
Neel Chhavi
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
198
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
396 mins
Book Description
आधुनिक नागर समाज एक तरफ सुख-सुविधा के नाना संसाधनों से सम्पन्न हुआ है तो दूसरी तरफ बौद्धिक-सांस्कृतिक रूप से अपने लिए उसने अनेक संकट भी खड़े किए हैं। साधनों तक पहुँच की बदौलत नैतिक और मानवीय स्तर पर बेहतर बनने के बजाय वह विलासिता को ही अपना चरम लक्ष्य मानने लगा है।</p> <p>ड्रग्स हो या कि ब्लू फिल्म उपभोग की निर्बन्ध आकांक्षा ने इस समाज के लोगों को निरा उपभोक्ता बनाकर छोड़ दिया है। ऊपर से चाक-चौबन्द और जगर-मगर नजर आता यह समाज वस्तुत: आन्तरिक खोखलेपन का शिकार बन चुका है। सबकुछ नियंत्रित करने वाली सियासत हो याकि स्वप्न देखने के लिए प्रेरित करने वाली कला, कोई भी इस संकट से अछूता नहीं है।</p> <p>‘नील छवि’ निरन्तर पतन की इसी त्रासद सचाई का बेचैन करने वाला आख्यान है, जिसमें कथित उच्च वर्गीय जीवन का आपराधिक दोहरापन और नैतिकता व मानवीयता के घोषित मान्यताओं के निरुपाय होते जाने का चित्रण, ठहरकर सोचने के लिए विवश करता है।