Kabra Bhi Quaid Aur Janjeeren Bhi

Kabra Bhi Quaid Aur Janjeeren Bhi

Authors(s):

Alpana Mishra

Language:

Hindi

Pages:

120

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

240 mins

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Book Description

अल्पना मिश्र हिन्दी कहानी के सूची-समाज में अनिवार्य रूप से शामिल नहीं हैं लेकिन वे उसकी सबसे मज़बूत परम्परा का एक विद्रोही और दमकता हुआ नाम हैं। उन्हें उखड़े और बाज़ार-प्रिय लोगों द्वारा सूचीबद्ध नहीं किया जा सका। कहानी का यह धीमा सितारा मिटनेवाला, धुँधला होनेवाला नहीं है, निश्चय ही यह स्थायी दूरियों तक जाएगा।</p> <p>अल्पना मिश्र की कहानियों में अधूरे, तकलीफ़देह, बेचैन, खंडित और संघर्ष करते मानव जीवन के बहुसंख्यक चित्र हैं। वे अपनी कहानियों के लिए, बहुत दूर नहीं जातीं, निकटवर्ती दुनिया में रहती हैं। आज पाठक और कथाकार के बीच की दूरी कुछ अधिक ही बढ़ती जा रही है, अल्पना मिश्र की कहानियों में यह दूरी नहीं मिलेगी। आज बहुतेरे नए कहानीकार प्रतिभाशाली तो हैं पर कहानी तत्त्व उनका दुर्बल है, वे अपनी निकटस्थ, खलबलाती, उजड़ती, दुनिया को छोड़कर नए और आकर्षक भूमंडल में जा रहे हैं। इस नज़रिए से देखें तो अल्पना मिश्र उड़ती नहीं हैं, वे प्रचलित के साथ नहीं हैं, वे ढूँढ़ती हुई, खोजती हुई, धीमे-धीमे उँगली पकड़कर लोगों यानी अपने पाठकों के साथ चलती हैं।</p> <p>‘ग़ैर-हाज़िरी में हाज़िर’, ‘गुमशुदा’, ‘रहगुज़र की पोटली’, ‘महबूब ज़माना और ज़माने में वे’, ‘सड़क मुस्तक़िल’, ‘उनकी व्यस्तता’, ‘मेरे हमदम मेरे दोस्त’, ‘पुष्पक विमान’ और ‘ऐ अहिल्या’ कहानियाँ इस संग्रह में हैं। इन सभी में किसी-न-किसी प्रकार के हादसे हैं। भूस्खलन, पलायन, छद्म आधुनिकता, जुल्म, दहेज हत्याएँ, स्त्री-शोषण से जुड़ी घटनाएँ अल्पना मिश्र की कहानियों के केन्द्र में हैं। इन सभी कहानियों में लेखिका की तरफ़दारी और आग्रह तीखे और स्पष्ट हैं। वे अत्याधुनिक अदाओं और स्थापत्य के लिए विकल नहीं हैं। उनकी कहानियाँ आलंकारिक नहीं हैं, वे उत्पीड़न के ख़िलाफ़ मानवीय आन्दोलन का पक्ष रखती हैं और इस तरह सामाजिक कायरता से हमें मुक्त कराने का रचनात्मक प्रयास करती हैं। मुझे इस तरह की कहानियाँ प्रिय हैं।</p> <p>—ज्ञानरंजन

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