Jo Aage hain

Jo Aage hain

Authors(s):

Jabir Husain

Language:

Hindi

Pages:

230

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

460 mins

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Book Description

दियरा की बलुआही ज़मीन हो या टाल की रेतीली धरती, दक्षिण का सपाट, मैदानी इलाक़ा हो या उत्तर की नदियाई भूमि, बिहार के गाँव का अतीत जाने बग़ैर कैसे कोई बिहार के वर्तमान को समझने का दावा कर सकता है!</p> <p>न जाने कितने दशक बिहार की मेहनतकश आबादियाँ अपने अधिकारों से वंचित रही हैं। थोड़े-से असरदार लोगों ने सत्ता और समाज को अपनी मुट्ठी में क़ैद कर रखा है। हाशिए पर पड़ी कमज़ोर इंसानी ज़िन्‍दगियाँ काली ताक़तों से मुक़ाबला करने की हिम्मत जुटाती रही हैं।</p> <p>बिहार के गाँव की इस तल्ख़ सच्चाई से रू-ब-रू हुए बिना कोई इसकी तक़दीर लिखने की कोशिश करे, तो यह कोशिश कैसे कामयाब होगी!</p> <p>हाल के वर्षों में, बिहार के गाँव में बदलाव की जो बयार चली है, उसे शीत-भवनों में बैठकर नहीं आँका जा सकता। शीत-भवनों में तैयार किए गए गणित ज़मीन से कटे होने पर, अख़बार की सुर्खियों में या टेलीविज़न के पर्दे पर थोड़ी देर के लिए ज़रूर जगह पा सकते हैं, मगर ये गणित सच्चाई का रूप नहीं ले सकते।</p> <p>सच्चाई का रूप तो ये तभी लेंगे, जब इसके गणितकार कमज़ोर तबक़ों की हक़मारी का अपना सदियों पुराना राग अलापना छोड़ दें।</p> <p>जाबिर हुसेन ने जो भी लिखा है, अपने संघर्षपूर्ण सामाजिक सरोकारों की आग में तपकर लिखा है।

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