
Channabasavanna : Gyan Ki Nidhi
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
13
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
26 mins
Book Description
छोटा होने से क्या हुआ? या बड़ा होने से?</p> <p>ज्ञान के लिए क्या छोटे-बड़े में अन्तर है?</p> <p>आदि-अनादि से पूर्व, अंडांड</p> <p>ब्रह्मांड कोटि के उत्पन्न होने से पूर्व</p> <p>गुहेश्वर लिंग में तुम ही अकेले एक महाज्ञानी</p> <p>दिखाई पड़े, देखो जी, हे चन्नबसवण्णा!</p> <p> </p> <p>भक्त को शान्तचित्त रहना चाहिए</p> <p>अपनी स्थिति में सत्यवान रहना चाहिए</p> <p>सबके हित में वचन बोलना चाहिए</p> <p>जंगम में निन्दा रहित होकर</p> <p>सभी प्राणियों को अपने समान मानना चाहिए</p> <p>तन मन धन, गुरु लिंग जंगम के लिए समर्पित करना चाहिए।</p> <p>अपात्र को दान न देना चाहिए</p> <p>सभी इन्द्रियों को अपने वश में रखना चाहिए</p> <p>यही पहला आवश्यक वृतनेम है देखो</p> <p>लिंग की पूजा कर प्रसाद पाने के लिए यही मेरे लिए साधन है।