
Kamayani : Moolpath Evam Teeka
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
343
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
686 mins
Book Description
‘कामायनी’ एक महाकाव्य है। इसकी प्रधान पात्र श्रद्धा है। काम की पुत्री होने के कारण उसका दूसरा नाम कामायनी भी है। प्रसाद जी ने इस गरिमामयी नारी को सम्मान देने के लिए ही अपने महाकाव्य का नाम ‘कामायनी’ रखा है। इसकी कथा का आधार ‘ऋग्वेद’, ‘छांदोग्य’ ‘उपनिषद्’, ‘शतपथ ब्राह्मण’ और ‘श्रीमद्भागवत’ है। घटनाओं का चयन प्रसाद ने मुख्यत: ‘शतपथ ब्राह्मण’ से किया है। उसमें मनु, श्रद्धा, इड़ा, किलात और आकुलि के नाम आए हैं। जल-प्लावन की घटना का उसमें कुछ विस्तार से वर्णन है। मनु देव-जाति में उत्पन्न होने पर भी मानवों के आदि पुरुष हैं। इसी से उनमें देवत्व और मानवत्व के सम्मिलित संस्कार पाए जाते हैं। इस पात्र की महत्ता इस बात में निहित है कि उसके माध्यम से देव-संस्कृति के विनाश के उपरान्त मानव-सभ्यता के विकास की कहानी कही गई है। ‘कामायनी’ में मनु, श्रद्धा और इड़ा, मन, हृदय और बुद्धि के प्रतीक हैं। इस दृष्टि से यह कृति अन्त:करण में वृत्तियों के विकास की गाथा भी कहती है। ‘कामायनी’ में सर्गों का नामकरण इन्हीं वृत्तियों के आधार पर हुआ है। यह मानवीय मनोविकारों का विराट रूपक है।