
Mukhauta
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
119
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
238 mins
Book Description
ममता कालिया की नवीनतम और चर्चित कहानियों का संकलन है ‘मुखौटा’। इन कहानियों में रचनाकार ने अपने समय और समाज को परिभाषित करने का भरपूर सृजनात्मक जोखिम उठाया है। संग्रह की हर कहानी में ममता कालिया की प्रयोगधर्मिता और संघर्ष चेतना बोलती है। शीर्षक कहानी ‘मुखौटा’ में छात्र वर्ग में आरक्षण जैसे मुद्दे का यथार्थ तथा ‘रोशनी की मार’ में दलित चेतना का उभार अपने पूरे तेवर के साथ मौजूद है।</p> <p>लेखिका कभी समाज के पूरे परिवेश में समकालीन सरोकार ढूँढ़ती है तो कभी नई स्वातंत्र्योत्तर नारी को उसके पूरे वैभव और संघर्ष में चित्रित करती है। इन कहानियों में अनुभव और अनुभूति की दीप्ति, दृष्टिकोण के खुलेपन के साथ मिलकर हिन्दी कहानी के उस स्वरूप को परिभाषित करती है जिसकी पाठक को हरदम तलाश रहती है। समकालीन कथा लेखन में इस प्रकार के सहज, मेधावी, संवेदनशील और प्रफुल्ल व्यक्तित्व दुर्लभ हैं जो व्यापक समाज के प्रति इतनी बेबाक अभिव्यक्ति कर सकें। सम्बन्धों का खुला स्वीकार और चुनौतियों से साक्षात्कार इस सभी कहानियों का प्रमुख स्वर है। इनमें चालू मुहावरे वाला कटखना नारीवाद नहीं वरन् समग्र जीवन और परिवेश के प्रति सजग, सचेत, प्रतिबद्धता है।