Premchand Smriti
Author:
PremchandPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Unavailable
Awating description for this book
ISBN: 9789392186189
Pages: 299
Avg Reading Time: 10 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Bhagini Nivedita
- Author Name:
Rachna Bhola 'Yamini'
- Book Type:

- Description: This book does not have any description.
Patanjali
- Author Name:
Bhagwatilal Rajpurohit
- Book Type:

-
Description:
महर्षि पतंजलि भारतीय वाड़्मय के अप्रतिम प्रवक्ता थे। उन्होंने ‘निदानसूत्रम्’ की रचना की तो ‘परमार्थसारम्’ जैसा दार्शनिक ग्रन्थ भी रचा। संस्कृत भाषा और व्याकरण सम्बन्धी ‘महाभाष्य’ लिखा तो परम्परागत योग की धारा को समेटकर उसे ‘योगसूत्रम्’ के माध्यम से दार्शनिक धरातल पर भी प्रतिष्ठित किया। कहा यह भी जाता है कि उन्होंने ‘चरक संहिता’ का भी संस्कार किया था। उनके जो भी ग्रन्थ ज्ञात हैं, वे अपने-अपने विषय के आधार ग्रन्थ हैं जिनकी सामग्री आगे चलकर उस विषय में मार्गदर्शक सिद्ध हुई है।
विवरणों से यह भी ज्ञात होता है कि काव्य के क्षेत्र में भी उनका अनूठा योगदान रहा। उनकी जीवन-कथा के कई रूप मिलते हैं। उनके देशकाल के विषय में सर्वाधिक उपयोगी उनका महाभाष्य ही माना गया है। इस तथा अन्य ग्रन्थों में आए तथ्यों के अनुसार कहा जा सकता है कि पतंजलि सेनापति शुंग के समकालीन रहे थे जिनके शासनकाल को इतिहासकारों ने ईसवी पूर्व 185 से 149 तक निश्चित किया है।
इस पुस्तक में उनके जीवन, समय तथा कृतित्व का परिचय देते हुए उनकी उपलब्ध रचनाओं—‘योगसूत्रम्’, ‘महाभाष्यम्’, ‘निदानसूत्रम्’ तथा ‘परमार्थसारम्’ का पाठ सानुवाद दिया गया है।
Vivekanand
- Author Name:
Romain Rolland
- Book Type:

-
Description:
महान् भारतीय सन्त एवं चिन्तक रामकृष्ण का आध्यात्मिक ज्ञान ग्रहण करके उनके चिन्तन के बीज-कणों को सारे संसार में वितरित करने और अपना कार्य सफलतापूर्वक सम्पादित करनेवाले विवेकानन्द का जीवन निश्चय ही अत्यन्त गौरवपूर्ण एवं प्रेरणादायक है। विवेकानन्द ने अपनी यात्राओं एवं रामकृष्ण मिशन की स्थापना द्वारा पूर्व और पश्चिम के बीच निश्चय ही एक आध्यात्मिक पुल का निर्माण किया है। विश्व-विख्यात फ्रांसीसी उपन्यासकार रोमां रोलां कृत विवेकानन्द की जीवनी का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत कराकर साहित्य अकादेमी ने एक बड़े अभाव की पूर्ति की है। विवेकानन्द के जीवन, कार्यों एवं विचारों का सम्यक् परिचय तो इसमें है ही, रामकृष्ण के जीवन एवं सिद्धान्तों को भी संक्षिप्त रूप में दे दिया गया है, जिससे इस कृति की उपयोगिता और भी बढ़ गई है।
दो वर्ष भारत-भर में और अनन्तर तीन वर्ष विश्व-भर में उनका परिभ्रमण उनकी स्वतंत्र स्वाभाविक चेतना और सेवा-भावना का सहज ही यथेष्ट पूरक सिद्ध हुआ। वह घर-समाज के बंधन से मुक्त, स्वच्छंद, ईश्वर के साथ निरंतर अकेले घूमते रहे। उनके जीवन का कोई क्षण ऐसा न था जिसमें उन्होंने ग्राम में, नगर में, धनी के, निर्धन के जीवन-स्पन्दन की वेदना, लालसा, कुत्सा और पीड़ा से साक्षात् न किया हो। वह जन के जीवन से एकाकार हो गए। जीवन के महाग्रन्थ में उन्हें वह मिला जो पुस्तकालय की समस्त पोथियों में नहीं मिला था।
पथचारी शिक्षार्थी के रूप में कैसी अद्वितीय शिक्षा उनको मिली!... अस्तबल में या भिखारी-टोले में सो रहनेवाले जगत्-बन्धु ही नहीं थे, वह समदर्शी थे...आज अछूतों के आश्रय में पड़े तिरस्कृत मँगते हैं तो कल राजकुमारों के मेहमान हैं, प्रधानमन्त्रियों और महाराजाओं से बराबरी पर बात कर रहे हैं, कभी दीनबन्धु रूप में पीड़ितों की पीड़ा को समर्पित हो रहे हैं, तो कभी श्रेष्ठियों के ऐश्वर्य को चुनौती दे रहे हैं और उनके निर्मम मानस में दुखी जन के लिए ममता जगा रहे हैं। पंडितों की विद्या से भी उनका परिचय था और औद्योगिक एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था की उन समस्याओं से भी, जो जनजीवन की नियामक हैं। वह निरन्तर सीख रहे थे, सिखा रहे थे और अपने को धीरे-धीरे भारत की आत्मा, उसकी एकता और उसकी नियति का प्रतीक बनाते जा रहे थे। ये तत्त्व उनमें समाहित थे और सारे संसार ने इनके दर्शन विवेकानन्द में किये।
Manavata Ke Praneta : Maharshi Arvind
- Author Name:
Ramesh Pokhriyal 'Nishank'
- Book Type:

- Description: महर्षि अरविंद एक महान् दार्शनिक, महान् स्वाधीनता सेनानी, प्रकांड विद्वान्, अद्भुत कवि, राजनेता व लेखक थे। उन्होंने सुप्त भारतीय जनमानस को जगाने का सफलतम प्रयास किया और उनके भीतर एक नए आत्मविश्वास का संचार करने में सफलता पाई। वे भारतीय राजनीति यानी भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में 1905 से 1910 तक केवल पाँच वर्ष रहे और इतनी अल्पावधि में देश के जनमानस को राजनीतिक रूप से इतना समर्थ बना दिया कि वह अपनी वास्तविक हस्ती को पहचान सके और अपने अतीत की खोई गरिमा और महिमा को पुनः अर्जित करने के लिए समर्पित हो। महर्षि अरविंद पहले एक राजनीतिज्ञ, क्रांतिकारी नेता थे लेकिन दैवीय विधान के चलते वे अध्यात्म की ओर मुड़ गए, क्योंकि उन्होंने यह जाना कि आध्यात्मिक उत्थान के बगैर भारत की स्वतंत्रता अर्थहीन है। इसीलिए उन्होंने भारत को आध्यात्मिक रूप से एक करने के लिए वेद, उपनिषद् व भारतीय ज्ञान-परंपरा की पताका विश्वभर में फैलाई ताकि भारतीयों में अपने ज्ञान के प्रति गौरव-महसूस हो सके। जनसांख्यकीय लाभांश के चलते भारत युवा देश है। आज के परिदृश्य में भारत को उसका पुराना वैभव दिलाने और देश को ज्ञान-आधारित महाशक्ति बनाने हेतु श्रीअरविंद के विचार अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। नवभारत के निर्माण की जिम्मेदारी हमारी युवाशक्ति पर है। देश के शिक्षा मंत्री द्वारा इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिखी गई है।
Jayee Rajguru: Khurda Vidhroh ke Apratim Krantikari
- Author Name:
Bijay Chandra Rath
- Book Type:

- Description: "प्रखर देशभक्ति, अटूट विश्वास और अदम्य साहस उनके चरित्र की पहचान थी। वे कभी मृत्यु से नहीं डरे और अपने जीवन को उन्होंने मातृभूमि को भेंट कर दिया था। उनकी मृत्यु अमरता की ओर एक कदम था। वे कोई और नहीं, शहीद जयकृष्ण महापात्र उपाख्य जयी राजगुरु हैं, जो ओडिशा में खोर्र्धा राज्य के राजा के राजगुरु थे, जिन्होंने सन् 1804 में इतिहास को बदलने का साहस किया। यह उल्लेखनीय है कि खोर्र्धा भारत के अंतिम स्वतंत्र क्षेत्र ओडिशा का तटीय राज्य था, जो 1803 में अंग्रेजों के हाथों में आया था। तब तक शेष भारत पहले ही ब्रिटिश शासन के अधीन आ चुका था। संयोग से अगले वर्ष, यानी 1804 में ओडिशा के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था, जो ओडिशा में ‘पाइक विद्रोह’ की शुरुआत थी। खोर्र्धा विद्रोह-1804 के नाम से ख्यात यह विद्रोह वास्तव में कई मायनों में एक जन-विद्रोह का रूप ले चुका था। भारतीय स्वतंत्रता के इस प्रारंभिक युद्ध के नायक जयकृष्ण महापात्र थे, जो कि शहीद जयी राजगुरु (1739-1806) के रूप में अधिक लोकप्रिय हुए। इस महान् जननेता और स्वतंत्रता सेनानी का जीवन निस्स्वार्थ बलिदान, अदम्य साहस और अप्रतिम देशभक्ति की गाथा है, जिसे सन् 1806 में अंग्रेजों द्वारा किए गए क्रूर कृत्य के साथ समाप्त कर दिया गया। उनका शानदार नेतृत्व, तीक्ष्ण कूटनीति और राज्य का सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन के लिए उनका योगदान राष्ट्रीय इतिहास में प्रेरक है। यह दुर्भाग्य है कि राष्ट्र की स्मृति में उन्हें उचित स्थान प्राप्त नहीं हुआ है। —श्रीदेब नंदा, अध्यक्ष, शहीद जयी राजगुरु न्यास"
Binpatachi Chaukat - yatanamay parikramecha nital aawishkar
- Author Name:
Indumati Jondhale
- Book Type:

- Description: ‘बिनपटाची चौकट' दोन खांबांवर उभी आहे.एक खांब आहे, ऋजुतेचा आणि दुसरा खांब आहे, क्रूरतेचा.या दोन्ही अनुभवांतूनइंदूचे आयुष्य आकाराला आले आहेआणि म्हणून ते विदारक आहे.सरळसोट जगणे असते तर‘बिनपटाची चौकट' उभीच राहिली नसती.पट नसलेली चौकट समाजव्यवस्थेची आहे,मनुष्यसमूहाची आहे आणिआतल्या आत खदखदणाऱ्याआत्मप्रत्ययी अनुभवांची आहे.इंदूमती जोंधळे यांची ‘बिनपटाची चौकट'यातनामय परिक्रमेचानितळ आविष्कार आहे.गेल्या दशकातील मराठी निर्मितीनेज्याचा अक्षरवाङ्मयात गौरवाने समावेश करावाअसे हे आत्मकथन आहे.‘स्मृतीचित्रा'पेक्षाही हे अधिक दाहक आहे.- डॉ. गंगाधर पानतावणे(फेबु्रवारी, 1999) Binpatachi Chaukat | Indumati Jondhale बिनपटाची चौकट | इंदुमती जेोंधळे
Diddi : Shivani Ki Kahani
- Author Name:
Ira Pande
- Book Type:

- Description: ‘दिद्दी : शिवानी की कहानी’ में हम हिन्दी की अत्यन्त लोकप्रिय कथाकार शिवानी को उनकी बेटी की निगाहों से देखते हैं। यह भी कह सकते हैं कि यहाँ हमें वह शिवानी दिखती हैं जिन्हें हम उनकी साहित्यिक छवि में अक्सर नहीं पाते। हाँ, उनकी कहानियों और उनके पात्रों में हम ज़रूर उस स्त्री को पहचान सकते हैं जो एक ख़ास वातावरण में एक ख़ास दृष्टि से संसार को देख रही थी। यह किताब उनके इस वातावरण को भी प्रकाशित करती है, और उसके बीच बनती एक कथाकार की यात्रा को भी। एक भारतीय घर-परिवार की संस्तरीकृत संरचना में मानवीय संवेदना के अनेकानेक रंगों के साथ उन्होंने उसकी विडम्बनाओं को कैसे समझा और फिर उसे अपनी कथा ऋचाओं में अंकित किया, यह वृत्तान्त हमें यह जानने में भी मदद करता है। शिवानी के साथ इस पुस्तक में कुमाऊँनी समाज की संस्कृति और समाज के विभिन्न पक्षों से भी हमारा परिचय होता है, और उनकी कुछ चर्चित रचनाओं और उनकी पृष्ठभूमि से भी।
Nitish Kumar Aur Ubharta Bihar
- Author Name:
Arun Sinha
- Book Type:

- Description: ‘नीतीश कुमार और उभरता बिहार’ में वरिष्ठ पत्रकार अरुण सिन्हा ने विपरीत परिस्थितियों में बिहार का शासन सँभालने वाले नीतीश बाबू की उस कर्मठ एवं जुझारू कार्यशैली का बेबाक वर्णन किया है, जिसने बिहार को एक नई दिशा दी, एक नई पहचान दी। उन्होंने बिहार के सामाजिक और राजनीतिक परिवेश में नीतीश कुमार के उदय की कहानी बताई है और 1960 के दशक के आखिर से शुरू हुए समतावादी आंदोलनों तथा इनके फलस्वरूप 1990 में हुए सत्ता-परिवर्तन का विस्तार से वर्णन किया है। नीतीश कुमार शुरू में लालू प्रसाद यादव के साथ भी रहे, लेकिन बाद में उन्होंने अस्मिता की राजनीति को खारिज करते हुए यह महसूस किया कि बिहार को आगे बढ़ना है तो जाति की राजनीति से ऊपर उठना होगा। इस ग्रंथ में भारतीय राजनीति का स्पष्ट और गहन अध्ययन है। इसमें राजनीतिक नाटकबाजी को सामने लाया गया है तथा राज्य के उथल-पुथल भरे सफर की कड़वी सच्चाई और गहन अध्ययन को प्रस्तुत किया गया है। अरुण सिन्हा ने बिहार की राजनीति की जटिलता के बीच नीतीश कुमार के उदय और कानून-व्यवस्था, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार करने को विस्तार से समझाया है। सामंतवाद से जातीय अस्मिता और अंततः विकास के पथ पर आकर बिहार ने भारत की स्वतंत्रता के बाद की यात्रा में स्वयं को आदर्श साबित किया है। नीतीश बाबू के नेतृत्व में बिहार की राजनीति एवं वहाँ हो रहे ताजा विकास को जानने-समझने में सहायक एक उपयोगी पुस्तक।
Kuchh Parav, Kuchh Manjilen
- Author Name:
Hemant Dwivedi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Match Point - A Shuttler's Story
- Author Name:
Sanjay Sharma
- Rating:
- Book Type:

- Description: Inside these pages lies the story of a shuttler – but not just any shuttler. A sportsman of true grit, he has faced, fought and overcome unimaginable battles. How did a boy rise to become one of the widely known, ace badminton players of India, and smash down hardships that came his way? How did he protect his well-earned reputation from the wrongdoings of the then sports federation? And how has he, years later, kept the sportsman inside him alive, as he goes on to overcome health battles to unbelievable extents? Every word written to inspire, this is the story of a shuttler who never gives up.
Jamsetji Tata
- Author Name:
Harish Bhat +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: Jamsetji Tata pioneered modern Indian industry. He has been a key catalyst in the economic growth and development of the country. From Empress Mills to the Iron and Steel Plant, from the establishment of Indian Institue of Science to the building of the Taj Mahal Hotel, Jamsetji’s vision made India stand tall. In this carefully researched account, R Gopalakrishnan and Harish Bhat provide insights into the entrepreneurial principles of Jamsetji that helped create such a successful and enduring enterprise. His contribution and that of his successors has led to the institutionalization of Tata values. Over the decades, through hard work, determination, and a consistent vision, he and his successors have embedded these values in the organization, which has stood the test of time and has consistently contributed to the country’s industrial development. The book takes readers into the heart of this amazing story and what has made it possible. Interwoven with engaging real-life stories about iconic leaders of the Tata Group, and interesting anecdotes that went into the making of India’s popular brands such as Tata Tea, Tata Steel, Tata Motors and Tanishq, this unique account brings alive the vision of Jamsetji Tata and tells us what we can learn from it.
The Untouchables
- Author Name:
DR. B.R. Ambedkar
- Book Type:

- Description: Who are the Untouchables, and what is the origin of Untouchability? These are the main topics which it is sought to be investigated, and the results of which are contained in the following pages. Before launching upon the investigation, It Is necessary to deal with certain preliminary questions. The first such question is: Are the Hindus the only people in the world who observe Untouchability? The second is: If Untouchability is observed by Non-Hindus also, how does untouchability among Hindus compare with the Untouchability study that has so far been attempted?
Smriti Chitra
- Author Name:
Mahadevi Verma
- Book Type:

-
Description:
“संस्मरण में स्मृति का सामंजस्यपूर्ण पुनः अवतरण है। अतः इसमें हमारी मानसिक क्रियाएँ अधिक सक्रिय होकर ही स्मृति के आधारों से हमें एक आत्मीय सम्बन्ध में जोड़ती हैं।
“यह मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि अतीत की दुःखद स्मृतियाँ भी पुनर्जीवन पाकर सुखद अनुभूति का कारण बन जाती हैं। अतीत-कथाएँ इसी से नित्य रसमयी हैं। स्मृति के आधार जब समय का दीर्घ व्यवधान पार कर लौटते हैं, तब हमें मित्र-मिलन की विस्मयमयी सुखद अनुभूति होती है।
“संस्मरण में हम अपनी स्मृति के आधारों पर से समय की धूल पोंछ-पोंछकर उन्हें अपने मनोजगत के निभृत कक्ष में बैठाकर उनके साथ जीवित रहते हैं और अपने आत्मीय सम्बन्धों को पुनः जीवित करते हैं। इस स्मृति-मिलन में मानो हमारा मन बार-बार दोहराता है, हमें आज भी तुम्हारा अभाव है।
“मेरे संस्मरण उन स्मरणीयों के स्मरण हैं, जिनके अभाव की मुझे तीव्र अनुभूति होती है, चाहे वे मनुष्य हों चाहे पशु-पक्षी।”
—महादेवी
(भूमिका से)।
Aahatein Sun Raha Hun Yadon Ki
- Author Name:
Kashinath Singh
- Book Type:

-
Description:
काशीनाथ सिंह कहानियाँ, उपन्यास, नाटक और आलोचना लिखकर और कथाकार के रूप में ख्याति अर्जित कर संस्मरणों की दुनिया में आए। सम्भवत: इसीलिए उनके संस्मरण अन्तत: स्मृति-कथाएँ हैं। कथा, जिसमें गल्प का तत्व कभी भी यथार्थ के सामने निस्तेज और प्रभावहीन नहीं होता। ऐतिहासिक व्यक्तियों और वास्तविक घटनाओं के इर्द-गिर्द बुने जाने पर भी उनमें रचनात्मकता और कल्पना के पहलू ऐसे मिले-जुले होते हैं कि वे कभी भी ‘यथार्थ’ को ‘भारी’, ‘ठोस’ और ‘पत्थर’ सा नहीं बनने देते। यहाँ ‘यथार्थ’ एक जीवित पाखी की तरह ‘गल्प’ के पंख लगाकर जीवन के महा-आकाश में उड़ता है। कहानी-उपन्यास से संस्मरण की ओर आने का एक लाभ यह भी हुआ है कि कहानी-उपन्यास बुनते-गढ़ते हुए जो सीखें कथाकार काशीनाथ सिंह को मिली थीं, वे यहाँ भी काम आ सकी हैं।
काशीनाथ सिंह के संस्मरणों में वास्तविकता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उनमें एक ख़ास तरह की स्पष्टता, साहसिकता और बेबाकी पैदा की है। भोजपुरी की शक्ति, जो उनकी कहानियों में, संयत भाव से प्रकट होती थी, उनके संस्मरणों में खुलकर प्रकट होती है। बनारसीपन ने इन संस्मरणों के गद्य को जीवन का आईना बना दिया। हरिशंकर परसाई और नामवर सिंह—गद्य में काशीनाथ सिंह के आदर्श मालूम पड़ते हैं। इसीलिए उनके संस्मरणों की संरचना में करुणा और व्यंग्य अन्तर्भुक्त हैं। इन दोनों गद्यकारों की तरह उनकी भाषा बतकही के अत्यन्त निकट चली जाती है। छोटे-छोटे वाक्य, कौतुक और खिलंदड़ापन उनकी भाषा में भीतर तक विन्यस्त है। बनारसीपन इन सबको एक नया रंग देता है ।
‘आहटें सुन रहा हूँ यादों की’ स्मृति-कथाओं की किताब है। इस पुस्तक में ‘याद हो कि न याद हो’ के पहले संस्करण के बाद प्रकाशित छोटे-बड़े 18 संस्मरण शामिल हैं। पुस्तक के पहले खंड के संस्मरण निजी जीवन के इर्द-गिर्द घूमते हैं। दूसरे खंड में काशीनाथ सिंह के निकट जनों–गुरु बच्चन सिंह, बड़े भाई नामवर जी के परम मित्र वकील साहेब उर्फ नागेंद्र सिंह, आलोचक-मित्र-संगठक प्रो. कमला प्रसाद, मित्र-कथाकार दूधनाथ सिंह, मित्र–भाषाविज्ञानी श्री राम अधार सिंह और कमउम्र मित्र सिने विशेषज्ञ श्री प्रह्लाद अग्रवाल पर केन्द्रित संस्मरण हैं।
काशीनाथ सिंह के इन संस्मरणों से गुजरते हुए सहज ही आभास होता है कि वास्तविक देश के सामानान्तर स्मृति एक देश है!
Rakta Ganga : Virangana Avantibai Ki Shaurya Gatha
- Author Name:
Iqbal Bahadur Devsare
- Book Type:

- Description: वीरांगना अवन्तीबाई लोधी के जीवन-संघर्ष को आधार बनाकर 'रक्तगंगा' नामक इस ऐतिहासिक उपन्यास की रचना तथ्यों के आधार पर की गई है। इस उपन्यास के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन को प्रकाश में लाते हुए समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया गया है। रानी के त्याग, बलिदान, अटूट राष्ट्रभक्ति, शौर्य, अदम्य साहस, रणकौशल, प्रबल इच्छाशक्ति, अपराजेयता, संगठनशक्ति, आत्म-विश्वास, दृढ़ निश्चय, जनता के प्रति प्रेम एवं सद्भावना पर प्रकाश डालते हुए रानी के व्यक्तित्व को भली-भाँति उजागर किया गया है। वीरांगना के जन्म से लेकर बलिदान होने तक की सम्पूर्ण शौर्यगाथा का वर्णन, सरल तथा ओजपूर्ण भाषा-शैली में लिखा गया है। यह उपन्यास सदैव देशवासियों के राष्ट्रप्रेम का संवर्द्धन करता रहेगा।
Aur Karvan Banta Gaya
- Author Name:
Shatrughna Prasad Singh
- Book Type:

- Description: यह पुस्तक बिहार शिक्षक-आन्दोलन के प्रखर नेता और पूर्व-सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह की आत्मकथा पुस्तक है जिसमें उन्होंने अपने निजी और सार्वजनिक जीवन के साथ-साथ अपने व्यापक अनुभवों के आधार पर बने विचारों को भी व्यक्त किया है। शिक्षक की अपनी मूल पहचान को अपने सार्वजनिक जीवन की धुरी मानते हुए उन्होंने जिस तरह लम्बे समय तक इस देश की सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षिक परिस्थितियों को समझा, यह पुस्तक उसका लेखा-जोखा है। इसलिए निजी यादों के विवरण से ज्यादा हम इसे एक वैचारिक दस्तावेज के रूप में भी पढ़ सकते हैं जिसमें शिक्षा-तंत्र और अध्यापकों के संघर्ष से लेकर देश के वर्तमान सामाजिक यथार्थ, ग्रामीण भारत की वस्तुस्थिति, मजदूरों का पलायन, सत्ता और भ्रष्टाचार का गठजोड़, अपराध की राजनीतिक ताकत से लेकर इधर के ताजातरीन मुद्दों, मसलन रोहित वेमुला की आत्महत्या तथा जे.एन.यू.में कन्हैया की अलोकतांत्रिक गिरफ्तारी तक पर विचार किया गया है।
Kalam's Family Tree: Ancestral Legacy of Dr. A.P.J. Abdul Kalam
- Author Name:
Dr. A. P. J. M. Nazema Maraikayar +1
- Book Type:

- Description: "This book is an intimate memoir written by A.P.J. Abdul Kalam’s niece, who is closely connected to him and the family. The book offers a rare glimpse into the family life and ancestral roots of India’s beloved “Missile Man.’ The book was originally written in Tamil and later translated in English and Hindi. It takes you to Dr. Kalam’s humble beginnings in Rameshwaram, Tamil Nadu, where the young Kalam’s curiosity and thirst of knowledge were nurtured within the embrace of a close-knit Muslim family. From the sacrifices of his parents to the wisdom imparted by his grandparents, the book celebrates the indelible impact of family on his journey to becoming the President of India. It emphasises on the cultural and religious roots that he inherited from different generations. It mainly reflects how historical events, wars, societal changes, economic conditions, etc., had an effect on his personality. The book is a tribute to the power of heritage, perseverance and the pursuit of knowledge values that resonated deeply within the Kalam lineage."
Gandhi Ki Mezbani
- Author Name:
Muriel Lester
- Book Type:

-
Description:
महात्मा गांधी के अपने विपुल साहित्य और लेखन के अलावा उन पर लिखी गई सामग्री भी विपुल है। फिर भी उन्हें और नज़दीक से जानने-समझने की इच्छा भी शिथिल नहीं पड़ती। उनके समकालीनों के अनेक संस्मरणों में गांधी जी जब-तब सजीव होते रहते हैं। ऐसी ही एक पुस्तक बीसवीं शताब्दी के चौथे दशक में एक अंग्रेज़ महिला ने प्रकाशित की थी जिन्होंने कुछ समय के लिए गांधी जी की मेज़बानी की थी। उसमें इस अनोखे व्यक्ति की सहज मानवीयता, आत्मविश्वास, अपनी दृष्टि और मूल्यों पर हर हालत में अड़े रहने के प्रसंग सहज प्रवाह में आए हैं। एक ऐसे समय में जब हम पश्चिम के आतंक और अनुकरण में मुदित मन लगे हैं, यह पुस्तक उस आतंक से सर्वथा मुक्त एक भारतीय आत्मा को एक बार फिर सामने लाती है और उसका हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करते हुए हमें प्रसन्नता है।
—अशोक वाजपेयी
Mahatma Gandhi : Jeewan Aur Darshan
- Author Name:
Romain Rolland
- Rating:
- Book Type:

-
Description:
‘सत्याग्रह’ शब्द का आविष्कार गांधी जी ने तब किया था, जब वे अफ़्रीका में थे—उद्देश्य था अपनी कर्म-साधना के साथ निष्क्रिय-प्रतिरोध का भेद स्पष्ट करना। यूरोपवाले गांधी के आन्दोलन को ‘निष्क्रिय प्रतिरोध’ (अथवा अप्रतिरोध) के रूप में समझना चाहते हैं, जबकि इससे बड़ी ग़लती दूसरी नहीं हो सकती। निष्क्रियता के लिए इस अदम्य योद्धा के मन में जितनी घृणा है, उतनी संसार के किसी दूसरे व्यक्ति में नहीं होगी—ऐसे वीर ‘अप्रतिरोधी का दृष्टान्त संसार में सचमुच विरल है। उनके दोलन का सारतत्त्व है—‘सक्रिय प्रतिरोध’, जिसने अपने प्रेम, विश्वास और आत्मत्याग की तीन सम्मिलित शक्तियों के साथ ‘सत्याग्रह’ की संज्ञा धारण की है।
कायर मानो उनकी छाया भी नहीं छूना चाहता, उसे वे देश से बाहर निकालकर रहेंगे। आलसी और अकर्मण्य की अपेक्षा वह अच्छा है, जो हिंसा से प्रेरित है। गांधी जी कहते हैं—“यदि कायरता और हिंसा में से किसी एक को चुनना हो तो मैं हिंसा को ही पसन्द करूँगा। दूसरे को न मारकर स्वयं ही मरने का जो धीरतापूर्ण साहस है, मैं उसी की साधना करता हूँ। लेकिन जिसमें ऐसा साहस नहीं है, वह भी भागते हुए लज्जाजनक मृत्यु का वरण न करे—मैं तो कहूँगा, बल्कि वह मरने के साथ मारने की भी कोशिश करे; क्योंकि जो इस तरह भागता है, वह अपने मन पर अन्याय करता है। वह इसलिए भागता है कि मारते-मारते मरने का साहस उसमें नहीं है। एक समूची जाति के निस्तेज होने की अपेक्षा मैं हिंसा को हज़ार बार अच्छा समझूँगा। भारत स्वयं ही अपने अपमान का पंगु साक्षी बनकर बैठा रहे, इसके बदले अगर हाथों में हथियार उठा लेने को तैयार हो तो इसे मैं बहुत अधिक पसन्द करूँगा।”
बाद में गांधी जी ने इतना और जोड़ दिया— “मैं जानता हूँ कि हिंसा की अपेक्षा अहिंसा कई गुनी अच्छी है। यह भी जानता हूँ कि दंड की अपेक्षा क्षमा अधिक शक्तिशाली है। क्षमा सैनिक की शोभा है लेकिन क्षमा तभी सार्थक है, जब शक्ति होते हुए भी दंड नहीं दिया जाता। जो कमज़ोर है, उसकी क्षमा बेमानी है। मैं भारत को कमज़ोर नहीं मानता। तीस करोड़ भारतीय एक लाख अंग्रेज़ों के डर से हिम्मत न हारेंगे। इसके अलावा वास्तविक शक्ति शरीर-बल में नहीं होती, होती है अदम्य मन में। अन्याय के प्रति ‘भले आदमी’ की तरह आत्मसमर्पण का नाम अहिंसा नहीं है—अत्याचारी की प्रबल इच्छा के विरुद्ध अहिंसा केवल आत्मिक शक्ति से टिकती है। इसी तरह केवल एक मनुष्य के लिए भी समूचे साम्राज्य का विरोध करना और उसको गिराना सम्भव हो सकता है।”
Kaghazi Hain Pairahan
- Author Name:
Ismat Chugtai
- Book Type:

- Description: उर्दू की विद्रोहिणी लेखिका इस्मत चुग़ताई हिन्दी पाठकों के लिए भी उर्दू जितनी ही आत्मीय रही हैं। भारतीय समाज के रूढ़िवादी जीवन-मूल्यों और घिसी–पिटी परम्पराओं पर इस्मत चुग़ताई ने अपनी कहानियों से जितनी चोट की है और इसे एक अधिक मानवीय समाज बनाने में जितना बड़ा योगदान किया है, उसकी बराबरी कर पानेवाले लोग बिरले ही हैं। पाठकों के मन में सहज ही यह सवाल उठता रहा है कि इतनी पैनी नज़र से अपने परिवेश को टटोलनेवाली और इतने जीते–जागते पात्र रचनेवाली इस लेखिका की ख़ुद अपनी बनावट क्या है, किस प्रक्रिया में उसका निर्माण हुआ है। इस्मत आपा ने शायद अपने पाठकों की इस जिज्ञासा को ध्यान में रखते हुए ही अपनी आत्मकथा ‘काग़ज़ी है पैरहन’ शीर्षक से क़लमबंद की। कहने को ही यह पुस्तक आत्मकथा है। पढ़ने में यह बाक़ायदा उपन्यास और उपन्यास से भी ज़्यादा कुछ है। एक पूरे समय और समाज का इतना जीवन्त, इतना प्रामाणिक वर्णन मुश्किल से ही मिल सकता है। तॉल्स्ताय ने गोर्की के बारे में कहा था कि उनकी कहानियाँ दिलचस्प हैं, लेकिन उनका जीवन और भी दिलचस्प है। यही बात इस्मत चुग़ताई के बारे में भी शब्दश: कही जा सकती है। तीस के दशक में पर्देदार कुलीन मुस्लिम परिवार में एक लड़की के पढ़ने–लिखने में कितनी मुश्किलें आती होंगी, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है। ये मुश्किलें ‘काग़ज़ी है पैरहन’ की मुख्य कथावस्तु बनी हैं। लेकिन जो पीड़ा ये मुश्किलें एक ज़िद्दी लड़की के भीतर पैदा करती रही होंगी, उसका अन्दाज़ा पाठक को ख़ुद ही लगाना होगा, क्योंकि अपने दु:खों को बयान करना, आत्म–दया दिखाना इस्मत चुग़ताई की फ़ितरत ही नहीं रही है। गद्य की लय क्या होती है, कितनी सहजता से यह लय ज़िन्दगी की घनघोर उलझनों का बयान करा ले जाती है, इसका अप्रतिम उदाहरण यह पुस्तक है। ख़ुद इस्मत आपा के शब्दों में : “लिखते हुए मुझे ऐसा लगता है जैसे पढ़नेवाले मेरे सामने बैठे हैं, उनसे बातें कर रही हूँ और वो सुन रहे हैं। कुछ मेरे हमख़याल हैं, कुछ मोतरिज़ हैं, कुछ मुस्कुरा रहे हैं, कुछ ग़ुस्सा हो रहे हैं। कुछ का वाक़ई जी जल रहा है। अब भी मैं लिखती हूँ तो यही एहसास छाया रहता है कि बातें कर रही हूँ।”
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
💡 Tip: Tap the first box and paste your entire SMS message
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.