Vakeel Paradhi

Vakeel Paradhi

Authors(s):

Laxman Gaiakwad

Language:

Hindi

Pages:

292

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

584 mins

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Book Description

ब्रिटिश शासनकाल में जिन समुदायों को अपराधी के श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया था, उनमें एक पारधी समाज भी है। कभी जंगलों में रहकर अपना जीवनयापन करने वाले इस समाज ने स्वतंत्रता संग्राम में भी खासी भूमिका निभाई थी। आजादी मिलने के बाद देश की सरकार ने उन्हें अपराधी के कलंक से तो मुक्त कर दिया लेकिन पुलिस, प्रशासन और पुलिस की दृष्टि में उन्हें सम्मान आज तक नहीं मिला। यह उपन्यास इसी पारधी समाज की यंत्रणा, पुलिस द्वारा उसके उत्पीड़न और प्रशासनिक उपेक्षा की मार्मिक कहानी बयान करता है। दलित-दमित समाज के हित में लगातार कलम चलाते आ रहे मराठी लेखक लक्ष्मण गायकवाड़ ने इस उपन्यास में बताया है कि रोजी-रोटी की तलाश में खानाबदोश जीवन जीने वाले इस समाज के लोगों को पुलिस किस तरह झूठे मामलों में फँसाकर कैद कर लेती है, फिर अपने अनसुलझे मामलों में उनसे झूठी गवाही दिलवाती है, और उनकी औरतों के साथ बदसलूकी करती है। अपने इस यातनाग्रस्त समाज के लिए लड़ने को हौसले के साथ वकील बनने का सपना सँजोने वाले एक बालक के रास्ते में ताकतवर समाज द्वारा पैदा की जाने वाली अड़चनों के माध्यम से इसमें पारधी समाज के प्रति शेष समाज के रवैये को भी बखूबी स्पष्ट किया गया है। उपन्यास से हमें पारधी समाज के सांस्कृतिक और परिवेशगत जीवन-मूल्यों, उनके दैनिक जीवन की अन्य समस्याओं और सामाजिक संरचना का भी प्रामाणिक परिचय मिलता है।

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