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Authors(s):

Bimal Mitra

Language:

Hindi

Pages:

262

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

524 mins

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Book Description

विमल मित्र का यह प्रयोगधर्मी उपन्यास ‘मैं’ हमारे समय के राजनीतिक एवं सामाजिक यथार्थ को परत-दर-परत सामने लाता है। स्वतंत्रता-पूर्व और पश्चात् की स्थितियों के जो चित्र इस कृति में मौजूद हैं, वे अपने आपमें ऐतिहासिक तथ्य हैं। इसमें एक तरफ़ दिगम्‍बर व नुटु का जीवन-संघर्ष है तो दूसरी ओर ज्योतिर्मय सेन का अन्तर्द्वन्द्व। यह अन्तर्द्वन्द्व साधारण जन का अन्तर्द्वन्द्व भी है जो सही व ग़लत के बीच अक्सर अनिर्णय का शिकार होकर यथास्थितिवादी बना रहता है। दो पुरुष और एक इतर प्राणी को केन्द्र मानकर चलती इसकी कथा अपने परिवेश से असंपृक्त नहीं रहती। इसमें एक ओर मानवीय प्रेम, अस्मिता तथा स्वतंत्रता का संघर्ष है तो दूसरी ओर व्यवस्था का निरंकुश अमानवीय चरित्र उद्घाटित होता है। कुल मिलाकर तीन प्राणियों को केन्द्र मानकर चलने के बावजूद यह कृति आत्मकथात्मक न होकर बीसवीं शताब्दी के भारत की महागाथा है। विविध आयामी यथार्थ चरित्रों के माध्यम से विमल मित्र एक ऐसा संसार रचते हैं, जिसमें प्रेम और वितृष्णा एक साथ उत्पन्न होते हैं।

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