Jindagi Ke Liye Hi
Author:
Ripusudan ShrivastavaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
कविता मौलिक रूप से अनुभव का शाब्दिक विस्तार है। जीवन के तमाम अनुभव जब कल्पना और विचार का साहचर्य प्राप्त करते हैं तब अभिव्यक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। रिपुसूदन श्रीवास्तव का कविता-संग्रह ‘ज़िन्दगी के लिए ही’ एक लम्बे जीवनानुभव को विभिन्न छवियों में व्यक्त करता है।</p>
<p>आज अनेक कारणों से मनुष्य और समाज तथा मनुष्य और प्रकृति के बीच दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। व्यक्ति अपनी जड़ों से दूर होकर एक बनावटी ज़िन्दगी में बन्दी-सा हो गया है। एक उचाटी शाश्वत भाव-सी बन गई है। स्मृतियाँ हैं कि बार-बार वर्तमान पर दस्तक देती हैं। वे क्षण जो बरसों पहले समय की सदी में प्रवाहित हो गए, जाने कैसे आकुलता के जल में उभर आते हैं...इस संग्रह की कविताएँ ऐसे बहुत सारे तथ्यों को नेपथ्य में महसूस करते हुए रची गई हैं। इनकी सहजता-सरलता ही इनका अलंकरण है।
ISBN: 9788183615266
Pages: 71
Avg Reading Time: 2 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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यह बेपहर का’ तुषार का पहला ही कविता-संग्रह है मगर उनका काव्य-मुहावरा प्रचलित समकालीन
काव्य-मुहावरों से नितान्त भिन्न है। आज हिन्दी कविता में जिस तरह की चीख़-पुकार, जिस तरह
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इसके विपरीत तुषार धवल की कविताओं में मितकथन की शैली अपनाई गई है। सादाबयानी और
मितकथन के मेल से उनकी कविताओं का मुहावरा तैयार होता है। उनकी कविताओं में केवल
बौद्धिकता नहीं है सहज रागात्मकता भी है। रागात्मकता जीवन-जगत के प्रति, निजी रिश्तों के प्रति।
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पिता’—केवल सम्बन्धों की परम्परा ही नहीं उनकी कविताओं में हिन्दी की कविता-परम्परा की अनुगूँजें
भी साफ़ सुनाई देती हैं। तुषार की कविताओं में अकविता का आवेश है तो नई कविता सी
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मुक्तिबोध की कविता अपने समय का जीवित इतिहास है : वैसे ही, जैसे अपने समय में कबीर, तुलसी और निराला की कविता। हमारे समय का यथार्थ उनकी कविता में पूरे कलात्मक सन्तुलन के साथ मौजूद है। उनकी कल्पना वर्तमान से सीधे टकराती है, जिसे हम फन्तासी की शक्ल में देखते हैं। नई कविता की पायेदार पहचान बनकर भी उनकी कविता उससे आगे निकल जाती है, क्योंकि समकालीन जीवन के हॉरर की तीव्रतम अभिव्यक्ति के बावजूद वह एक गहरे आत्मविश्वास की उपज है। चीज़ों को वे मार्क्सवादी नज़रिए से देखते हैं, इसीलिए उनकी कविताएँ सामाजिक यथार्थ के परस्पर गुम्फित तत्त्वों और उनके गतिशील यथार्थ की पहचान कराने में समर्थ हैं। वे आज की तमाम अमानवीयता
के विरुद्ध मनुष्य की अन्तिम विजय का भरोसा दिलाती हैं। इस संग्रह में, जिसे मुक्तिबोध और उनके साहित्यिक अवदान की गहरी पहचान रखनेवाले सुपरिचित कवि, समीक्षक
श्री अशोक वाजपेयी ने संकलित-सम्पादित किया है, उनकी प्रायः वे सभी कविताएँ संगृहीत हैं, जिनके लिए वे बहुचर्चित हुए हैं, और जो प्रगतिशील हिन्दी कविता की पुख़्ता पहचान बनी हुई है।
Saptaparna
- Author Name:
Mahadevi Verma
- Book Type:

- Description: मनुष्य की स्थूल पार्थिव सत्ता उसकी रंग-रूपमयी आकृति में व्यक्त होती है। उसके बौद्धिक संगठन से जीवन और जगत सम्बन्धी अनेक जिज्ञासाओं, उनके तत्त्व के शोध और समाधान के प्रयास, चिन्तन की दिशा आदि संचालित और संयमित होते हैं! उसकी रागात्मक वृत्तियों का संघात उसके सौन्दर्य-संवेदन, जीवन और जगत के प्रति आकर्षण-विकर्षण, उन्हें अनुकूल और मधुर बनाने की इच्छा, उसे अन्य मानवों की इच्छा से सम्पृक्त कर अधिक विस्तार देने की कामना और उसकी कर्म-परिणति आदि का सर्जक है।
Pratinidhi Kavitayein: Pawan Karan
- Author Name:
Pawan Karan
- Book Type:

- Description: पवन करण की कविताओं में हमें अपनी जानी-पहचानी दुनिया दिखाई देती है, लेकिन ठीक उसी तरतीब में नहीं, जिस तरतीब में हम उसे देखने के आदी हैं। वे उस दुनिया को भीतर से बदल रहे होते हैं; उसकी आन्तरिक बुनावट को उसके अपने ही औज़ारों से नया रूप देते हुए; और एकदम से इतना भी न बदलते हुए कि वह हमें अनजानी लगने लगे, डराने लगे। वे एक सुलझी हुई दृष्टि के साथ और सहानुभूतिपूर्वक हमारे सामाजिक आत्म को न्याय की एक व्यापक संकल्पना से अनुकूलित करते हैं और हमें अपने अन्यायों को देखने में सक्षम बनाते हैं। स्त्री को उनकी कविता ने एक ऐसी कसौटी के रूप में चीन्हा है जिस पर हमारा वर्तमान और इतिहास, दोनों अपनी मनुष्यता और न्यायबोध को परख सकते हैं। उनकी प्रतिनिधि कविताओं की यह प्रस्तुति उनकी कवि-दृष्टि और काव्य-सामर्थ्य दोनों को समझने में सहायक होगी।
Apra
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

- Description: ‘अपरा’ पहली बार सन् 1946 में प्रकाशित हुई थी, इसमें महाकवि निराला की उस समय तक प्रकाशित उनके सभी संग्रहों में से चुनी हुई कविताएँ संकलित हैं। चयन स्वयं निराला ने किया था, इसलिए इसकी महत्ता स्वतःसिद्ध है। यहाँ संकलित कविताओं से निराला के कवि-रूप का समग्र परिचय प्राप्त किया जा सकता है। इस अर्थ में यह संकलन ‘गागर में सागर’ ही है।
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