Pakistan Mein Yudhkaid Ke Ve Din
Author:
Brig. Arun VajpayeePublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 68
₹
85
Unavailable
‘पाकिस्तान में युद्धक़ैद के वे दिन’ लेखक के साथ घटित सच्ची घटना पर आधारित किताब है। घटना को चार दशक से ज़्यादा बीत चुके हैं लेकिन लेखक ने स्मृतियों के सहारे इस पुस्तक को लिखते हुए उन त्रासद क्षणों को एक बार पुनः जिया है और पूरी संजीदगी के साथ अपने तल्ख़ अनुभवों का जीवन्त चित्रण किया है।</p>
<p>1965 के भारत-पाक युद्ध में लेखक पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त में सीमा रेखा के 35 किलोमीटर भीतर युद्धक़ैदी बने और भारतीय सेना के दस्तावेज़ों में लगभग एक वर्ष तक लापता ही घोषित रहे। एक दुश्मन देश में एक वर्ष की अवधि युद्धक़ैदी के रूप में बिताना कितना त्रासद और साहसिक कार्य था तथा वहाँ उन्हें किन-किन समस्याओं से रू-ब-रू होना पड़ा, इन सबकी तल्ख़ जानकारी इस किताब में पाठकों को मिलेगी।</p>
<p>यह किताब संशय और आशंकाओं से शुरू होती है तथा उम्मीद और आस्था की ओर बढ़ती है जो पाठकों को बेहद रोमांचित करेगी।
ISBN: 9788183612340
Pages: 171
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: सहृदय-दूरदर्शी राजनेता, संवेदनशील कवि। मित्रों और विरोधियों द्वारा समान रूप से चाहे जानेवाले अटल बिहारी वाजपेयी सच में एक जननायक हैं। राजनीतिक सफर का प्रारंभ भारतीय जनसंघ के सबसे पहले सदस्यों में से एक के रूप में किया। फिर 1960 के दशक के आखिर में वाजपेयी एक प्रमुख विपक्षी दल के सांसद के रूप में निखरकर सामने आए। थोड़े समय के लिए सत्ता में आई जनता सरकार में विदेश मंत्री बने और 1999 में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व किया, जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया। यह उपलब्धि और विशिष्ट बन जाती है, क्योंकि एक गठबंधन सरकार ने ऐसा कर दिखाया था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे जनसंघ के दिग्गजों के शिष्य रहे वाजपेयी जवाहरलाल नेहरू की प्रशंसा के पात्र बने; जिनसे उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने सलाह-मशवरा किया; जिनकी आलोचना करने में वह कभी पीछे नहीं रहे; और उग्र मजदूर संघ के नेता जॉर्ज फर्नांडिस से दोस्ती की, जो आगे चलकर उनके सहयोगी भी बने। इस प्रकार उन्होंने सभी प्रकार के राजनीतिक विचारों को साथ लेकर चलने की अद्भुत क्षमता प्रदर्शित की। उन्हीं के नेतृत्व में राजग सरकार ने छह साल में भारत के नवनिर्माण की नींव रखने का काम किया। वरिष्ठ पत्रकार किंगशुक नाग इस पुस्तक में भारतीय राजनीतिक क्षितिज के जाज्वल्यमान नक्षत्र जननायक अटलजी के संपूर्ण व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित कर रहे हैं। उनके जीवन को संपूर्णता में जानने हेतु एक प्रामाणिक पुस्तक।
Katha Shesh
- Author Name:
Gyanchand Jain
- Book Type:

- Description: इस पुस्तक में प्रख्यात कथा-शिल्पी अमृतलाल नागर के साहित्यिक जीवन के अंतरंग संस्मरण उनके बालसखा ज्ञानचंद जैन ने लिखे हैं। वे पैंसठ बरस तक उनके मित्र और साथी रहे। उनकी मित्रता का सूत्रपात उस समय हुआ जब दोनों की अवस्था नौ-दस बरस थी और स्कूल में पाँचवें दर्जे में साथ पढ़ते थे। पढ़ने और लिखने में साथ-साथ रुचि उत्पन्न हो जाने से दोनों उत्तरोत्तर अभिन्न मित्रता की डोर में बँधते चले गए। दोनों ने साथ-साथ कहानी-लेखन आरंभ किया और साहित्यिक जीवन में प्रवेश किया। ज्ञानचंद जैन अमृतलाल नागर के संपूर्ण साहित्यिक जीवन के भी साक्षी रहे। उनकी रचना-यात्रा में अंतरंग सहयोगी रहे और उनकी प्रत्येक रचना के प्रथम श्रोता भी। लेखक के ‘दो शब्द’ के अनुसार—“उनके न रहने पर मेरे जीवन में जो सूनापन आया उसे भरने के लिए मैंने 1992 में इन संस्मरणों का लेखन आरंभ किया। एक बात यह भी मेरे मन में थी कि अमृतलाल नागर जिस साधना के बल पर, हम दोनों के मित्र डॉ. रामविलास शर्मा के शब्दों में, 'कथा-पंडित' बने, उसका विवरण कहीं मेरे साथ न चला जाए। इसलिए चींटी की चाल से लिखते हुए पुस्तक 15-12-95 को पूरी की।” निःसंदेह ये संस्मरण नागरजी के रचना और व्यक्ति-जीवन के कुछ अछूते कोणों पर प्रकाश डालेंगे।
Rachna Ka Antrang
- Author Name:
Devendra
- Book Type:

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Description:
अर्थशास्त्र जाननेवाले कहते हैं कि गाँव की तरक़्क़ी हो गई है। समाजशास्त्र के विद्वान कहते हैं कि रिश्तों में दरार आ गई है। गाँव के लोग कहते हैं कि अब वह बात नहीं रहीं। बहुत उदास-उदास लगता है। यहाँ रहने का मन नहीं होता। लब्बोलुबाब यह कि इतनी उदास, मनहूस और क़र्ज़ में डूबी तरक़्क़ी। बैंकों की मदद से हमारे गाँव में तीन लोगों ने ट्रैक्टर ख़रीदे और तीनों के आधे खेत बिक गए। ट्रैक्टर औने-पौने दाम में बेचने पड़े। पता नहीं क़र्ज़ चुकता हुआ कि नहीं? पंचायती राज में लोकतंत्र को गाँवों तक ले जाने का कार्यक्रम बना। फिर तो, अपहरण, हत्याएँ और मुकदमेबाज़ी। सारे के सारे गाँव थानों और कचहरियों में जाकर क़ानून की धाराएँ रटने लगे।...
—'अस्सी की एक शाम' से
Atal Jeevangatha
- Author Name:
Dr. Rashmi
- Book Type:

- Description: राजनीति के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों में एक महत्त्वपूर्ण गुण होता है—उनकी नेतृत्व क्षमता। जननायक ‘भारत रत्न’ अटलजी में यह गुण अद्भुत था, उनके भीतर नेतृत्व की क्षमता कूट-कूटकर भरी हुई है। ग्वालियर के साधारण अध्यापक के घर जनमे अटलजी अपनी प्रतिभा के दम पर विश्व भर में विख्यात हुए। उन्हें माँ सरस्वती का अपार आशीर्वाद प्राप्त था, यह उनकी वाणी का ही प्रताप था कि सभी मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुना करते थे। एक बहुत बड़ा जन समुदाय उनकी वाणी को सुनने के लिए खिंचा चला आता था। अटलजी बहुविधि प्रतिभा के धनी रहे हैं। उनमें विदेश-नीति की जबरदस्त समझ रही है। वे एक बेजोड़ राजनेता हैं, जो हर आनेवाली पीढ़ी के लिए स्तुत्य एवं अनुकरणीय रहेंगे। अटलजी पर केंद्रित अनेक पुस्तकें आ चुकी हैं और भविष्य में भी आती रहेंगी। किंतु यह पुस्तक अटलजी के जीवन पर केंद्रित पहला आत्मकथात्मक उपन्यास है। इस पुस्तक में अटलजी का अब तक का जीवन और उनकी उपलब्धियाँ उनकी ही विशेष रोचक भाषा शैली में प्रस्तुत की गई हैं। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रखर राष्ट्रवाद की अलख जलानेवाले श्रद्धेय अटलजी के प्रेरणाप्रद जीवन और कर्तृत्व की विहंगम अंतर्दृष्टि देनेवाला आत्मकथात्मक उपन्यास।
Globe Ke Bahar Ladki
- Author Name:
Pratyaksha
- Book Type:

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Description:
प्रत्यक्षा की कहानियों में जितनी कविता होती है, कविताओं में उतनी ही कहानी भी होती है। विधाओं का पारम्परिक अनुशासन तोड़कर वे एक ऐसी अभिव्यक्ति रचती हैं जिसमें कविता की तरलता भी होती है और गद्य की गहनता भी। यह अनुशासन वे किसी शौक या दिखावे के लिए नहीं, कुछ ऐसा कह पाने के लिए तोड़ती हैं जिसे किसी एक विधा में ठीक-ठीक कह पाना सम्भव नहीं। हिन्दी में गद्य कविताओं का सिलसिला पुराना है, लेकिन ज़्यादातर कवियों के यहाँ वे एक शौकिया विचलन की तरह दिखती हैं, जबकि प्रत्यक्षा का जैसे घर ही इन्हीं में बसता है। उनका अतीत, उनका वर्तमान, उनके रिश्ते-नाते, उनके जिए हुए दिन, उनके किए हुए सफ़र, सफ़र में मिले दोस्त, उस दौरान लगी प्यास, कहीं सुना हुआ संगीत, माँ की याद—यह सब इन कविताओं में कुछ इस स्वाभाविकता से चले आते हैं जैसे लगता है कि रचना के स्थापत्य में इनकी जगह तो पहले से तय थी। फिर वह स्थापत्य भी इतना अनगढ़ है कि पढ़नेवाला क़दम-क़दम पर हैरान हो। प्रत्यक्षा की रचना के परिसर में घूमना एक ऐसे घर में घूमना है जिसमें दीवारें पारदर्शी हैं, जिसके आँगन में धरती-आसमान दोनों बसते हैं, जिसके कमरे अतीत और वर्तमान की कसी हुई रस्सी से बने हैं, जहाँ ढेर सारे लोग बिल्कुल अपनी ज़िन्दा गंध और आवाज़ों-पदचापों के साथ आते-जाते घूमते रहते हैं। हिन्दी की इस विलक्षण लेखिका की यह कृति इस मायने में भी विलक्षण है कि अपने पाठक को वह रचना का एक बिल्कुल नया आस्वाद सुलभ कराती है—जिससे गुजऱते हुए पाठक भी अपने-आप को बदला हुआ पाता है। यह वह तिलिस्मी मकान है जिससे निकलकर आप पाते हैं कि दुनिया आपके लिए कुछ और हो गई है। यह पुस्तक प्रत्यक्षा की रचनाशीलता का ही नहीं, हिन्दी लेखन का भी एक प्रस्थान बिन्दु है।
—प्रियदर्शन
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