
Desh, Dharma Aur Sahitya
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
107
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
214 mins
Book Description
साहित्य वास्तव में मनुष्य धर्म को रेखांकित करनेवाला वह रूप है, जो अपने देश के समाज के परिदृश्य को उसके बहुआयामी रंगों में कैनवस पर फैला हुआ दिखलाता है। साहित्य ही देश को गति भी देता है और उसे जीवंत बनाने का प्रयत्न करता है।</p> <p>धर्म से साहित्य का रिश्ता एक ख़ास मायने में परिलक्षित होता है। साहित्य द्वारा ही धर्म का परिचालन होता है, लेकिन वह धर्म से तटस्थ रहकर अपनी बात कह सकने में समर्थ है।</p> <p>इसीलिए ये तीनों लेखक को परस्पर ओत-प्रोत दिखाई पड़े हैं। ये अन्दर या बाहर रहते हुए भी एक-दूसरे के पूरक होने का आभास देते हैं।</p> <p>संग्रह के निबन्धों में आज का समय कहीं भी ओझल नहीं हुआ, बल्कि ठोस धरातल पर क़दम जमाए खड़ा है, परन्तु कालातीत से ग्रहण करने की पूरी क्षमता भी रखता है।