Bindu Sindhu Ki Oor
Author:
VairamuthuPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
भारतीय साहित्य के वर्तमान युग के शलाका-पुरुष कमलेश्वर जी के शब्दों में—‘समकालीन कविता परिदृश्य पर तमिल कवि वैरमुत्तु ने जिस तरह अपने अनुवाद के साथ हिन्दी में उपस्थिति दर्ज की है, उससे साबित होता है कि कविता भाषाओं की सीमा में बँधी नहीं रह सकती। इन कविताओं में वैरमुत्तु अपनी सम्पूर्ण प्रतिभा और कलात्मक प्रखरता के साथ मौजूद हैं। वह शब्दों को ध्वजा की तरह फहराकर कविता नहीं बुनते, वरन् समय को पकड़कर कविता में ही भविष्य का सपना गूँथ देते हैं। वे जीवन में शेष हो चली आस्थाओं की पुनर्रचना करते हैं। उनके शब्दों में संवेदना की छायाएँ झाँकती हैं।...कवि के रचना-संसार में वह सब कुछ है जिसके माध्यम से वह आत्मा की क्षत-विक्षत स्मृतियों में जाकर समय की संवेदना और खुद की सृजनशीलता के मानवीय स्रोतों को खोजता है, तब ही कविता क्लासिकी रंगत के साथ पाठकों को झकझोरने लगती है।’</p>
<p>हिन्दी में विचार-कविताओं के प्रवर्तक तथा स्वप्नदर्शी चिन्तक डॉ. बलदेव वंशी का निरीक्षण है—‘कविताओं में सर्वाधिक मुखर स्वर प्रकृतिपरक कविताओं, प्रकृति-तत्त्वों, प्रकृति-सत्यों, लयों-रंगतों-गतियों एवं विभिन्न बिम्ब-प्रतीकों आदि का है। इसी से कवि की समृद्ध अनुभूतिशीलता, संवेदना, दृष्टिबोध की व्यापकता का परिचय मिलता है और इसी के आधार पर उसके स्वर की प्रामाणिकता भी सिद्ध होती है; क्योंकि प्रकृति अपने आप में एक सत्य है।...निसर्ग (प्रकृति) के साथ ऐसा एकात्म भाव वैरमुत्तु के कवि की ऐसी विरल विशेषता है, जो उन्हें भिन्न एवं महत्त्वपूर्ण बनाती है। युग की बाज़ारवादी, आर्थिक भूमंडलीकरण की अमानवीयता एवं संवेदना-विहीनता के विपरीत वे आत्मिक एवं संवेदनात्मक आग्रहों को लेकर अपनी और भारतीय विश्वदृष्टि की विधेयता सिद्ध कर रहे हैं...‘माटी की गंध’ से भरपूर मस्ती और संघर्ष की साहसिक उत्फुल्लता तथा मज़दूर-ग़रीब-शोषित के प्रति अक्षय आत्मीयता उन्हें बृहत्तर आयामों से जोड़ती है।’</p>
<p>
ISBN: 9788126708222
Pages: 303
Avg Reading Time: 10 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Kavishree
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

- Description: श्री' रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ओजस्वी कविताओं का संग्रह है। कविताओं में प्रखर राष्ट्रवाद, प्रकृति के प्रति उत्कट प्रेम एवं मानव-कल्याण-कामना की मंगल-भावना के दर्शन होते हैं। 'कविश्री' में संगृहीत हैं दिनकर जी की 'हिमालय के प्रति', 'प्रभाती', 'व्याल विजय' एवं 'नया मनुष्य' जैसी प्रसिद्ध प्रदीर्घ कविताएँ, जो हिन्दी काव्य-साहित्य की अमूल्य निधि हैं। दिनकर का काव्य-व्यक्तित्व जिस दौर में निर्मित हुआ, वह राजसत्ता और शोषण के विरुद्ध हर मोर्चे पर संघर्ष का दौर था। इसलिए 'कविश्री' में संकलित रचनाओं को पढ़ना भारतीय स्वाधीनता-संग्राम में साहित्य के योगदान से भी परिचित होना है। अपने ऐतिहासिक महत्त्व के कारण पाठकों के लिए एक संग्रहणीय और अविस्मरणीय संग्रह।
Kabeer Ke Sau Pad
- Author Name:
Rabindranath Thakur
- Book Type:

-
Description:
कबीर के प्रति रवीन्द्रनाथ ठाकुर का आकर्षण साहित्य-जगत की अत्यन्त विशिष्ट परिघटना है। कबीर को पढ़कर उनके व्यक्तित्व और रचनाओं से रवीन्द्रनाथ इतने प्रभावित हुए कि उनके चुनिन्दा पदों को अंग्रेजी में अनूदित कर दुनिया के सामने रखना उन्हें आवश्यक लगा। आचार्य क्षितिमोहन सेन द्वारा वाचिक परम्परा से संकलित कबीर के पदों और बेलवेडियर प्रेस से प्रकाशित ‘कबीर वाणी’ को आधार बनाकर उन्होंने कबीर के सौ पदों का अनुवाद किया—‘वन हंड्रेड पोएम्स ऑव कबीर’। उनकी दृष्टि में कबीर इसलिए महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि उन्होंने तमाम कुरीतियों को भेदकर भारत के अन्तर में निहित सत्य को पहचाना और उसी की साधना की। रवीन्द्रनाथ ने विशेष रूप से वे पद चुने जिनमें कबीर का प्रेमी, साधक और आत्मसन्धानी व्यक्तित्व उभरता है तथा जो विरहिनी जीवात्मा के परमात्मा से मिलन के साक्षी हैं। इस तरह कबीर को कबीरपन्थी मठों और अखाड़ों से बाहर निकलकर प्राच्य और पाश्चात्य जगत के सामने लाने में उन्होंने महती भूमिका निभाई।
रवीन्द्रनाथ के कबीर सम्बन्धी इस रचनात्मक प्रयास का निस्सन्देह ऐतिहासिक महत्त्व है, जिसको रेखांकित करते हुए वरिष्ठ लेखक-अनुवादक रणजीत साहा ने यह पुस्तक ‘कबीर के सौ पद’ तैयार की है। इसमें ‘वन हंड्रेड पोएम्स ऑव कबीर’ और उसके लिए इसमें प्रख्यात विद्वान एवलिन अंडरहिल द्वारा लिखी गई सुचिन्तित भूमिका का हिन्दी अनुवाद तो है ही, आचार्य क्षितिमोहन सेन द्वारा संकलित संग्रह से इन पदों के मूल पाठ भी दिए गए हैं। कहना न होगा कि साहित्य के अध्येताओं और शोधार्थियों से लेकर सामान्य पाठकों तक के लिए यह एक पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक है।
Shrikant Verma Sanchayita
- Author Name:
Udyan Vajpeyi
- Book Type:

- Description: श्रीकान्त वर्मा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी के सम्भवत: सबसे ऊर्जस्वित लेखकों में हैं। वे मूर्धन्य कवि हैं, सटीक कहानीकार हैं, और अनोखे उपन्यासकार। वे उन विरले कवियों में हैं जिन्होंने अपने भीतर से होकर बहती पिघलते लोहे-सी काव्य-धारा को पूरे धीरज से सहा और उसे बिल्कुल नए काव्य-विन्यासों में ढाला। यह भी सच है कि कई बार इस पिघले लोहे के-से काव्य-आवेग ने उन्हें धीरज बरत सकने का अवकाश नहीं दिया या शायद अपने घुमड़ते काव्य-आवेग के आगे कवि का धीरज निष्फल हो गया लेकिन तब यह काव्य-आवेग या काव्य-संवेदन उन्हीं की कविताओं के सुघड़ विन्यासों में आसपास, यहाँ-वहाँ चिनगारियों की तरह बिखर गया। शायद इसीलिए उनकी कविताएँ उनके काव्य-संयम और काव्य-असंयम का विलक्षण साक्ष्य और फलन हैं। उनके धीरज और उनकी हड़बड़ी दोनों का पारदर्शी अंकन। ऊर्जस्वित कवि होने के साथ-साथ श्रीकान्त वर्मा पक्के गद्यकार भी हैं। उनका गद्य गद्य की सारी शर्तों पर खरा उतरता गद्य है। उसमें वाक्य-सौन्दर्य है पर ‘कवितायी’ नहीं, उसमें विवरण हैं पर फिजूल ढीलापन नहीं। शायद इतना कसा हुआ गद्य बहुत कम लेखकों ने लिखा होगा। उन्होंने कहानियाँ, उपन्यास, यात्रा-वृत्तान्त और निबन्ध लिखे हैं। श्रीकान्त वर्मा शायद हिन्दी में कविता के सर्वश्रेष्ठ अनुवादक भी रहे हैं। उन्होंने कई रूसी, जर्मन, जापानी, फ्रांसीसी, हंगारी और मैक्सिकन कविताओं के अनुवाद किए। इस संकलन में उनमें से कुछ अनुवादों को भी शामिल किया जा रहा है।
O RANGREJ
- Author Name:
Anuradha Chandel 'OS'
- Book Type:

- Description: Poems
Usi Ke Naam
- Author Name:
Alok Yadav
- Book Type:

-
Description:
ख़ुशफ़िक्र शाइर आलोक यादव से मेरा तअल्लुक़ उतना ही पुराना है जितना ख़ुद उनका ग़ज़ल से। तक़रीबन तीन साल क़ब्ल ग़ज़ल से मुताल्लिक़ बुनियादी मालूमात और मुनासिब मशवरों के लिए उन्हें किसी की तलाश थी। उनकी यह तलाशो-जुस्तजू हमारे तअल्लुक़ का सबब बनी।
उनके पास क़ाबिलियत भी है और सलाहियत भी, हस्सास दिल भी है और दुनिया को उसके तमाम रंगों के साथ देखनेवाली नज़र भी। उनकी शायरी में ख़ुलूसो-मोहब्बत के जज़्बों, समाजी क़द्रों, आला उसूलों और इनसानी रिश्तों का एहतराम भी है और ज़ुल्म, जब्र, नाइंसाफ़ी और इस्तहसाल के ख़िलाफ़ मोह्ज़्ज़ब एहतिजाज भी। उनके अशआर एक तरफ़ उर्दू से उनके वालिहाना लगाव का ऐलान करते नज़र आते हैं तो दूसरी तरफ़ हिन्दी से उनके मज़बूत रिश्ते और गहरी रग़बत के ग़म्माज़ भी हैं।
अपने शेरी सफ़र के इब्तिदाई दौर ही में अगर कोई इस तरह के चन्द अशआर कहने में कामियाब हो जाए तो उसे अपने शेरी मुस्तक़बिल के ताबनाक होने की उम्मीद बाँधने में झिझक नहीं होती।
हदे-ईमान से आगे मैं जाना चाहता हूँ पर
अभी ईमान आधा है, अभी लग़्ज़िश अधूरी है
मेरे लिए हैं मुसबित ये आईनाख़ाने
यहाँ जमीर मेरा बेनक़ाब रहता है
ख़ुदा करे मंज़िलों की तरफ़ उठनेवाला उनका पहला क़दम ‘उसी के नाम’ ख़ातिख़्वाह पज़ीराई हासिल करे और उनके हौसलों के चराग़ कभी मद्धम न हों।
—अकील नोमानी
Neend Ka Rang
- Author Name:
Sara Shagufta
- Book Type:

-
Description:
मैंने आसमान से एक तारा टूटते हुए देखा है। बहुत तेज़ी से आसमान के ज़हन में एक जलती हुई लकीर खींचता हुआ... जो तारा मैंने टूटता हुआ देखा उसका भी एक नाम था : सारा शगुफ़्ता। उस तारे के टूटते वक़्त आसमान के ज़हन में जो लम्बी और जलती हुई लकीर खिंच गई थी वह लकीर सारा शगुफ़्ता की नज़्म थी।
—अमृता प्रीतम, ‘एक थी सारा’ से
जहाँ तक सारा शगुफ़्ता के अनुभवों की बात है, तो मेरे नज़दीक उनमें सब से ऊँचा उसका प्रतिरोध का स्वर है। यह वह औरत है जिसे बचपन में भावनात्मक और शारीरिक स्तर पर प्रताड़ित किया गया, चार मर्दों ने तलाक़ दी, बच्चों ने छोड़ दिया, मुशायरा सर्किल ने बहिष्कृत किया, लेकिन यही वह औरत भी है जिसने इन हालात के सामने चुप रहने से इंकार कर दिया। अगर उसकी काव्य-शैली की बात की जाए, तो वह उर्दू-फ़ॉर्मलिज़्म के बर्तन को उठाकर खिड़की के बाहर फेंक देती है—शगुफ़्ता आज़ाद नज़्म के स्वरूप को तोड़ती-फोड़ती है, तहस-नहस कर डालती है, और नए सिरे से नए साँचे में ढालती है।
—असद अलवी, अनुवादक और समालोचक
सारा शगुफ़्ता की पहुँच उन हक़ीक़तों तक है जिन तक हमारे नस्री शायरी (गद्य कविता) लिखने वाले शायर कभी नहीं पहुँच सके। वह आला सतह की प्रतिभा की मालिक है। इन्सान के ज़हन का जैसा बोध उसे हासिल हुआ है वह हम में से किसी को हासिल नहीं।
—क़मर जमील, मशहूर शायर
Karigar Ke Hath Sone Ke Nahi Hote
- Author Name:
Kamleshwar Sahu
- Book Type:

- Description: Collection of Poems
Jeewan Bhi Kavita Ho Sakta Hai
- Author Name:
Vishnu Nagar
- Book Type:

- Description: Poems
Subhadra Kumari Chauhan Ki 75 Kavitayen
- Author Name:
Anil Kumar
- Book Type:

- Description: सुभद्रा कुमारी चौहान आधुनिक हिंदी साहित्य की ऐसी लोकप्रिय कवयित्री हैं, जिनकी कविताओं ने स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भारतीयों के होंठों का गीत बनकर गाँव-गाँव, गली-गली स्वाधीनता का अलख जगाया। उन्होंने ऐतिहासिक और राष्ट्रीय भावनाओं को समसामयिक व राजनीतिक जीवन के तात्कालिक संदर्भों से जोड़ा। उनकी कविता में राष्ट्रीयता 'प्रलयंकारी उच्च घोषणाएँ' बनकर नहीं आई, वरन उसने संघर्षमयी चेतना के रूप में आकार पाया। देशभक्ति की निर्भीक अभिव्यक्ति से साहित्य और राजनीति में उन्होंने अपना विशेष स्थान बनाया।
Pratinidhi Shairy : Akhtar Sheerani
- Author Name:
Akhtar Sheerani
- Book Type:

-
Description:
1905 में रियासत टोंक में जन्मे दाउद ख़ान शीरानी, जो आगे चलकर ‘अख़्तर’ शीरानी के नाम से मशहूर हुए, एक बहुत ही अमीर और प्रभावशाली पिता के पुत्र थे। देश-विभाजन से पहले ही उनके पिता हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी लाहौर आकर बस गए और यहाँ भी उनको वही मर्तबा हासिल हुआ जो टोंक में हुआ करता था। ज़ाहिर है कि नौजवान दाउद ख़ान के लिए पैसे-कौड़ी की कोई समस्या नहीं थी; शायरी भी उनके लिए पैसा कमाने का ज़रिया नहीं, शौक़ थी। फिर क्या कारण है कि यही दाउद ख़ान शीरानी बीच में ही तालीम से बेज़ार होकर आवारागर्दी को अपना मशग़ला बना बैठे? क्या कारण है कि ‘अख़्तर’ बनकर उन्होंने ख़ुद को शराब में डुबो लिया? वह कौन सी प्रेरणा थी जिसने उनके और उनके वालिद या घरवालों के बीच कोई सम्बन्ध लगभग छोड़ा ही नहीं? वह कौन सी कसक थी जो उनको हिन्दुस्तान के कोने-कोने में लिए फिरी? इस और ऐसे ही दूसरे अनेक सवालों के जवाब अभी भी पूरी तरह और सन्तोषजनक ढंग से सामने नहीं आए हैं। लेकिन इतना तय है कि ‘अख़्तर’ शीरानी एक बहुत ही निराशाजनक सीमा तक अपने माहौल से कटे हुए थे, और उनके व्यक्तित्व की ठीक यही विशेषता उनके कृतित्व की निर्धारक शक्ति भी बनी।
रहा सवाल ‘अख़्तर’ साहब की शायरी का, तो इसमें शक़ नहीं कि वे बहुत कम उम्र में ही कुल-हिन्द शोहरत के शायरों में गिने जाने लगे थे और पत्र-पत्रिकाओं में उनका कलाम छपने के लिए होड़-सी लगी रहती थी। लेकिन उनकी उदासीनता का, दुनिया से बेज़ारी का आलम यह था कि अपने जीवनकाल में उन्होंने अपना संग्रह प्रकाशित कराने की तरफ़ ध्यान तक नहीं दिया; उनकी रचनाओं का संकलन उनकी मृत्यु के बाद ही हुआ। नागरी लिपि में ‘अख़्तर’ की अभी तक बहुत छोटे-छोटे दो-एक चयन ही सामने आए हैं जो कि पाठक की प्यास को बुझाने का पारा नहीं रखते। मगर यह शिकायत प्रस्तुत संकलन को लेकर नहीं आएगी, इसका हमें विश्वास है।
Dehari Ka Man
- Author Name:
Prabha Thakur
- Book Type:

- Description: ‘देहरी का मन’ संवेदनशील व विचारप्रवण कविताओं के लिए चर्चित डॉ. प्रभा ठाकुर का महत्त्वपूर्ण कविता-संग्रह है। इन कविताओं में निष्करुण सामाजिक यथार्थ एवं व्यापक मानवतावाद से सम्बुद्ध मन का द्वन्द्व समाहित है। सभ्यता के चरण पार करते हुए समाज जिस पथ पर अग्रसर है, उसका लक्ष्य क्या है—इस नाभिक से छिटके प्रश्न ‘देहरी का मन’ में पाठक से संवाद करते हैं। इस संग्रह से यह भी आभास होता है कि प्रभा ठाकुर की रचनात्मक यात्रा कितनी वैविध्यपूर्ण है। ‘अपनी बात’ में वे कहती हैं, “कुछ फूल चुनकर भरे थे आँचल में, पता ही नहीं चला कैसे कुछ काँटे भी ख़ुद-ब-ख़ुद ही साथ चले आए। फूल तो मुरझाकर बिखर भी गए, किन्तु काँटे सूखकर और भी पैने और सख़्त हो गए हैं। वैसे भी इतने वर्षों की जीवन-यात्रा के बाद, उम्र के इस पड़ाव पर पहुँचकर, यही सोचती हूँ, कहाँ खड़ी हूँ मैं? किसी शिखर पर, ढलान पर या फिर हाशिए पर...!’’ आत्ममूल्यांकन की यह सघन प्रक्रिया सामाजिक विसंगतियों की पहचान का प्रखर माध्यम बनती है। गीतात्मक अभिव्यक्तियाँ स्मृतियों और अनुभूतियों के सम्मिश्रण से मोहक परिवेश रच देती हैं। इन पंक्तियों में जीवन का एक बड़ा सच झाँक रहा है : ‘रेत का बना था घर, बार-बार टूटा/कच्चा रंग रिश्तों का बार-बार छूटा/आँगन से पनघट तक, काई ही काई/माटी का घट भरकर, बार-बार फूटा/अपना ही हवन करें और एक बार।’ समकालीन हिन्दी कविता (विशेषकर गीत-कविता) में प्रभा ठाकुर की ये रचनाएँ उन्हें विशिष्ट सिद्ध करती हैं। भाषा, छन्द, संरचना और स्वभाव की दृष्टि से ‘देहरी का मन’ एक प्रीतिकर और संग्रहणीय संग्रह है।
Divya Gandha
- Author Name:
Aadya Swaroop Pandey
- Book Type:

-
Description:
जैसे पानी तत्त्वत: दो हाइड्रोजन और एक ऑक्सीजन अणु का रासायनिक संयोजन है, उसी प्रकार दो नारियाँ गंगा और सत्यवती समान रूप से दिव्य हैं—एक पारलौकिक मिथकों के आधार पर और दूसरी लौकिक इतिवृत्त के आधार पर।
( इसी पुस्तक की भूमिका से)
Wah Aadami Naya Garam Coat Pahinkar Chala Gaya Vichar Ki Tarah
- Author Name:
Vinod Kumar Shukla
- Book Type:

-
Description:
विनोद कुमार शुक्ल की कविता, उस पूरे काव्यानुभव को एक विकल्प देती है जिसके हम अभ्यस्त हैं। हम जैसे सिर्फ़ एक क़दम उठाकर एक ऐसी दुनिया में आ जाते हैं जो बहुत बड़ी है, जहाँ चाहें तो उड़ा भी जा सकता है। यह कविता आपको बदल देती है। आपके पढ़ने और आपके जीने, दोनों की आदत को।
वह पहले आपको एक अलग भाषा देती है, फिर देखने का, महसूस करने का एक अलग तरीक़ा। एक सामर्थ्य जो हमें अपने आसपास मौजूद तमाम चीज़ों के प्रति नए सिरे से जीवित कर देती है। विनोद कुमार शुक्ल न आपको विचार देते हैं, न सन्देश, बस दुनिया में होने का एक हल्का, सरल और मानवीय ढंग देते हैं, एक विज़न, जहाँ वह सब ख़ुद चला आता है, जिसे मनुष्यों, पेड़ों, हवाओं, आसमानों, आदिवासियों, समुद्रों, नदियों, मिट्टियों, पत्तियों, चिड़ियाओं, लड़कियों, बादलों और मज़दूरों की इस दुनिया में होना चाहिए।
‘वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह’ विनोद कुमार शुक्ल का दूसरा कविता संकलन है जो 1981 में प्रकाशित हुआ था। काफ़ी समय से यह अनुपलब्ध था।
Hanso Hanso Jaldi Hanso
- Author Name:
Raghuvir Sahay
- Book Type:

-
Description:
रघुवीर सहाय विडम्बना के खोजी कवि हैं। समाज और उसके ऊपर-नीचे खड़ी-पड़ी तमाम संरचनाओं, यथा राजनीति, शासन-प्रशासन और ताक़त से बने या ताक़त से बिगड़े अनेक मूर्त-अमूर्त फ़ॉर्म्स को वे एक नई और असंलग्न निगाह से देखते हैं। इस बहुपठित-बहुचर्चित संग्रह की अनेक कविताएँ, जिनमें अत्यन्त प्रसिद्ध कविता, 'रामदास' भी है उनकी उसी असंलग्नता के कारण इतनी भीषण बन पड़ी है। वह असंलग्नता जो अपने समाज से बहुत गहरे, बेशर्त जुड़ाव के बाद किसी शुभाकांक्षी मन का हिस्सा बनती है।
वे इस समाज और उसको चला रही व्यवस्था को बदलने की इतनी गहरी आकांक्षा से बिंधे थे कि कविता भी उन्हें कवि न बनाकर एक चिन्तित सामाजिक के रूप में प्रक्षेपित करती थी। इसीलिए उनकी हर कविता अपनी पूर्ववर्ती कविता के विस्तार की तरह नहीं, एक नई शाखा की तरह प्रकट होती थी। यह संग्रह अपने संयोजन में स्वयं इसका साक्षी है कि हर कविता न तो शिल्प में, और न ही भाषा में अपनी किसी परम्परा का निर्माण करने की चिन्ता करती दिखती और न किसी और काव्य-परम्परा का निर्वाह करती। हर बार उनका कवि समाज नामक दु:ख के इस विस्तृत पठार में एक नई जगह से उठता दिखाई देता है और पीड़ा के एक नए रंग, नए आकार का ध्वज लेकर।
ये कविताएँ बार-बार पढ़ी गई हैं और बार-बार पढ़े जाने की माँग करती हैं। आज भी, क्योंकि, हमारे समूह-मन की जिन दरारों की ओर इन कविताओं ने संकेत किया था, आज वे और गहरी हो गई हैं।
Goth Mein Bagh
- Author Name:
Bhupendra Bisht
- Book Type:

- Description: Collection of Hindi Poems भूपेन्द्र बिष्ट अपने दैनिक अनुभवों को कविता का विषय बनाते हैं। अपनी कविता के लिए वह किसी अतिरिक्त बिम्ब-प्रतीक का सहारा लिए बगैर जीवन और जगत के अपने अनुभवों को अभिव्यक्त करते हैं। यही कारण है कि उनकी अधिकांश कविताएँ इतिवृत्तात्मक और आख्यानपरक हैं। कहीं दो जून की रोटी के लिए सैकड़ों मील पैदल चलते मज़दूर हैं, कहीं गोबर पाथती स्त्री है तो कहीं पहाड़ की वे औरतें हैं जो सारे घर के सो जाने के बाद भी अपने दैनिक काम में लगी रहती हैं। कवि के लिए हर वह व्यक्ति कविता का आलंबन है, जिसके संपर्क में वह आते हैं। उनका मानना है कि 'हर आदमी के भीतर एक उपन्यास होता है।' 'गोठ में बाघ' की कविताएँ कवि की संवेदनशीलता और सृजन के विस्तृत फलक को प्रमाणित करती हैं। यहाँ पहाड़ से लेकर मैदान तक के जीवन राग और रंग 'शूल और फूल' के साथ कायम हैं। साथ ही हैं प्रकृति के विविध रंग, जो जीवन-यथार्थ से अलग नहीं, संपृक्त हैं। यहाँ अपने परिवार के लिए 'जाड़े में ठिठुरते पिता' हैं और माँ भी— 'बचपन में छिपा दी गई/उसकी तख्ती और दवात/और इस तरह दूर रखा गया/उसे वर्णमाला सीखने से।' पहाड़ पर घास काटती स्त्री और उस घास के लिए रंभाती गाय के बीच जो संबंध कवि बिष्ट देखते हैं, वह उनकी संवेदनशीलता का प्रमाण है। राजू श्रीवास्तव पर एक कविता में वह पूछते हैं कि 'हमारी घर-गृहस्थी के हर हल्ले में शामिल राजू/ 'स्टैंडअप कॉमेडी' के बारे में कितना जानते थे।' तो मीराबाई चानू से कहते हैं, 'जब तुम वतन लौटोगी/तो छाता रख लेना एक/यहाँ बारिश का मौसम है/इन दिनों।' —श्रीधरम
Rang Hasi Ke
- Author Name:
Mahesh Garg "Bedhadak"
- Book Type:

- Description: हम जब भी घर गए हम जब भी घर गए अक्सर उधर गए पर छत पर चाँद को बरसों गुज़र गए उनको पता भी है कि नहीं किसको पता है बुढ़ापे का सच सर ऊपर चाँदी उगी, याददाश्त कमज़ोर पीठ धनुष जैसी हुई, कच्ची उम्र की डोर कच्ची उम्र की डोर, दाँत ले रहे हिलोरें छू-मंतर मुस्कान, नज़र हुई कमज़ोर नज़र गड़ाए बीवी कहती—हाय! अभी से तुम सठियाए।
Apne Aakash Mein
- Author Name:
Savita Bhargav
- Book Type:

-
Description:
सविता भार्गव के पहले काव्य-संकलन का नाम था—'किसका है आसमान’। पाँच-छह साल बाद 'किसका' जैसे प्रश्न से मुक्त होकर कवयित्री ने स्वयं के आकाश की रचना कर ली है।
'अपने आकाश में' की कविताएँ जीवन-विवेक और काव्य-विवेक में बड़े परिवर्तन का संकेत देती हैं। पहले संकलन में यथार्थ और उसकी जो रचना-कला है, उससे सम्बन्ध बनाए रखते हुए नई 'सामर्थ्य'—जिसमें यथार्थबोध और आत्मबोध का गहरा मुठभेड़ दिखाई पड़ता है—का परिचय दिया गया है। इसे यथार्थ पर रोमांटिक वेग के दबाव के रूप में भी देख सकते हैं। सविता कविता में बार-बार अपनी छवि गढ़ने की कोशिश करती हैं। तरह-तरह की छवियाँ निश्चित बेजान होतीं, अगर स्वयं तक सीमित होतीं। उनकी शक्ति यह है कि वे एक ओर स्त्री के निगूढ़ संसार को प्रतिबिम्बित करती हैं, दूसरी ओर उस समाज को जिसमें स्त्री साँस लेती है। स्त्री-छवि को जिस तरह से वे गढ़ती हैं, उसमें पुरुष की अलग से छवि रचने की आवश्यकता बहुत कम रह जाती है। नारीवादी कवयित्रियों से सविता इस मायने में भिन्न हैं कि वे पुरुष समाज के प्रति आलोचना का भाव रखती अवश्य हैं, किन्तु पुरुष के प्रति समूचे मन से निष्ठा का परिचय देती हैं। वे इस विश्वास का परिचय देती हैं कि स्त्री स्वतंत्र तारिका है, लेकिन उसकी आत्मा ईमानदार और सम्पूर्ण पुरुष के प्रति समर्पित है।
सविता पुरुष-सत्ता का विरोध भी मज़े-मज़े में करती हैं। एक कविता है—'पुरुष होना चाहती
हूँ'। उसमें अपनी देह से पुरुष के 'गुनाह' का आनन्द पुरुष बनकर लिया गया है।सविता में अन्तर्बाधा नहीं है। साहसी कवयित्री हैं—स्त्री के आत्मविश्वास की कवयित्री। अच्छी बात यह है कि स्त्री की 'सच्ची प्रतिमा' गढ़ने की ललक उनकी मुख्य प्रवृत्ति है।
सविता में पर्याप्त आत्ममुग्धता है। आत्मरति है। लेकिन वह खटकती नहीं है। उसमें स्त्री के स्वत्व और सत्त्व, दोनों की प्रतिष्ठा का प्रयास दिखाई पड़ता है। दूसरी बात, सविता में 'स्त्री' और 'कवयित्री' का प्रकृति से तादात्म्य विशेष महत्त्व रखता है। प्रकृति उनके लिए जीने और सीखने की सही जगह है; उसी के ज़रिए सामाजिक अनुभव की कटुता की क्षतिपूर्ति करती हैं। 'अपने आकाश में' संकलन में काव्य-ऊर्जा का नया क्षेत्र तैयार होता दिखाई पड़ता है।
Bandi Jeevan Aur Anya Kavitayen
- Author Name:
Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
- Book Type:

-
Description:
कई महीनों से इन कविताओं की पाण्डुलिपि मुझे लगातार अपने वादे की याद दिलाती हुई मेरे पास थी कि मुझे भूमिका के रूप में कुछ लिखना है। इस दौरान मैंने कई विषयों पर लिखा है, लेकिन यह भूमिका लिखना मेरे लिए अजीब तरह से मुश्किल रहा। मैं कविता का निर्णायक अथवा आलोचक नहीं हूँ, इसलिए कुछ हिचकिचाहट थी। लेकिन मैं कविता से प्यार करता हूँ और इन छोटी कविताओं में से कई ने मुझे बहुत प्रभावित किया। वे मेरी स्मृति में अटक गईं और उन्होंने मेरे जेल-जीवन की यादें ताज़ा कर दीं—और उस अजीब और भुतही दुनिया की भी, जिसमें समाज द्वारा अपराधी मानकर बहिष्कृत लोग अपनी तंग और सीमित ज़िन्दगी को प्यार करते थे। वहाँ हत्यारे थे, डाकू और चोर भी थे, लेकिन हम सब जेल की उस दु:ख-भरी दुनिया में साथ-साथ थे, हमारे बीच एक जज़्बाती रिश्ता था। अपनी एकाकी कोठरियों में ही हम चहलक़दमी करते—पाँच नपे-तुले क़दम इस तरफ़ और पाँच नपे-तुले क़दम वापस, और दु:ख से संवाद करते रहते। दोस्त-अहबाब और आसरा ख़यालों में ही मिलता और कल्पना के जादुई कालीन पर ही हम अपने माहौल से उड़ पाते। हम दोहरी ज़िन्दगी जी रहे थे—जेल की ज़ेरेहुक्म और तंग, बन्द और वर्जित ज़िन्दगी और जज़्बात की, अपने सपनों और कल्पनाओं, उम्मीदों और अरमानों की आज़ाद दुनिया। उन सपनों का बहुत-सा इन कविताओं में है, उस ललक का जब बाँहें उसके लिए फैलती हैं जो नहीं है और एक ख़ालीपन हाथ आता है। कुछ वह शान्ति और तसल्ली जिन्हें हम उस दु:ख-भरी दुनिया में भी किसी तरह पा लेते थे। कल की उम्मीद हमेशा थी, कल जो शायद हमें आज़ादी दे। इसलिए मैं इन कविताओं को पढ़ने की सलाह देता हूँ और शायद वे मेरी ही तरह दूसरों को भी प्रभावित करेंगी।
—जवाहरलाल नेहरू
Symphonies of a Curious Mind
- Author Name:
Hash Kumar
- Book Type:

- Description: We all speak in one language or the other. The many cultures have varieties languages that help them interact with one another. However, our mind sometimes lack the words to express the emotions that it experiences in bouts ecstasy and enlightenment. This book holds a such verses that have not escaped the mind in a way original to the author. Kumar Harsh has put his mind and heart in perfect synchrony and has written these with utmost care and affection. The readers might find it delightful to read. It's a treat for the heart and mind. Symphonies a Curious Mind will take you back to all those unfelt emotions and will remind you things intangible, even those close to touch sometimes. A harmony modern times. Organic, Dexterous, Easy.
He Ram…!
- Author Name:
Mahesh Katare
- Book Type:

- Description: Book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...