
Gyan-Darshan
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
319
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
638 mins
Book Description
इस पुस्तक में ज्ञान सम्बन्धी दार्शनिक समस्याओं का एक प्रारम्भिक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। ज्ञान, सत्, और मूल्य-दर्शन के प्रमुख विषय-क्षेत्र माने गए हैं और इसमें सन्देह नहीं कि इनमें ज्ञान एक आधारभूत स्थान रखता है जिसके प्रश्नों के उत्तर सत् और मूल्य सम्बन्धी प्रश्नों पर भी प्रकाश डालते हैं। दर्शन विभिन्न सूचनाओं का समूह न होकर सोचने या तर्क-वितर्क करने की प्रक्रिया है। इसीलिए इस पुस्तक में यह प्रयत्न किया गया है कि दार्शनिक प्रश्न और उनके हल के प्रयत्न उसी रूप में प्रस्तुत किए जाएँ, न कि विभिन्न दार्शनिकों द्वारा प्रतिपादित अन्तिम सिद्धान्तों के रूप में।</p> <p>इस पुस्तक की रुचि दर्शन के इतिहास में न होकर उस विचार या तर्क में है जिसके द्वारा समस्याओं के समाधान की तलाश होती है और जो दर्शन का सार तत्त्व है। अत: प्रस्तुत लेखन का यह उद्देश्य रहा है कि पाठकों को केवल विभिन्न दार्शनिक विचारों का मात्र संग्रह करने की नहीं, बल्कि स्वतंत्र चिन्तन की प्रेरणा मिले। स्पष्ट है कि ऐसे चिन्तन एवं उसकी अभिव्यक्ति के लिए अपनी मातृभाषा ही सबसे उपयुक्त साधन है। क्योंकि विचारों की स्पष्ट समझ और सृजनशीलता का आदर्श प्राप्त करना उसी दशा में सम्भव है। आशा है कि प्रस्तुत ग्रन्थ का इस दिशा में अच्छा योगदान होगा।