Tata Steel Ka Romance
Author:
R.M. LalaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Management0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Unavailable
‘टाटा परिवार’ की कहानी इतिहास ने ख़ुद अपने हाथों से लिखी। कोई सौ साल पहले जमशेतजी टाटा ने भारत के तत्कालीन राज्य सचिव लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टन से निवेदन किया था कि वे भारत का पहला इस्पात कारख़ाना शुरू करने में ब्रिटिश शासन की ओर से सहायता करें। इधर कुछ ही समय पहले टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी ने अपने पंजीकरण की सौवीं वर्षगाँठ पर एंग्लो-डच इस्पात कम्पनी ‘कोरस’ को खरीदा और इस तरह इतिहास का एक चक्र पूरा हुआ।</p>
<p>आर.एम. लाला ने अपनी इस पुस्तक में टाटा स्टील के सौ सालों के इतिहास का अन्वेषण किया है, जिसमें उन्होंने लौह अयस्क और कोकिंग कोल की तलाश में बैलगाड़ियों में जंगल-जंगल भटकने से लेकर, कम्पनी के मौजूदा विश्वस्तरीय स्वरूप का वर्णन किया है। इस क्रम में लेखक ने उन लोगों के साहस, दृष्टि और प्रतिबद्धता की अभी तक अनचीन्ही भावनाओं को स्वर दिया है जिन्होंने भारत की पहली आधुनिक औद्योगिक इकाई की रचना की। इस कहानी में आर.एम. लाला टाटा स्टील के सामने आई उन तमाम बाधाओं का जिक्र भी करते हैं जिनसे संघर्ष करते हुए कम्पनी ने आख़िरकार जीत हासिल की। इसमें वित्तीय संसाधनों की जद्दोजेहद, सरकारी नियंत्रणों के बावजूद आगे बढ़ने की हिम्मत, मज़दूरों के लिए मानवीय कार्य स्थितियाँ बनाने की कोशिशें, उदारीकरण के दौर में प्रतिस्पर्द्धा में बने रहने का हौसला आदि तमाम पहलुओं को रेखांकित किया गया है।</p>
<p>दुर्लभ तथ्यात्मक सामग्री और चित्रों को समाहित कर लेखक ने इस पुस्तक को संग्रहणीय और पठनीय बना दिया है।
ISBN: 9788126717798
Pages: 247
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: महाभारत के चरित्रों में अकेले कृष्ण हैं, जिनका किसी न किसी रूप में प्रायः सभी चरित्रों से जुडाव रहा। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे सिंहासन पर विराजमान सम्राट से लेकर गली-कूचों में घूमनेवाली ग्वालिनों तक सबसे उनके स्तर पर जाकर संवाद ही नहीं कर लेते थे, उन्हें अपनी नीति और राजनीति का पोषक भी बना लेते थे। बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक देश-भर में उन्होंने जो किया और जैसे किया, उनके सिवा और कौन कर सका? अपने हर काम से वे विपक्षी को पस्त-परास्त और निरस्त्र ही नहीं कर देते थे, उसे अपना अनुरक्त भी बना लिया करते थे। अपने कारनामों के औचित्य के अदभुत-अपूर्व तर्क भी वे जुटा लिया करते थे। धरती के भविष्य को सँवारने और पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ सबको प्यार देने और सबका प्यार पाने में कृष्ण पूर्णतः सफल सिद्ध हुए। योगेश्वर कृष्ण की क्रन्तिकारी नीतियों, सफल रणनीतियों, दार्शनिक विचारों और नेतृत्व की अदभुत शैलियों को प्रबन्धन की दृष्टि से विवेचित-विश्लेषित करनेवाली हिन्दी की एक ऐसी पुस्तक, जिसे पढ़कर आप भी अपने जीवन को कृष्ण की तरह एक विजेता के रूप में ढाल सकते हैं।
Bharat Ki Shatabdi
- Author Name:
Kamalnath
- Book Type:

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Description:
विगत कुछ वर्षों में भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है और आज वह अपने नागरिकों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अरबों की सम्पत्ति का सृजन कर रहा है। प्रश्न है कि भारत ने ग्लोबल मार्केट में यह निर्णायक स्थिति कैसे हासिल की? इतना ही अहम सवाल यह भी है कि भारत की व्यावसायिक सम्भावनाओं और विभिन्न उद्योगों में उल्लेखनीय वृद्धि क्षमता का उपयोग पश्चिमी विश्व कैसे कर सकता है और कैसे वह दुनिया के इस विशालतम लोकतंत्र के साथ एक लाभदायक रिश्ता क़ायम कर सकता है? इन सवालों के जवाब भला श्री कमलनाथ से बेहतर कौन दे सकता है। देश के भीतर और बाहर विश्व में इक्कीसवीं सदी के भारत का चेहरा कहे जानेवाले और भारत के आर्थिक सुधारों के प्रमुख शिल्पकार कमलनाथ का पूरा जीवन सत्ता के गलियारों में बीता है और जिन नीतियों ने भारत को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, उनके निर्माण में भी उनकी अहम भूमिका रही है।
‘भारत की शताब्दी’ पुस्तक में श्री कमलनाथ भारतीय आर्थिक चमत्कार की जड़ों तक पहुँचने के लिए ‘फ़्लैट वर्ल्ड’ की अवधारणा से आगे जाते हैं और गहन आर्थिक विश्लेषण, राजनीतिक अन्तर्दृष्टि तथा सांस्कृतिक समझ के द्वारा 1947 में औपनिवेशिक शासन के ख़ात्मे से लेकर नियोजित अर्थव्यवस्था के चार दशकों और 1990 के दशक में क्रमबद्ध उदारीकरण से होते हुए एक विश्व-शक्ति के रूप में भारत के उभरने तक की यात्रा का अन्वेषण करते हैं।
इस पुस्तक में श्री कमलनाथ भारतीय जन-गण की ‘जुगाड़’ की क्षमता को रेखांकित करते हुए उसकी सदियों पुरानी उद्यमशीलता की तरफ़ भी संकेत करते हैं जो आज फिर समाज के हर स्तर पर अपने आपको स्वतंत्रतापूर्वक अभिव्यक्त कर रही है। इसी के साथ एक राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में वे व्यवसायियों और विश्व के नीति-निर्माताओं के लिए वह आधारभूत समझ भी उपलब्ध कराते हैं जिसका उपयोग 21वीं सदी में भारत के साथ लाभदायक द्विपक्षीय सम्बन्धों और नीतियों की रचना में किया जा सकता है।
यह पुस्तक व्यावसायिक रणनीतिकारों और सार्वजनिक नीति-निर्माताओं के साथ-साथ हर उस विचार-सम्पन्न पाठक के लिए अनिवार्य है जो विश्व के सबसे विशाल और सबसे गतिशील लोकतंत्र यानी भारत के बारे में जानना चाहता है और उस भूमिका को समझना चाहता है जिसे आनेवाले वर्षों में यह देश विश्व मंच पर निभाने जा रहा है।
Change Management Aspects
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Change management is an essential aspect of any business or organization. It involves the process of understanding, planning, and implementing changes in order to improve the overall performance and effectiveness of a company. Change management can be used to address various issues including organizational structure, processes, culture, technology implementation and customer service. The book “Change Management Aspects” by Dr. Sanjay Rout provides readers with a comprehensive look at how change should be managed within an organization in order to ensure success and growth over time. The book covers topics such as establishing goals for change initiatives; developing strategies for managing resistance; creating effective communication plans; assessing risks associated with changes; monitoring progress during implementation stages; evaluating outcomes after completion of projects etc., which provide readers with valuable insights on how they can successfully implement change within their own organizations or businesses.. Overall this book is highly recommended for anyone who wants to understand more about successful change management techniques that will help them achieve better results from their efforts while reducing risks associated with making major modifications within their organizations or businesses . This detailed guide also includes case studies from real-world scenarios so readers have a better understanding on what works best when it comes to introducing new ideas into existing structures without causing too much disruption along the way
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