Kalindi
Author:
ShivaniPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
...“एक बुज़ुर्ग ने मुझे रोककर कहा—‘कालिंदी’ पढ़ रहा हूँ!...अहा कैसा चित्र खींचा है उन दिनों का। लगता है एक बार फिर उसी अल्मोड़ा में पहुँच गया हूँ।”</p>
<p>“मुझे लगा मुझे कुमाऊँ का सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार मिल गया।”...शिवानी के यह शब्द उपन्यास की पाठकों तक सहज पहुँच और स्वयं उनकी अपने लाखों सरल, अनाम पाठकों के प्रति अगाध समर्पण भाव का आईना है।</p>
<p>डॉक्टर कालिंदी एक स्वयंसिद्धा लड़की है, जिसने अपने जीवन के झंझावातों से अपनी शर्तों पर मुक़ाबला किया। कुमाऊँ की स्त्री-शक्ति के सुदीर्घ शोषण और उसकी अदम्य सहनशक्ति और जिजीविषा का दस्तावेज़ यह उपन्यास नए और पुराने के टकराव और पुनर्सृजन की गाथा भी है। शिवानी की मातृभूमि अल्मोड़ा और उस अंचल के गाँवों की मिट्टी-बयार की गन्ध से भरी कालिंदी की व्यथा-कथा भारत की उन सैकड़ों लड़कियों की महागाथा है, जो आधुनिकता का स्वागत करती हैं, लेकिन परम्परा की डोर को भी नहीं काट पातीं। अपने पुरुष उत्पीड़कों और शोषकों के प्रति भी अनथक स्नेह-ममत्व बनाए रखनेवाली कालिंदी और उसकी एकाकिनी माँ अन्नपूर्णा क्या आज भी देश के हर अंचल में मौजूद नहीं?
ISBN: 9788183610674
Pages: 196
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: , ऋचा थी—अतुलनीय, अनिंद्य, उसका हृदय एक छलछलाता हुआ प्रवाह था—प्रेम और निष्ठा के पारदर्शी जल से लबालब। उसकी आत्मा जैसी सहजता, वैसी पवित्रता को आजीवन बनाए रखना सरल नहीं। न वैसा आवेग, न वैसी अकुंठ तत्परता और न दूसरों के प्रति ऐसा नि:संकोच स्वीकार जीवन जीते हुए अक्षुण्ण रखना सम्भव है। जीवन की यात्रा में अक्सर मन और जीवन के पैर मैले हो ही जाते हैं, लेकिन ऋचा के नहीं। और वीरेश्वर जैसे उसी के लिए बना हुआ, उतना ही दृढ़, उसी अनुपात में स्वाभिमानी और ईमानदार। मन और वचन के संकल्पों को लेकर उतना ही गम्भीर और भरोसेमन्द। ऋचा और वीरेश्वर की यह कहानी स्त्री-जीवन के साथ-साथ स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के बारे में एक नई दृष्टि देती है। स्त्री यहाँ पूर्णत: एक जिजीविषा का स्वरूप ग्रहण कर लेती है जो अपने आत्म की खोज-यात्रा में जीवन और मूल्यों के नए-नए सोपान चढ़ती चली जाती है। ब्राह्मण होते हुए वह दलित युवक वीरेश्वर से प्रेम करती है और पूरा जीवन उस प्रेम को अपनी आस्था का अवलम्बन बनाए रखती है और स्वयं भी उसके लिए एक स्तम्भ बनी रहती है। इसी रिश्ते से जन्मी उनकी बेटी प्रज्ञा पुन: समाज की रूढ़ियों और स्वयं उनके लिए एक मानक बनकर सामने आती है। नए मूल्यों की स्थापना करता सहज भाषा और शिल्प में अत्यन्त पठनीय उपन्
Jheeni-Jheeni Beeni Chadariya
- Author Name:
Abdul Bismillah
- Book Type:

- Description: बनारस के साड़ी-बुनकरों पर केन्द्रित अब्दुल बिस्मिल्लाह का यह उपन्यास हिन्दी कथा-साहित्य में एक नये अनुभव-संसार को मूर्त करता है और इस अनुभव-संसार में साड़ी-बुनकरों की जिस अभावग्रस्त और रोग-जर्जर दुनिया में हम मतीन, अलीमुन और नन्हें इक़बाल के सहारे प्रवेश करते हैं, वहाँ मौजूद हैं रऊफ चचा, नजबुनिया, नसीबुन बुआ, रेहाना, कमरुन, लतीफ, बशीर और अल्ताफ़ जैसे अनेक लोग, जो टूटते हुए भी साबुत हैं–हालात से समझौता नहीं करते, बल्कि उनसे लड़ना और उन्हें बदलना चाहते हैं और अन्ततः अपनी इस चाहत को जनाधिकारों के प्रति जागरूक अगली पीढ़ी के प्रतिनिधि इक़बाल को सौंप देते हैं। इस प्रक्रिया में लेखक ने शोषण के उस पूरे तंत्र को भी बारीकी से बेनकाब किया है जिसमें एक छोर पर है गिरस्ता और कोठीवाल, तो दूसरे छोर पर भ्रष्ट राजनीतिक हथकंडे और सरकार की तथाकथित कल्याणकारी योजनाएँ। साथ ही उसने बुनकर-बिरादरी के आर्थिक शोषण में सहायक उसी की अस्वस्थ परम्पराओं, सामाजिक कुरीतियों, मजहबी जड़वाद और साम्प्रदायिक नज़रिये को भी अनदेखा नहीं किया है।
Nadi Ke Dweep
- Author Name:
Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
- Rating:
- Book Type:

- Description: व्यक्ति अज्ञेय की चिंतन-धरा का महत्तपूर्ण अंग रहा है, और ‘नदी के द्वीप’ उपन्यास में उन्होंने व्यक्ति के विकसित आत्म को निरुपित करने की सफल कोशिश की है-वह व्यक्ति, जो विराट समाज का अंग होते हुए भी उसी समाज की तीव्रगामी धाराओं, भंवरों और तरंगो के बीच अपने भीतर एक द्वीप की तरह लगातार बनता, बिगड़ता और फिर बनता रहता है । वेदना जिसे मांजती है, पीड़ा जिसे व्यस्क बनाती है, और धीरे-धीरे द्रष्टा । अज्ञेय के प्रसिद्द उपन्यास ‘शेखर : एक जीवनी’ से संरचना में बिलकुल अलग इस उपन्यास की व्यवस्था विकसनशील व्यक्तियों की नहीं, आंतरिक रूप से विकसित व्यक्तियों के इर्द-गिर्द बुनी गई है । उपन्यास में सिर्फ उनके आत्म का उदघाटन होता है । समाज के जिस अल्पसंख्यक हिस्से से इस उपन्यास के पत्रों का सम्बन्ध है, वह अपनी संवेदना की गहराई के चलते आज भी समाज की मुख्यधारा में नहीं है । लेकिन वह है, और ‘नदी के द्वीप’ के चरों पत्र मानव-अनुभूति के सर्वकालिक-सार्वभौमिक आधारभूत तत्त्वों के प्रतिनिधि उस संवेदना-प्रवण वर्ग की इमानदार अभिव्यक्ति करते हैं । ‘नदी के द्वीप’ में एक सामाजिक आदर्श भी है, जिसे अज्ञेय ने अपने किसी वक्तव्य में रेखांकित भी किया था, और वह है-दर्द से मंजकर व्यक्तित्व का स्वतंत्र विकास, ऐसी स्वतंत्रता की उद्भावना जो दूसरे को भी स्वतंत्र करती हो । व्यक्ति और समूह के बीच फैली तमाम विकृतियों से पीड़ित हमारे समाज में ऐसी कृतियाँ सदैव प्रासंगिक रहेंगी ।
Mahuacharit
- Author Name:
Kashinath Singh
- Book Type:

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Description:
वरिष्ठ कथाकार काशीनाथ सिंह का उपन्यास ‘महुआचरित’ जीवन के अपार अरण्य में भटकती इच्छाओं का आख्यान है। मध्यवर्गीय समाज की सच्चाइयों को लेखक ने विशिष्ट कथा-रस के साथ प्रकट किया है। यह उपन्यास जिस शिल्प में अभिव्यक्त हुआ है, वह कथा-संसार में एक नया प्रस्थान निर्मित करता है। छोटे-बड़े किंचित् असमाप्त अपूर्ण वाक्य संकेतों की ओर उन्मुख विवरण और बहुअर्थी बिम्ब इस रचना को महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। महुआ की सहेली है उसके मकान की छत जहाँ वह खुलती, खिलती और खेलती है। यह कल्पना ही अपने आपमें अनूठी और व्यंजक है।
कहना न होगा कि ‘महुआचरित’ को ‘वृत्तान्त का अन्त’ करती कथा-रचना के रूप में रेखांकित किया जा सकता है।
अस्सी साल के स्वतंत्रता सेनानी पिता की पुत्री महुआ की देहासक्ति से विवाह तक की यात्रा और फिर उसमें जागता अस्मिता-बोध—इस कथा को लेखक ने समुचित सामाजिक सन्दर्भों के साथ प्रस्तुत किया है। स्त्री-विमर्श की अनुगूँज के बावजूद यह प्रश्न आकार लेता है, ‘ऐसा क्या है देह में कि उसका तो कुछ नहीं बिगड़ता/लेकिन मन का सारा रिश्ता-नाता तहस-नहस हो जाता है।’
सघन संवेदना और सर्वथा नवीन संरचना से समृद्ध ‘महुआचरित’ उपन्यास निश्चित रूप से पाठकों की आत्मीयता अर्जित करेगा।
Ek Aag Ka Dariya
- Author Name:
Harsh Ranjan
- Book Type:

- Description: मैं हर्ष रंजन हूँ, आपके लिए सर्वथा अपरिचित। ये किताब मेरा पहला परिचय है। एक सीरीज आपके सामने लाया हूँ, पाँच कहानी-संग्रह, जो एक के बाद एक आपके सामने आएंगी। लिखना कब, क्यों और कैसे शुरू होता है कहना मुश्किल है बस इतना बता सकता हूँ कि पत्रों से शुरुआत की थी। सालों गुजर गए, न आज वो चिट्ठियाँ हैं और ना... बहरहाल मैं अपने जीवन-क्रम से चुनकर दस कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। इसमे गंगा के घाट से लेकर आग के दरिया, जमीन से लेकर आकाश तक का वर्णन है। मैंने इतनी मेहनत की है कि भले ही ये कभी जीने के लिए बहुत कठिन हों लेकिन आज पढ़ने के लिए बहुत सरल हैं। आशा है कि सरलता और सादगी आपको पसंद आएगी। बस इस सीढ़ी पर पहला कदम रखिए और देखिये इस दुनिया को नए नजरिए से। रचना आपको कैसी लगी जरूर बताएं।
Amita
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

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Description:
इस उपन्यास के प्राक्कथन में यशपाल स्वयं इसके मूल मन्तव्य की ओर इशारा करते हैं—‘विश्वशान्ति के प्रयत्नों में सहयोग देने के लिए मुझे भी तीन वर्ष में दो बार यूरोप जाना पड़ा है। स्वभावत: इस समय (1954–1956) में लिखे मेरे इस उपन्यास में, मुद्दों द्वारा लक्ष्यों को प्राप्त करने अथवा समस्याओं को सुलझाने की नीति की विफलता का विचार कहानी का मेरुदंड बन गया है।’ ‘अमिता’ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में कल्पना को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास है। कलिंग पर अशोक के आक्रमण की घटना में परिवर्तन करके यशपाल ने इस उपन्यास का केन्द्र कलिंग की बालिका राजकुमारी अमिता को बनाया है। उपन्यास के माध्यम से वे जो सन्देश युद्ध–त्रस्त संसार को देना चाहते हैं, वह उन्हीं के शब्दों में ‘मनुष्य ने अपने अनुभव और विकास से शान्ति की रक्षा का अधिक विश्वास योग्य उपाय खोज लिया है। यह सत्य बहुत सरल है। मनुष्य अन्तरराष्ट्रीय रूप में दूसरों की भावना और सदिच्छा पर विश्वास करे, दूसरों के लिए भी अपने समान ही जीवित रहने और आत्म–निर्णय से सह–अस्तित्व के अधिकार को स्वीकार करे। सभी राष्ट्र और समाज अपने राष्ट्रों की सीमाओं में, अपने सिद्धान्तों और विश्वासों के अनुसार व्यवस्था रखने में स्वतंत्र हों। जीवन में समृद्धि और सन्तोष पाने का मार्ग अपनी शक्ति को उत्पादन में लगाना है, दूसरों को डराकर और मारकर छीन लेने की इच्छा करना नहीं है।’
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