Hamara Jeevan Hamari Yadein
Author:
Dr. RamanandPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Other0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
भारतीय समाज लगातार बदल रहा है। भारतीय समाज के सीमांत पर बसे सामाजिक समूह लगातार आगे बढ़ रहे हैं। उनके आगे बढ़ने की कहानी, उन समूहों के नायकों के आगे बढ़ने की कहानी से जुड़ी हुई है। ऐसे समूहों के आगे बढ़ने के कई रास्ते हैं और वो इन कई रास्तों से चलकर विकास के चौराहे पर पहुँचते हैं।</p>
<p>इन रास्तों पर चलने में उनकी सबसे ज्यादा मदद उनकी आकांक्षाएँ करती हैं और इन आकांक्षाओं का निर्माण तरह-तरह के प्रेरणाओं से होता है।</p>
<p>इनके आगे बढ़ने की कहानी, इनकी स्मृतियों, संस्मरणों और आत्मवृतों में संरक्षित रहती हैं। हमारा जीवन, हमारी यादें परियोजना के तहत ऐसे ही सामाजिक चरित्र के संघर्ष की गाथा संकलित कर पाठकों के समक्ष सहज और सरल भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
ISBN: 9789395737722
Pages: 136
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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मुक़दमा 1884 के शुरू में दायर किया गया। अगले वर्ष इसमें हुए पहले फ़ैसले के आते ही इसने एक सामाजिक नाटक का रूप धारण कर लिया।
इस युवा विद्रोहिणी की विजय या पराजय पर एक विकृत पारिवारिक-सामाजिक व्यवस्था का भविष्य टिका हुआ था।
रख्माबाई का विद्रोह एक असाधारण घटना थी। इससे पहले कभी किसी स्त्री ने ऐसे क्रान्तिकारी साहस और संघर्ष-शक्ति का परिचय नहीं दिया था।
रख्माबाई के मुक़दमे के दौरान यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो गई कि सर्वोच्च उपनिवेशीय न्यायपालिका की प्रवृत्ति स्त्रियों के साथ भेदभाव करनेवाली सामाजिक परम्पराओं और सम्बन्धों को बनाए रखने की थी।
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