा कथा है। हमें उसे प्रस्तुत करते हुए प्रसन्नता है।" —अशोक वाजपेयी
The Diary of a Young Girl
- Author Name:
Anne Frank
- Book Type:

- Description: Discovered in the attic in which she spent the last years of her life, Anne Frank's remarkable diary has since become a world classic—a powerful reminder of the horrors of war and an eloquent testament to the human spirit. The Diary is a lot of things all at once. It is an amusing, enlightening, and often moving account of the process of adolescence, as Anne describes her thoughts and feelings about herself and the people around her, the world at large, and life in general. It is an accurate record of the way a young girl grows up and matures, in the very special circumstances in which Anne found herself throughout the two years during which she was in hiding. And it is also a vividly terrifying description of what it was like to be a Jew — and in hiding— at a time when the Nazis sought to kill all the Jews of Europe.
Getting Dressed And Parking Cars
- Author Name:
Alok Kejriwal
- Book Type:

- Description: Getting Dressed and Parking Cars captures the minute-to-minute, event-by-event, nail-biting business adventure of Alok Kejriwal’s fourth entrepreneurial venture—Games2win. The Walt Disney Company acquired Alok’s previous company. Games2win has been creating car parking and dress-up games online with the aim of becoming India’s most successful casual gaming start-up in the global market. Each chapter in this book captures Alok’s real-life experience of building, scaling and routinely failing in his venture. The book throbs with adrenaline as Alok thrills readers with stories of his website traffic vanishing in thin air, his games getting stolen, his arrest and his partner’s amazing creation of ‘invisible’ ads. Getting Dressed and Parking Cars is not a book glorifying a successful start-up but a journey of business adventures that celebrates the spirit of ‘starting something’. Think of it as a playbook for professionals and entrepreneurs to create something new . . .
Sangharsh Ki Virasat Aung San Suu Kyi
- Author Name:
Shashidhar Khan
- Book Type:

- Description: "म्याँमार में लोकतंत्र बहाली के लिए अथक संघर्ष करनेवाली आंग सान सू की म्याँमार में ही नहीं बल्कि विश्व भर में लोकप्रिय व चर्चित हैं। वर्ष 1991 में जेल में रहते हुए ‘नोबेल शांति पुरस्कार’ समेत विश्व के लगभग सभी प्रमुख पुरस्कार प्राप्त कर चुकी सू की ने बचपन से लेकर 66 वर्ष की उम्र प्रतिकूल परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए गुजारी है। आज उन्होंने म्याँमार को इस स्थिति में ला दिया है कि सैनिक शासक लोकतंत्र बहाली के उपाय धीरे-धीरे अपनाने को विवश है। म्याँमार के राष्ट्रपिता आंग सान का नाम लोग आज सू की के माध्यम से जानते हैं; लेकिन सू की ने सही मायने में राष्ट्रपुत्री बनकर गौरव प्राप्त किया है। सू की के पिता देश को आजाद कराने और आजादी मिलने के बाद हुए आंतरिक संघर्ष से जूझे, जिनमें उन्हें अपनी जान तक गँवानी पड़ी। लेकिन सू की ने घृणा का जवाब प्रेम से और गोली का जवाब बोली से देकर सैनिक शासकों को इस स्थिति में ला दिया कि वे इस अद्भुत जीवटवाली आदर्श महिला के जज्बे के आगे झुकने को विवश हो गए। सन् 1980 के दशक से सू की ने लोकतंत्र बहाली हेतु किए जा रहे संघर्ष की कमान थाम रखी है। आज दुनिया भर के देशों के लिए वे शांतिपूर्ण संघर्ष और लोकतंत्र समर्थकों की प्रेरणास्रोत बन गई हैं। "
Zamane Mein Hum
- Author Name:
Nirmala Jain
- Book Type:

- Description: सुपरिचित आलोचक निर्मला जैन ने दिल्ली : शहर-दर-शहर जैसे सुपठ संस्मरणात्मक कृति से यह स्पष्ट संकेत दे दिया था कि न तो उनका जीवन एकरेखीय है, न उनकी भाषा और रचनात्मकता का मिज़ाज केवल आलोचनात्मक है। ‘ज़माने में हम’ नामक उनकी यह आत्मकथात्मक कृति उन संकेतों को सच साबित करती है। ‘ज़माने में हम’ को निर्मला जी ने आत्मवृत्त कहा है। उन्होंने आठ दशक पीछे छूट गई ज़िन्दगी को पलटकर यों देखा है कि निजी यादें न केवल उनके रचनात्मक जीवन के इतिहास की निर्मिति का तत्त्व बन गई हैं, बल्कि हिन्दी के लोकवृत्त के निर्माण में भी सहायक साबित होनेवाली हैं। हालाँकि यह उनके लिए जोखिम-भरा कार्य ही रहा होगा। क्योंकि उनके जीवन में अनेक रेखाएँ एक-दूसरे के समानान्तर—परस्पर टकराती, एक-दूसरे को काटती, उलझती-सुलझती हुई हैं। उनकी संश्लिष्ट बुनावट को तरतीबवार दर्ज करना निःसन्देह दुरूह रहा होगा। शायद इसीलिए वे अपनी आत्मकथा को ‘आधे-अधूरे सत्य से ज़्यादा कुछ’ होने का दावा नहीं करतीं। उनके मुताबिक यह स्थितियों और घटनाओं के पारावार का उनका अपना पाठ है। वे खुले मन से मानती हैं कि “...जो व्यक्ति उनमें साझीदार रहे हैं, जिन्होंने बराबर से मित्र या शत्रु या तटस्थ भाव से उनमें साझीदारी की है, सत्य का दूसरा सिरा तो उनके हाथ में है।” और यह इस आत्मकथा की बहुत बड़ी विशेषता है कि इसमें लेखिका स्वयं को बिलकुल निष्कवच भाव से प्रस्तुत करती हैं। स्तब्धकारी साफ़गोई से लबरेज़ इस कृति में ऐसी लोकतांत्रिकता इस बात का सुबूत है कि इसमें जीवन-सत्य का उद्घाटन ही मूल उद्देश्य है। दरअसल जीवट और उम्मीद के अन्तर्गुम्फित सत्य से संचालित जीवन की यह अविस्मरणीय कथा जीवन की रणनीति का पाठ भी है। मनुष्य की अपराजेयता में विश्वास जगानेवाली एक प्रेरक कृति है ‘ज़माने में हम’।
Bhupen Khakhkhar : Ek Antrang Sansmaran
- Author Name:
Sudhir Chandra
- Book Type:

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Description:
भूपेन पर पहली किताब महेन्द्र देसाई ने लिखी। गाढ़े दोस्त थे भूपेन और महेन्द्र। लिखनेवाला हो महेन्द्र जैसा औघड़, और लिखा जा रहा हो भूपेन जैसे खिलन्दड़े और उसकी कला पर तो किताब असामान्य होनी ही थी। हुई। विलक्षण, मस्त, अपने विषय की आत्मा में प्रवेश करने को आतुर और, उसी कारण, अपनी विश्वसनीयता के प्रति लापरवाह। अकारण नहीं कि इससे बिलकुल उलट संवेदना से लैस अँग्रेज़ टिमथी हाइमन ने महेन्द्र की किताब से बहुत कुछ पाने के बावजूद महेन्द्र के वर्णन को 'गार्बल्ड’ कहा। काश! मैं भी देखने, सोचने और लिखने में महेन्द्र जैसा दुस्साहस बरत पाता।
भूपेन पर दूसरी किताब है इन्हीं टिमथी हाइमन की। ब्रिटिश कलाकार, कला मर्मज्ञ और भूपेन के परम मित्र। एक पारखी की पैनी नज़र है टिमथी की किताब में। ऐसी किताब भी नहीं लिख पाऊँगा मैं।
फिर भी लिख रहा हूँ। महेन्द्र जैसा फक्कड़ी सृजनशील न सही, दुस्साहस तो है ही मेरे इस प्रयास में। दोषी दरअसल भूपेन है। अपने जीते जी देश और विदेश में होनेवाली अपनी प्रदर्शनियों के आधे दर्जन ब्रोशर मुझसे लिखवाकर बगैर कुछ कहे समझा गया कि मण्डन मिश्र के तोता-मैना शास्त्रार्थ कर सकते थे तो मैं अपने दोस्त के अन्तरंग संस्मरण तो लिख ही सकता हूँ।
23 साल की निरन्तर गहराती दोस्ती रही भूपेन के साथ। अनेक रूप देखे उसके। उन सब के बेबाक विवरण हैं यहाँ। वह भी है जो इस किताब को लिखने के दौरान जाना : कि भूपेन नितान्त विलक्षण लेखक है और उसके साहित्य के साथ न्याय नहीं हुआ है। —इसी पुस्तक से
Bhimrao Ambedkar : Ek Jeevani
- Author Name:
Christophe Jaffrelot
- Book Type:

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Description:
भीमराव आंबेडकर हिन्दुओं में पहले दलित या निम्न जाति नेता थे जिन्होंने पश्चिम जाकर पीएच-डी. जैसे सर्वोच्च स्तर तक की औपचारिक शिक्षा हासिल की थी। अपनी इस अभूतपूर्व उपलब्धि के बावजूद वह अपनी जड़ों से जुड़े रहे और तमाम उम्र दलित अधिकारों के लिए लड़ते रहे। भारत के सबसे प्रखर और अग्रणी दलित नेता के रूप में आंबेडकर का स्थान निर्विवाद है। निम्न जातियों को एक अलग औपचारिक और क़ानूनी पहचान दिलाने के लिए आंबेडकर सालों तक भारत के सवर्ण हिन्दू वर्चस्व वाले समूचे राजनीतिक प्रतिष्ठान से अकेले लोहा लेते रहे। स्वतंत्र भारत की पहली केन्द्र सरकार में आंबेडकर को क़ानून मंत्री और संविधान का प्रारूप तैयार करनेवाली समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। इन पदों पर रहते हुए उन्हें भारतीय राजनय पर गांधीवादी प्रभावों पर अंकुश लगाने में उल्लेखनीय सफलता मिली।
क्रिस्तोफ़ जाफ़्रलो ने उनके जीवन को समझने के लिए तीन सबसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला है : एक समाज वैज्ञानिक के रूप में आंबेडकर; एक राजनेता और राजनीतिज्ञ के रूप में आंबेडकर; तथा सवर्ण हिन्दुत्व के विरोधी एवं बौद्धधर्म के एक अनुयायी व प्रचारक के रूप मे आंबेडकर।
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