Itihaskaar Ka Matantar
Author:
Mubarak AliPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 476
₹
595
Available
पाकिस्तान के पाठ्यक्रम में इतिहास की जो पुस्तकें पढ़ाई जाती हैं, उनमें भारत और हिन्दुओं का उल्लेख एक शत्रु देश और शत्रु के रूप में किया गया है। उनमें पाकिस्तान का इतिहास शुरू होता है मुहम्मद–बिन–कासिम के भारत आक्रमण से। भगत सिंह, अशफ़ाक़उल्ला ख़ाँ, महात्मा गांधी, सुभाषचन्द्र बोस, ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ाँ जैसे स्वाधीनता–सेनानियों का उनमें कोई उल्लेख नहीं। स्वाधीनता–सेनानियों के रूप में इक़बाल, मुहम्मद अली ज़िन्ना, लियाक़त अली ख़ाँ जैसे लोगों का ही नाम है जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध न तो कोई जंग की, न ही जेल गए। वहाँ के इतिहास में औरंगजेब को महानायक तथा अकबर को खलनायक के रूप में चित्रित किया गया है। इतिहास को तोड़–मरोड़कर पेश करने की परम्परा केवल पाकिस्तान में ही नहीं, हमारे देश में भी रही है। फ़र्क़ केवल मात्रा का है। वहाँ यह मानसिकता प्रचुर मात्रा में है तो यहाँ अल्प। मसलन हिन्दू कट्टरवादियों द्वारा बाबर को भारत पर आक्रमणकारी तथा हिन्दू विरोधी के रूप में चित्रित किया जाता है और आज भी भारतीय मुसलमानों को बाबर की सन्तान कहकर कोसा जाता है।
ISBN: 9788126706075
Pages: 148
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Mahesh Sharma
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- Description: जिस प्रकार धनुष से निकला हुआ बाण वापस नहीं आता, उसी प्रकार मुँह से निकली बात भी वापस नहीं आती, इसलिए हमें कुछ भी बोलने से पहले सोच-समझकर बोलना चाहिए। भाषण देना, व्याख्यान देना अपनी बात को कलात्मक और प्रभावशाली ढंग से कहने का तरीका है। इसमें अपने भावों को आत्मविश्वास के साथ नपे-तुले शब्दों में कहने की दक्षता प्राप्त कर व्यक्ति ओजस्वी वक्ता हो सकता है। हाथों को नचाकर, मुखमुद्रा बनाकर ऊँचे स्वर में अपनी बात कहना मात्र भाषण-कला नहीं है। भाषण ऐसा हो, जो श्रोता को सम्मोहित कर ले और वह पूरा भाषण सुने बिना सभा के बीच से उठे नहीं। यह पुस्तक सिखाती है कि वहीं तक बोलना जारी रखें, जहाँ तक सत्य का संचित कोष आपके पास है। धीर-गंभीर और मृदु वाक्य बोलना एक कला है, जो संस्कार और अभ्यास से स्वतः ही आती है प्रस्तुत पुस्तक में वाक्-चातुर्य की परंपरा की छटा को नयनाभिराम बनाते हुए कुछ विलक्षण घटनाओं का भी समावेश किया गया है, जो कहने और सुनने के बीच एक मजबूत सेतु का काम करती हैं। विद्यार्थी, परीक्षार्थी, साक्षात्कार की तैयारी करनेवाले तथा श्रेष्ठ वाक्-कौशल प्राप्त करने के लिए एक पठनीय पुस्तक।
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