Kavve Aur Kala Pani

Kavve Aur Kala Pani

Authors(s):

Nirmal Verma

Language:

Hindi

Pages:

216

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

432 mins

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Book Description

निर्मल वर्मा ने हिन्दी कहानी को एक अत्यन्त संवेदनशील, सक्षम और पारदर्शी भाषा दी, और उसमें मनुष्य की आन्तरिक रिक्तियों को दृश्यमान किया। यही कारण है कि उनकी कहानियाँ सिर्फ़ पाठकीय अनुभव तक सीमित नहीं रहतीं, हमारे लिए वे एक समूचा मानवीय अनुभव हो जाती हैं—देर तक साथ रहनेवाला एक समूचा अनुभव।</p> <p>साहित्य अकादमी पुरस्कार (1985) से सम्मानित ‘कव्वे और काला पानी’ (1983) में उनकी सात कहानियाँ शामिल हैं। इनमें से कुछ कहानियों की पृष्ठभूमि भारतीय है तो कुछ कहानियाँ हमें यूरोपीय ज़मीन की उदासियों से परिचित कराती हैं। यह निर्मल जी की संवेदना का समूचापन ही है कि इससे पाठक की अनुभूति कहीं विभाजित नहीं होती। मानवीय पीड़ा का स्वर कहीं दो-फाँक नहीं होता।</p> <p>मानव-सम्बन्धों में आज जो एक ठहराव, ठंडापन, उदासी, बेचारगी और व्यर्थता बोध है, वह इन कहानियों के माध्यम से हमें गहरे तक झकझोरता है और हमें उन अनुभवों तक ले जाता है, जो एक व्यक्ति तक सीमित नहीं हैं। घटनाएँ इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं, जितना कि वह परिवेश जो इन कहानियों की पंक्तियों से उठकर हमारे भीतर चला आता है। हर कहानी एक गूँज की तरह कहीं भीतर ठहर जाती है।</p> <p>इस संग्रह में शामिल प्रत्येक कहानी ने अपने समय में व्यापक प्रतिक्रियाओं और अकसर बहसों को भी जन्म दिया। अपनी कलात्मकता में वे आज भी उतनी ही नई हैं।

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