Shabdon Ka Khakrob

Shabdon Ka Khakrob

Authors(s):

Raju Sharma

Language:

Hindi

Pages:

177

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

354 mins

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Book Description

यह पहला प्रकाशित संकलन है राजू शर्मा की कहानियों का। इसमें जो कहानियाँ<br />संगृहीत हैं, वे एक लम्बे समयान्तर के बीच लिखी गई हैं। मसलन ‘चिट्ठी के मार्फ़त’ और ‘मुक़दमा’<br />अस्सी के मध्य की कहानियाँ हैं। इसके बाद ‘रिवर्स स्वीप’, ‘कूड़े का ढेर&amp;#39; और ‘मोटी बातें&amp;#39; 1993 के<br />आसपास की हैं। लम्बी कहानी ‘शब्दों का ख़ाकरोब’ 1995 के बाद की कहानी है और तभी के समय<br />को रेखांकित करती है।<br />लगभग सभी कहानियाँ एक विशेष ढंग से अपने समय और समस्या का अंकन और आकलन करती<br />हैं। कहानियों का ज़ोर उन सामाजिक और आर्थिक संरचनाओं पर है जो इंसान की मजबूरी, उसकी<br />स्वायत्तता का सिकुड़ता दायरा और उसकी देर-सवेर की विकृतियों और विषमताओं को जन्म देती हैं।<br />और उसे एक अजनबी पहचान प्रदान करती हैं। ‘मोटी बातें’ का लगातार फूलता मन्नीलाल और ‘रिवर्स<br />स्वीप’ के उलटी दृष्टि प्राप्त ओझा जी ऐसे दो उदाहरण हैं।<br />‘शब्दों का ख़ाकरोब’ एक लम्बी, पूर्णत: राजनैतिक व नायाब कहानी है। यह एक रचनात्मक रूपक की<br />तरह उद्‌घाटित होता एक घटना-निबन्ध है। वर्तमान बल्कि ताज़ा राजनीति के नाटकीय मोड़, साझा<br />राजनीति के नए अनुभव, राजनीति की अनिवार्यता व उसकी मजबूरी, राजनैतिक दुराचरण की<br />अभिशप्तता व उसके गहरे, दूसरे अर्थ—इस तरह के बहुत से सवालों, भव्यताओं, अजूबियत व<br />चमत्कारी प्रभावों को समेकित करती है यह लम्बी कहानी। यह एक ऐसी कृति है जो राजनीति की<br />आन्तरिक जटिलता को बड़ी सूक्ष्मता से पकड़ती है।<br />इस संग्रह की हर कहानी सामाजिक यथार्थ का कोई न कोई पक्ष नए तरीक़ों से प्रस्तुत करती है।<br />परन्तु ‘शब्दों का ख़ाकरोब’ एक ऐसी कहानी है जिस पर विशेष रूप से चर्चा होगी व होनी चाहिए।

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