Pali

Pali

Authors(s):

Bhishma Sahni

Language:

Hindi

Pages:

152

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

304 mins

Buy For ₹150

* Actual purchase price could be much less, as we run various offers

Book Description

भीष्म साहनी का यथार्थबोध यद्यपि समाज को कई बार बहुत वेधक दृष्टि से देखता है, लेकिन करुणा से परहेज करते वे कहीं दिखाई नहीं देते। करुणा का उछाल यहाँ इतने स्वाभाविक रूप में आता है कि पाठक गहरी आन्तरिक वेदना से भर उठता है और समाज की न्यायसंगत पुनर्रचना उसे अनिवार्य लगने लगती है। विभाजन की यादों को ताजा करानेवाली कुछ कहानियाँ इस संग्रह (प्रथम प्रकाशन, 1989) में भी हैं जिनमें सबसे प्रमुख है 'पाली’। इस कहानी में करुणा का परिपाक अद्भुत ढंग से मर्मस्पर्शी है। एक छोटा-सा बच्चा पाकिस्तान से भारत आते समय अपने माता-पिता से बिछुड़कर वहीं रह गया, और एक मुस्लिम माँ-बाप का लाड़ला हो गया। पाँच-छह साल बाद उसे वापस अपने माता-पिता के पास भारत ले आया गया। हिन्दू-मुसलमान आदि पहचानों के खोखलेपन को उजागर करती यह कहानी हृदयवान पाठक को बार-बार भिगो जाती है। 'आवाजें’ इस संग्रह की एक और महत्त्वपूर्ण कहानी है जिसमें विभाजन के बाद भारत आए शरणार्थियों के बसने-बढ़ने की प्रक्रिया का वर्णन बहुत दिलचस्प ढंग से किया गया है। घरों की नींव पड़ने से लेकर उनके बहुमंजिला होकर किराए पर चढ़ने तक। संग्रह में कुछ ग्यारह कहानियाँ हैं जो अलग-अलग कोणों से मन और मनुष्य का उत्खनन करती हैं।

More Books from Rajkamal Prakashan Samuh