
Kuchh Jamin Par Kuchh Hava Mein
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
236
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
472 mins
Book Description
हिन्दी व्यंग्य-विधा को जिन रचनाकारों ने सार्थकता सौंपी है, श्रीलाल शुक्ल उनकी पहली पंक्ति में गण्य हैं। हिन्दी जगत में उन्हें यह सम्मान ‘राग दरबारी’ और ‘पहला पड़ाव’ जैसे विशिष्ट उपन्यासों के कारण तो प्राप्त है ही, अपने व्यंग्यात्मक निबन्धों के लिए भी है। ‘यहाँ से वहाँ’, ‘अंगद का पाँव’ और ‘उमराव नगर में कुछ दिन’ उनकी पूर्व प्रकाशित व्यंग्य-कृतियाँ हैं और इस क्रम में यह उनकी एक अन्य महत्त्वपूर्ण कृति है।</p> <p>इन निबन्धों में श्रीलाल शुक्ल की रचना-दृष्टि विभिन्न वस्तु-सत्यों को उकेरती दिखाई देती है। इनमें से पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित निबन्धों के लिए ‘ज़मीन पर’ और रेडियो तथा दूरदर्शन से प्रसारित निबन्धों के लिए ‘हवा में’ कहकर भी उन्होंने जिस व्यंग्यार्थ की व्यंजना की है, उसकी ज़द में सर्वप्रथम वे स्वयं भी आ खड़े हुए हैं। इसमें उनके व्यंग्य की ईमानदारी भी है और अन्दाज़ भी। सामाजिक विसंगतियों, विडम्बनाओं और समकालीन जीवन की विकृतियों की बेलाग शल्य-चिकित्सा में उनका गहरा विश्वास है।</p> <p>साहित्य, कला, संस्कृति, धर्म, इतिहास और राजनीति—किसी की भी रुग्णता उनके सोद्देश्य व्यंग्योपचार का विषय हो सकती है। इसके अतिरिक्त यह संग्रह कुछ वरिष्ठ रचनाकारों को उनकी समग्र सृजनशीलता के सन्दर्भ में समझने का भी अवसर जुटाता है। कहना न होगा कि श्रीलाल शुक्ल की यह व्यंग्य कृति हिन्दी व्यंग्य को कुछ और समृद्ध करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।