Tishnagi
Author:
Minu BakshiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 360
₹
450
Available
मीनू बख़्शी की शायरी का बुनियादी सरोकार दिल और मामलाते-दिल के इज़हार से तअल्लुक़ रखता है। महाकवि ‘मीर’ की तरह वे भी ‘बीमारिए-दिल’ की मारी हुई महसूस होती हैं। यही वजह है कि प्रेम की रागात्मकता उनकी शायरी के आसमान पर बादल बनकर छाई हुई है। उनके यहाँ प्रतिरोध या प्रतिवाद का स्वर सुनाई नहीं देता। एक अदाए-दिलबराना जिसे आप शोख़ी का नाम दे सकते हैं, के साथ समर्पण का भाव उनकी रचनात्मक प्रक्रिया में हर क़दम पर अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करता है यानी प्रेम की बहुआयामी भंगिमाओं को शब्दबद्ध करने में वे कमाल का हुनर रखती हैं। वे अपनी समकालीन स्त्रीवादी (Feminist) कवयित्रियों की तरह अपनी शायरी में चीख़ती-चिल्लाती और ‘क़यामत का-सा हंगामा’ खड़ा करती कहीं दिखाई नहीं देतीं। विशेषतः वे अपनी ग़ज़लों में ज़्यादा गम्भीर हो जाती हैं।</p>
<p>मीनू बख़्शी के यहाँ प्रेम और भक्ति के बीच एक पुल-सा बनता हुआ दिखाई देता है। यानी वे अपनी शायरी में प्रेम की दुनिया से अध्यात्म की दुनिया का भी सफ़र करती हैं जिसके कारण उनकी शेरी फ़ज़ा चन्दन की सुगन्ध और लोबान की ख़ुशबू से भर जाती है।</p>
<p>मीनू बख़्शी रिवायत (tradition) का एहतराम करनेवाली शायरा हैं; लेकिन ऐसा भी नहीं कि उनके यहाँ नवीनता नहीं पाई जाती। उनकी ग़ज़लों, नज़्मों और क़ित्ओं में आधुनिकताबोध भी पाया जाता है, लेकिन मिसरों की संरचना और शब्दों के प्रयोग में वे काव्यशास्त्र के पारम्परिक सिद्धान्तों का ही पालन करती हैं जिसकी वजह से उनकी शायरी क्लासिकी रंग में डूब जाती है।</p>
<p>—ज़फ़र अंसारी ‘ज़फ़र’
ISBN: 9788126722310
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी कविता के परिदृश्य में त्रिलोचन की कविता का महत्त्व असाधारण रूप से बढ़ा है। यह एक दिलचस्प तथ्य है कि इस महत्ता की स्वीकृति में पेशेवर साहित्य मर्मज्ञों और तथाकथित अकादमियों का योगदान न के बराबर रहा है। अगर पिछले कुछ वर्षों की लघु-पत्रिकाएँ उठाकर देखा जाए तो यह स्पष्ट लगेगा कि युवा कवियों ने अपने समय की सांस्कृतिक जड़ता के ख़िलाफ़ त्रिलोचन की रचनाशीलता में एक नई ताज़गी और ऊर्जा का अनुभव किया है, अपने समय की रचनात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए उनकी रचनाएँ एक योद्धा के रूप में उनके सामने उभरीं। ‘तुम्हें सौंपता हूँ’ उनकी कविताओं का एक विशिष्ट संग्रह है, जिसमें उनकी सन् 1935 से 83 तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताएँ शामिल हैं। इतने लम्बे कालक्रम में बिखरी इन कविताओं में आप कवि के रचनात्मक विकास की अनेक मंज़िलों से साक्षात्कार करेंगे। वास्तव में त्रिलोचन की कविताएँ दु:खों और विपदाओं के अपार समुद्र में मानवीय सौन्दर्य, प्रेम, आशा और स्वप्न का एक ऐसा घनीभूत पुंज हैं जो हमारे भीतर जीवन के प्रति अगाध विश्वास जगाता है। छोटी-
बड़ी इक्यासी कविताओं का यह संग्रह कवि के व्यक्तित्व के कुछ ऐसे आयामों को भी सामने लाता है, जिनसे हिन्दी जगत प्राय: अपरिचित ही रहा है।
इस संग्रह के शान्ति पर्व वाले खंड में त्रिलोचन के चार काव्य रूपक भी शामिल किए गए हैं जो उन्होंने दूसरे महायुद्ध के नरसंहार की पृष्ठभूमि में लिखे थे। जीवन को विध्वंस की आग में झोंकनेवाली शक्तियों के ख़िलाफ़ त्रिलोचन की कविताएँ किसी गुरिल्ला सैनिक की तरह हमारे भीतर प्रवेश करती हैं। यह उनकी कविताओं का ऐसा प्रतिनिधि संग्रह है जिसमें पूर्व संकलनों की कोई कविता भरसक नहीं आने पाई है।
Phir Meri Yaad
- Author Name:
Kumar Vishwas
- Rating:
- Book Type:

- Description: ‘कोई दीवाना कहता है’ काव्य-संग्रह के प्रकाशन के 12 वर्षों बाद प्रकाशित हो रहा ‘फिर मेरी याद’ कुमार विश्वास का तीसरा काव्य-संग्रह है। इस संग्रह में गीत, कविता, मुक्तक, क़ता, आज़ाद अशआर— सबकी बहार है। “कुमार विश्वास के गीत ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ के सांस्कृतिक दर्शन की काव्यगत अनिवार्यता का प्रतिपादन करते हैं। कुमार के गीतों में भावनाओं का जैसा सहज, कुंठाहीन प्रवाह है, कल्पनाओं का जैसा अभीष्ट वैचारिक विस्तार है तथा इस सामंजस्य के सृजन हेतु जैसा अद्भुत शिल्प व शब्दकोष है, वह उनके कवि के भविष्य के विषय में एक सुखद आश्वस्ति प्रदान करता है।” —डॉ. धर्मवीर भारती “डॉ. कुमार विश्वास उम्र के लिहाज़ से नए लेकिन काव्य-दृष्टि से ख़ूबसूरत कवि हैं। उनके होने से मंच की रौनक बढ़ जाती है। वह सुन्दर आवाज़, निराले अन्दाज़ और ऊँची परवाज़ के गीतकार, ग़ज़लकार और मंच पर क़हक़हे उगाते शब्दकार हैं। कविता के साथ उनके कविता सुनाने का ढंग भी श्रोताओं को नई दुनिया में ले जाता है। गोपालदास नीरज के बाद अगर कोई कवि, मंच की कसौटी पर खरा लगता है, तो वो नाम कुमार विश्वास के अलावा कोई दूसरा नहीं हो सकता है.” —निदा फ़ाज़ली “डॉ. कुमार विश्वास हमारे समय के ऐसे सामर्थ्यवान गीतकार हैं, जिन्हें भविष्य बड़े गर्व और गौरव से गुनगुनाएगा।” —गोपालदास ‘नीरज’
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