
Pahchan
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
124
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
248 mins
Book Description
इस उपन्यास की पृष्ठभूमि में भारतीय समाज का वह सीमान्त इलाक़ा है जहाँ के बच्चों की शिक्षा सिनेमा–हॉलों, गैरेजों और चाय–पान की गुमटियों में होती है, जिन्हें भूगोल का ज्ञान ट्रक चालकों से, इंजीनियरिंग का ज्ञान गैरेजों में खटकर, ड्रेस डिजाइनिंग का हुनर दर्जी की दुकान से और ब्यूटीशियन का डिप्लोमा नाई की दुकान से मिलता है। यूनुस इसी धरती पर उगा हुआ एक पौधा है, जिसे अपने लिए एक पहचान की तलाश है।</p> <p>लेकिन उसके साथ चिपकी हुई एक पहचान उसका मुसलमान होना भी है, पर वह उसे हर कहीं उजागर नहीं करता, कम–से–कम अपने सलीम भाई की तरह तो नहीं जिसे गुजरात में ऑटो में बैठे–बैठे ज़िन्दा जला दिया गया; उसके लिए उससे ज़्यादा मायने अपनी वह छवि रखती है जिसे वह सनूबर की आँखों में देखता है। सनूबर जो उसकी महबूबा है और जो उसे मुहम्मद यूनुस नहीं, अंग्रेज़ी में संक्षेप करके ‘एम–वाई’ अर्थात् ‘माई’ बुलाती है।</p> <p>एक आदमी की पहचान क्या होती है उसका धर्म, उसका पेशा या उसका हृदय? यह उपन्यास अपने नायक यूनुस के माध्यम से यही सवाल हमारे सामने रखता है। यूनुस निम्न मध्यवर्गीय भारतीय मुस्लिम समाज का एक प्रतिनिधि चरित्र है, और अपने बनने की प्रक्रिया में हमें अपनी स्मृतियों के साथ उस पूरे परिदृश्य से परिचित कराता है जिसमें साम्प्रदायिक ताक़तों की राष्ट्रीय राजनीति में घुल–मिल जाने के बाद, आज भारत का ग़रीब मुस्लिम तबका रह रहा है।