Khiraki Khol Do

Khiraki Khol Do

Authors(s):

Varsha Das

Language:

Hindi

Pages:

120

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

240 mins

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Book Description

<span lang="HI">‘</span><span lang="HI">खिड़की खोल दो</span><span lang="HI">’&nbsp;</span><span lang="HI">में वर्षा दास के चार नाटक संकलित हैं। इन चारों नाटकों में उन्होंने मानव</span><span lang="HI">-</span><span lang="HI">जीवन को अलग</span><span lang="HI">-</span><span lang="HI">अलग पहलुओं से समझने का प्रयास किया है। संग्रह का पहला नाटक&nbsp;</span><span lang="HI">‘</span><span lang="HI">नहीं कभी नहीं</span><span lang="HI">’&nbsp;</span><span lang="HI">एक स्वतंत्रचेता स्त्री को केन्द्र में रखकर चलता है जिसे नाटक में एक अपेक्षाकृत दुर्बलमना पुरुष के बरक्स उभारा गया है।&nbsp;</span>'<span lang="HI">मैं कौन हूँ</span>'&nbsp;<span lang="HI">दो चोरों की कहानी है जो एक रात चोरी करने निकलते हैं तो इत्तेफ़ाक़न उनका सामना जीवन के कुछ ऐसे पक्षों से होता है जो उन्हें अपने बारे में नए सिरे से सोचने पर बाध्य कर देते हैं। आम आदमी की ज़िन्दगी से जुड़े दु</span><span lang="HI">:</span><span lang="HI">ख उन्हें बदल देते हैं।&nbsp;</span>'<span lang="HI">खिड़की खोल दो</span>'&nbsp;<span lang="HI">में एक किशोरी अपने परिवार में पहली बार उन परम्पराओं को चुनौती देती है जिन्हें हर परिवार में स्त्री के व्यक्तित्व के दमन के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है और अन्तत</span><span lang="HI">:&nbsp;</span><span lang="HI">अपनी बात मनवा लेती है।&nbsp;</span>'<span lang="HI">सपना</span>'&nbsp;<span lang="HI">संग्रह का पूर्णकालिक नाटक है जिसमें जीवन के और भी जटिल हालात को उकेरते हुए नाटककार ने एक बड़े सपने की तरफ़ इशारा किया है।</span>

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