
Metronama
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
204
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
408 mins
Book Description
जैसा यह दिल्ली महानगर है, वैसी ही परतदार हैं मेट्रोनामा की ये कहानियाँ। देवेश की निगाहें इन परतों को प्यार, चुहल, हसरत और बारीकी से देखती हैं। किताब में बहुत कुछ है— निब्बा-निब्बी रंग का इश्क़, गाँव से आए देहाती परिवारों की ठसक, शहर में काम करने वाले मज़दूरों के सपने, रंग-बिरंगे गुन-गुन करते बच्चे, कुनमुनाते-झींखते अंकल-आंटियाँ, मेट्रो के दिलजले कमेंटबाज़, हक़ के लिए ज़िद ठाने लड़कियाँ और शाइस्ता बुज़ुर्ग वग़ैरह-वग़ैरह। इतने तरह के लोगों की इतनी जीवित कहानियों से गुज़रते हुए आप मुस्कराएँगे, हँसेंगे, उदास होंगे और कई बार आपकी आँखें भर आएँगी।</p> <p>मेट्रोनामा सिर्फ़ मेट्रो की कहानियों का गुलदस्ता नहीं है। यह मेट्रो के भीतर और बाहर बदलते शहर, रिश्तों और ज़िन्दगी का आईना है। यह किताब समग्रता में मेट्रो सिटी का एक नया ही नक़्शा खींचती है, जो आमतौर पर हमसे अनदेखा रह जाता है।</p> <p>इस नई नज़र की दिल्ली मेट्रो में आपका स्वागत है!