Uttar Kabeer Aur Anya Kavitayen

Uttar Kabeer Aur Anya Kavitayen

Authors(s):

Kedarnath Singh

Language:

Hindi

Pages:

141

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

282 mins

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Book Description

‘उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ’ केदारनाथ सिंह का पाँचवाँ काव्य-संकलन है, जिसमें पिछले छह-साढ़े छह वर्षों के बीच लिखी गई कविताएँ संगृहीत हैं। यह दौर बाहर और भीतर, दोनों ही धरातलों पर क्षिप्र परिवर्तनों का दौर रहा है। इस संग्रह की कविताओं में उसकी कुछ अनुगूँजें सुनी जा सकती हैं। पर एक ख़ास बात यह है कि यहाँ बहुत-सी कविताएँ एक ऐसे स्मृतिलोक से छनकर बाहर आई हैं, जहाँ समय के कई सम-विषम धरातल एक साथ सक्रिय हैं। इस संग्रह तक आते-आते कवि की भाषा में एक नई पारदर्शिता आई है। इस भाषालोक में कुछ भी वर्जित या अग्राह्य नहीं है—पर यहाँ ऐसे शब्दों पर भरोसा बढ़ा है, जो मानव-व्यवहार में लम्बे समय तक बरते गए हैं।</p> <p>इस संग्रह की कविताओं में अपने स्थान के साथ कवि का रिश्ता थोड़ा बदला है, जिसका एक संकेत ‘गाँव आने पर’ जैसी कविता में देखा जा सकता है। रचना में यह नया धरातल एक तरह के आन्तरिक विस्थापन की सूचना देता है। विस्थापन की यह पीड़ा अनेक दूसरी कविताओं में भी देखी जा सकती है—यहाँ तक कि ‘कुदाल’ में भी। कोई चाहे तो कह सकता है कि यह कवि के काव्य-विकास में एक नए प्रस्थान की आहट है—हालाँकि ये कविताएँ अपने स्वभाव के अनुसार इस तरह का कोई दावा नहीं करतीं। इस संकलन की बहुत-सी कविताओं में एक अन्तर्निहित प्रश्नात्मकता है। वे अक्सर कुछ पूछती हैं—बाहर से कम और अपने-आपसे ज़्यादा। ‘उत्तर कबीर’ शीर्षक अपेक्षाकृत लम्बी कविता इस प्रश्नात्मक बेचैनी का एक बेलौस उदाहरण है। फिर इस पूछने की धार के आगे मुक्ति भी विडम्बनापूर्ण लगने लगती है और स्वयं कवि-कर्म भी—जो सड़ रहा है और ज़ाहिर कि बहुत कुछ है जो सड़ रहा है क्या मैं उसे बचा सकता हूँ कविता लिखकर?

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