Khalifon Ki Basti

Khalifon Ki Basti

Language:

Hindi

Pages:

252

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

504 mins

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Book Description

‘ख़लीफ़ों की बस्ती’ शिवकुमार श्रीवास्तव का दूसरा उपन्यास है—एक नितान्त भिन्न कथा-भूमि पर रचा गया। ‘बिल्लेसुर बकरिया’ और ‘कुल्लीभाट’ की परम्परा में यह उपन्यास लेखक के नए अनुभव क्षेत्र का बखान है। बुंदेलखंड में ख़लीफ़ाओं का माफ़िया राज चलता है। ज़ोर-ज़बर्दस्ती से अपनी बात मनवाना, काइयाँपन से क़ानून की दीवारों में सेंध लगाना तथा शालीनता, मर्यादा और विधि सम्मत जीवन के पक्षधरों को अपना शिकार बनाना इन ख़लीफ़ाओं की पहचान में शामिल है। इस उपन्यास की बस्ती के ख़लीफ़ाओं में छोटे-मोटे नेता हैं, पीत-पत्रकार हैं, नक़ली डॉक्टर हैं, छात्र नेता हैं, ठर्रा उतारनेवाले हैं, बेकार तरुण हैं, साधारण व्यापारी हैं जो अपने स्वार्थ के लिए कुछ भी करने से गुरेज़ नहीं करते।&nbsp;सत्ता और प्रतिष्ठान संरक्षित ये शक्तियाँ आज भी वैसी ही हैं जैसे महाभारत काल में थीं—‘महाभारत’ का एकलव्य आज सखाराम है और द्रोण—उसके तो कई रूप हैं—विधायक, पुलिस इंस्पेक्टर, डॉक्टर।</p> <p>यह उपन्यास दलित-विमर्श नहीं है, लेकिन दलितों के प्रति सवर्णों के रवैए का रोचक और मार्मिक साक्ष्य अवश्य उपलब्ध कराता है। जाति-विभक्त समाज में जातियों के भीतरी अन्तर्घातों और पारस्परिक दाँव-पेंचों की यह कथा हमें विचलित तो करती ही है दुनिया को बेहतर बनाने की प्रेरणा भी देती है।&nbsp;व्यंजक भाषा, बिम्ब बहुल चित्रण और चुटीले संवादों के कारण ‘ख़लीफ़ों की बस्ती’ औपन्यासिक प्रवृत्ति का नया उदाहरण है, जो समाज के हाशिये पर पड़ी हुई जातियों और वर्गों को समाज के मुख्य प्रवाह में लाने की रचनात्मक कोशिश करता है।

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