Bhavyata Ka Rangkarm : Ratan Thiyam Se Samwad
Author:
Udyan VajpeyiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
“रतन थियाम आधुनिक भारतीय रंगमंच में एक अनूठी उपस्थिति रहे हैं। उन्होंने मणिपुर की लोक-परम्परा, व्यापक भारतीय परम्परा और आधुनिकता के बीच बहुत सघन-उत्कट और रंग प्रभावी रिश्ता अपने रंगकर्म में खोजा-पाया है। उनसे इस लम्बी बातचीत में उनके रंग-जीवन, संघर्ष, तनावों आदि के साथ-साथ व्यापक भारतीय रंगमंच के द्वन्द्वों और संघर्षों को समझने की दृष्टि मिलती है।''</p>
<p>—अशोक वाजपेयी
ISBN: 9789387462090
Pages: 126
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Safalta ke Gurumantra
- Author Name:
Napoleon Hill
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
CHHATROPAYOGI SACHITRA SAMANYA GYAN
- Author Name:
Yash Kumar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
KAISE-KAISE JAANWAR
- Author Name:
Gopi Krishna Kunwar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Lord Krishna Vis-A-Vis Mahatma Gandhi
- Author Name:
Dinkar Joshi
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Cintan Prawah
- Author Name:
Hukumdev Narayan Yadav
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Gopan Aur Ayan : Khand 1
- Author Name:
Sitanshu Yashashchandra
- Book Type:

- Description: गुजराती आदि भारतीय भाषाएँ एक विस्तृत सेमिओटिक नेटवर्क अर्थात संकेतन-अनुबन्ध-व्यवस्था का अन्य-समतुल्य हिस्सा हैं। मूल बात ये है कि विशेष को मिटाए बिना सामान्य अथवा साधारण की रचना करने की, और तुल्यमूल्य संकेतकों से बुनी हुई एक संकेतन-व्यवस्था रचने की जो भारतीय क्षमता है, उसका जतन होता रहे। राष्ट्रीय या अन्तरराष्ट्रीय राज्यसत्ता, उपभोक्तावाद को बढ़ावा देनेवाली, सम्मोहक वाग्मिता के छल पर टिकी हुई धनसत्ता एवं आत्ममुग्ध, असहिष्णु विविध विचारसरणियाँ/आइडियोलॉजीज़ की तंत्रात्मक सत्ता आदि परिबलों से शासित होने से भारतीय क्षमता को बचाते हुए उस का संवर्धन होता रहे। गुजराती से मेरे लेखों के हिन्दी अनुवाद करने का काम सरल तो था नहीं। गुजराती साहित्य की अपनी निरीक्षण परम्परा तथा सृजनात्मक लेखन की धारा बड़ी लम्बी है और उसी में से मेरी साहित्य तत्त्व-मीमांसा एवं कृतिनिष्ठ तथा तुलनात्मक आलोचना की परिभाषा निपजी है। उसी में मेरी सोच प्रतिष्ठित (एम्बेडेड) है। भारतीय साहित्य के गुजराती विवर्तों को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में जाने बिना मेरे लेखन का सही अनुवाद करना सम्भव नहीं है, मैं जानता हूँ। इसीलिए, इन लेखों का हिन्दी अनुवाद टिकाऊ स्नेह और बड़े कौशल्य से जिन्होंने किया है, उन अनुवादक सहृदयों का मैं गहरा ऋणी हूँ। ये पुस्तक पढ़नेवाले हिन्दीभाषी सहृदय पाठकों का सविनय धन्यवाद, जिनकी दृष्टि का जल मिलने से ही तो यह पन्ने पल्लवित होंगे। —सितांशु यशश्चन्द्र (प्रस्तावना से) ''हमारी परम्परा में गद्य को कवियों का निकष माना गया है। रज़ा पुस्तक माला के अन्तर्गत हम इधर सक्रिय भारतीय कवियों के गद्य के अनुवाद की एक सीरीज़ प्रस्तुत कर रहे हैं। इस सीरीज़ में बाङ्ला के मूर्धन्य कवि शंख घोष के गद्य का संचयन दो खंडों में प्रकाशित हो चुका है। अब गुजराती कवि सितांशु यशश्चन्द्र के गद्य का हिन्दी अनुवाद दो जिल्दों में पेश है। पाठक पाएँगे कि सितांशु के कवि-चिन्तन का वितान गद्य में कितना व्यापक है—उसमें परम्परा, आधुनिकता, साहित्य के कई पक्षों से लेकर कुछ स्थानीयताओं पर कुशाग्रता और ताज़ेपन से सोचा गया है। हमें भरोसा है कि यह गद्य हिन्दी की अपनी आलोचना में कुछ नया जोड़ेगा।" —अशोक वाजपेयी
POSHAK TATTVON SE BHARPOOR SABZIYAN
- Author Name:
Gopi Krishna Kunwar
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Sanskrit Subhashit Kosh
- Author Name:
Dr. Ramprakash Sharma ‘Saras’
- Book Type:

- Description: संस्कृत सुभाषित कोश' में संस्कृत वाड्मय के अगाध सिंधु के मणि-माणिक्य हैं । मनीषियों ने अगाध सिंधु का अनंत वर्षों तक अवगाहन करके अमृत रूपी सुभाषित मानव जाति के सकल अभ्युदय हेतु संचित किए हैं। अनेक दोषों से दूषित, कलुषों से कलुषित, अनाचरणीय आचरणों के पाप-तमस से आच्छादित, अविद्यादि दुरितों से ग्रस्त-त्रस्त मानवता पर छाई मूर्च्छा का हरण करने में ये सुभाषित संजीवनी का कार्य करेंगे। 'सा प्रथमा संस्कृति: विश्ववारा' यजुर्वेद संहिता 7/14 जीवन जीने की उत्कृष्टतम पद्धति का नाम 'संस्कृति' है, जिसका सर्वविध विकास भारतवर्ष की पुण्यधरा पर हुआ। इस धरा के निवासी मानव के मन और बुद्धि ने कितनी ऊँचाइयों का स्पर्श किया, इन सुभाषितों में निहित संस्कृति से स्पष्ट है। पुस्तकस्थ सुभाषित प्रेरणा, उत्साह, प्रसन्नता का संचार करने के साथ ही जिज्ञासा के नवीन स्रोतों का सृजन करेंगे। मानव को सहज, सरल, शांत और विवेकशील, विचारप्रपन्न बनाने में दिशा-बोधक का कार्य करते हुए उसमें सुप्त, कुंठित संवेदना को जाग्रत् कर उदात्त मानवीय गुणों से सरस संपन्न बनाने में इन सुभाषितों की विवेचनीय भूमिका होगी।
JPSC Jharkhand | Samanya Adhyayan Paper-1 | Bharat Ka Itihas, Kala Evam Sanskriti "भारत का इतिहास, कला एवं संस्कृति" Prarambhik Pariksha - 2024
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Pankhheen
- Author Name:
Smt. Kamla Mishra
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Bhagat singh Aur Unke Sathiyon Ke Dastavez
- Author Name:
Chaman Lal +1
- Book Type:

- Description: शहीद भगत सिंह ने कहा था : ‘क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है’ और यह भी कि ‘क्रान्ति ईश्वर-विरोधी हो सकती है, मनुष्य-विरोधी नहीं’। ध्यान से देखा जाए तो ये दोनों ही बातें भगत सिंह के महान क्रान्तिकारी व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं। लेकिन इस सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण यह है कि भगत सिंह की विचारधारा और उनकी क्रान्तिकारिता के ज्वलन्त प्रमाण जिन लेखों और दस्तावेज़ों में दर्ज हैं, वे आज भी पूर्ववत् प्रासंगिक हैं, क्योंकि ‘इस’ आज़ादी के बाद भी भारतीय समाज ‘उस’ आज़ादी से वंचित है, जिसके लिए उन्होंने और उनके असंख्य साथियों ने बलिदान दिया था। दूसरे शब्दों में, भगत सिंह के क्रान्तिकारी विचार उन्हीं के साथ समाप्त नहीं हो गए, क्योंकि व्यक्ति की तरह किसी विचार को कभी फाँसी नहीं दी जा सकती। कहने की आवश्यकता नहीं कि यह पुस्तक भगत सिंह की इसी विचारधारात्मक भूमिका को समग्रता के साथ हमारे सामने रखती है। वस्तुत: हिन्दी में पहली बार प्रकाशित यह कृति भगत सिंह के भावनाशील विचारों, विचारोत्तेजक लेखों, ऐतिहासिक दस्तावेज़ों, वक्तव्यों तथा उनके साथियों और पूर्ववर्ती शहीदों की क़लम से निकले महत्त्वपूर्ण विचारों की ऐसी प्रस्तुति है जो वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक स्थितियों की बुनियादी पड़ताल करने में हमारी दूर तक मदद करती है।
CTET Central Teacher Eligibility Test Paper -1 (Class I-V) 15 Practice Sets & Latest Solved Papers (Hindi)
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Diaspora and Nation-Building
- Author Name:
Dr. Ruchi Verma +3
- Book Type:

- Description: Over 33 million strong Indian diasporas spread all over the world has been an exceptionally successful story. Given their skills and other social qualities, they are also among the most sought after lots in most countries. Indian diaspora has performed well on all important parameters — political, economical, technological and cultural. PIOs are amongst the top skilled, employable and prosperous non-native people in most countries. They are heading some of the top multinational companies and hold high positions in many international organisations, in a way making an important contribution to the evolving global agenda. Today, Indian diaspora is investing in creating jobs and cutting edge technologies world over. India has also done very well in reaching out to its diaspora through various channels, including the youth. At over USD 75 billion annually, India is the top recipient of remittances. Diaspora could also be an important source of technology and know-how. Given their goodwill on both sides, they are a great source of confidence-building between India and countries of their adoption and have demonstrated their clout on many occasions. Over the last many centuries, Indians have travelled to many near and far off destinations in the world for trade, business, education and jobs. One major wave of such movement was carried out by the colonial administration under the so called indentured system for meeting labour shortages in their overseas plantations. This inhuman system of exploitation of workers finally ended and the centenary of its abolition was commemorated in many parts of the world including India during 2017-18. Antar Rashtrya Sahyog Parishad (ARSP) had organised year-long activities to mark this important landmark in the life of the Indian diaspora, culminating with an international conference on the topic, ‘Contribution of Diaspora in Nation Building’ in Mauritius in July 2018. Several leaders and scholars addressed this gathering, and this publication captures the essence of its outcomes. This publication could be a good reference for students and scholars working on diaspora.
BSSC Bihar Staff Selection Commission 2nd Inter Level Combined Competitive Preliminary Examination 20 Practice Sets- 2023 Book in English
- Author Name:
Team Prabhat
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Song of The Trinity 2: The Broken Tusk | Mythological Fantasy Book with Immortal Warriors
- Author Name:
Vadhan
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Beti Bachao
- Author Name:
Shakuntala Sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Marshal Arjan Singh DFC : Life and Times
- Author Name:
Ranbir Singh
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
MAHAKRANTIKARI MANGAL PANDEY
- Author Name:
Dinkar Kumar
- Book Type:

- Description: "कलकत्ता के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की पैदल सेना के सिपाही नंबर 1446 का नाम मंगल पांडे। भारत के पहले स्वातंत्र्य समर की ज्वाला सन् 1857 में उन्हीं के प्रयासों से धधकी। दरअसल 20 मार्च, 1857 को सैनिकों को नए प्रकार के कारतूस दिए गए। उन कारतूसों को मुँह में दाँतों से दबाकर खोला जाता था। वे गाय और सूअर की चरबी से चिकने किए गए थे, ताकि हिंदू और मुसलिम सैनिक धर्म के प्रति अनुराग छोड़कर धर्मविमुख हों। 29 मार्च को मंगल पांडे ने कारतूसों को मुँह से खोलने की उच्चाधिकारियों की आज्ञा मानने से इनकार कर दिया। सेना ने भी उनका साथ दिया। लेकिन ब्रिटिश उच्चाधिकारियों ने छलबलपूर्वक उन्हें बंदी बना लिया और आठ दिन बाद ही 8 अप्रैल, 1857 को उन्हें फाँसी दे दी। उनकी फाँसी की खबर ने देश भर में चिनगारी का काम किया और मेरठ छावनी से निकला विप्लव पूरे उत्तर भारत में फैल गया, जो स्वातंत्र्य समर के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ। इसने मंगल पांडे का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा दिया। भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन के एक प्रमुख हस्ताक्षर की प्रेरणाप्रद जीवनगाथा, जो अन्याय और दमन के प्रतिकार का मार्ग प्रशस्त करती है।"
SAAL KE 12 MAHEENE
- Author Name:
RAMKESH
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Jansampark Ke Vividh Ayam
- Author Name:
Bhalchandra Joshi
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत पुस्तक में जनसम्पर्क की परिचयात्मक अवधारणा एवं विकास के साथ-साथ सैद्धान्तिक पक्ष पर भी प्रकाश डाला गया है। जनसम्पर्क की सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी जनसम्पर्क के ‘जन’ होते हैं। पुस्तक में जनसम्पर्क जनों को विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। विभिन्न क्षेत्रों में जनसम्पर्क की संगठनात्मक संरचना पर भी प्रकाश डाला गया है। जनसम्पर्क के उपकरणों के प्रभावी उपयोग को भी पुस्तक में समाहित किया गया है। जनसम्पर्क के महत्त्वपूर्ण उपकरण विज्ञापन को भी पृथक् अध्यायों में स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है। विदेशों में हो रही जनसम्पर्क गतिविधियों को भी रेखांकित किया गया है। पारस्परिक विधाओं के साथ-साथ सोशल मीडिया जैसे आधुनिक माध्यमों को जनसम्पर्क हेतु उपयोग करने के विभिन्न तरीक़ों का भी इस पुस्तक में समावेश किया गया है, इसके साथ-साथ कुछ प्रमुख केस स्टडी एवं जनसम्पर्क में प्रयुक्त होनेवाली शब्दावलियों के माध्यम से भी जनसम्पर्क गतिविधियों को समझने का प्रयास है।
जनसम्पर्क के क्षेत्र में रुचि रखनेवाले पाठकों के लिए एक उत्कृष्ट पुस्तक हिन्दी भाषा में उपलब्ध हो रही है। मैं पूर्ण विश्वास से कह सकता हूँ कि यह पुस्तक सुधी पाठकों को जनसम्पर्क का सम्पूर्ण परिचय देने के साथ-साथ जनसम्पर्क के कौशलों को सिखाने में सहायक सिद्ध होगी।
—प्राक्कथन से
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...