
Ramchandra Shukla Ke Sameeksha Siddhanta Aur Geeta Rahasya
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
92
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
184 mins
Book Description
गांधी जी से पूर्व राष्ट्रीय आन्दोलन में तिलक सबसे तेजस्वी राष्ट्रीय नेता थे। तिलक अर्थात् उग्र ‘राष्ट्रवाद’। भारतीय, इतिहास परम्परा एवं संस्कृति का प्रगाढ़ पांडित्य तथा पश्चिमी विचारों के मुक़ाबले में भारत की बौद्धिक गरिमा और अस्मिता की रक्षा का अविराम संघर्ष उनके व्यक्तित्व का अभिन्न अंग था (यही कारण था कि उस युग के अनेक देशभक्त कवि-लेखक उनके प्रति आकृष्ट हुए। इस वातावरण में आचार्य शुक्ल जैसे देशभक्त साहित्यकार का तिलक के प्रति आकृष्ट होना स्वाभाविक था।</p> <p>शुक्ल जी के बौद्धिक निर्माण काल में तिलक का अमर ग्रन्थ ‘गीता-रहस्य’ हिन्दी में प्रकाशित हुआ जो भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण और राष्ट्रीय जागरण का घोषणा-पत्र जैसा था। शुक्ल जी के बौद्धिक निर्माण में इस ग्रन्थ की भूमिका के पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं। उनकी रचनाओं में आए क्षात्रधर्म, लोकधर्म, लोकसंग्रह, कर्मसौन्दर्य, साधनावस्था, सिद्धावस्था जैसे अनेक पारिभाषिक शब्दों के आधुनिक भारतीय चिन्तन में प्रचलन का श्रेय ‘गीता-रहस्य’ को ही है। अन्य बाह्य प्रभावों की तरह ‘गीता-रहस्य’ का प्रभाव भी उनकी चिन्तन-प्रक्रिया में घुल-मिलकर हो गया है जिसे पहचानने का कठिन कार्य इस लघु शोध-प्रबन्ध में किया गया है। लेकिन गीता-रहस्य के प्रभाव की पड़ताल करते समय भी लेखिका का ध्यान शुक्ल जी की मौलिकता पर केन्द्रित रहा है और यह इस प्रबन्ध की एक बड़ी विशेषता है।