Raskapur

Raskapur

Authors(s):

Anand Sharma

Language:

Hindi

Pages:

380

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

760 mins

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Book Description

<span>‘‘</span><span>इतिहास कथा-लेखन के दौरान इतिहास में साहसी-सामर्थ्यवान नारियों का अभाव मुझे रह-रहकर सालता था। एक प्रश्न हर बार उठता था कि मीराबाई</span><span>, </span><span>पन्नाधाय</span><span>, </span><span>हाडीरानी</span><span>, </span><span>कर्मवती आदि अँगुलियों पर गिनी जानेवाली नारियों के बाद</span><span>, </span><span>राजस्थान की उर्वरा भूमि बाँझ क्यों हो गई</span><span>?’’ </span><span>इस दिशा में खोज आरम्भ करने के चमत्कारी परिणाम निकले। एक-दो नहीं</span><span>, </span><span>दो दर्जन से भी अधिक नारी पात्र</span><span>, </span><span>इतिहास की गर्द झाड़ते मेरे सम्मुख जीवित हो उठे।</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">‘‘</span><span style="font-weight: 400;">एक तवायफ के प्रेम में अनुरक्त हो</span><span style="font-weight: 400;">, </span><span style="font-weight: 400;">उसे जयपुर का आधा राज्य दे डालने वाले महाराजा जगतसिंह की इतिहासकारों ने भरपूर भर्त्सना की थी लेकिन वस्त्रों की तरह स्त्रियाँ बदलनेवाले अति कामुक महाराज का</span><span style="font-weight: 400;">, </span><span style="font-weight: 400;">एक हीन कुल की स्त्री में अनुरक्ति का ऐसा उफान</span><span style="font-weight: 400;">, </span><span style="font-weight: 400;">जो उसे पटरानी-महारानियों से पृथक</span><span style="font-weight: 400;">, </span><span style="font-weight: 400;">महल </span><span style="font-weight: 400;">‘</span><span style="font-weight: 400;">रसविलास</span><span style="font-weight: 400;">’ </span><span style="font-weight: 400;">के साथ जयपुर का आधा राज्य प्रदान कर</span><span style="font-weight: 400;">, </span><span style="font-weight: 400;">अपने समान स्तर पर ला बैठाए</span><span style="font-weight: 400;">, </span><span style="font-weight: 400;">मात्र वासना का परिणाम नहीं हो सकता।</span><span style="font-weight: 400;">’’ </span></p> <p><span style="font-weight: 400;">उपन्यास होते हुए भी रसकपूर अस्सी प्रतिशत इतिहास है</span><span style="font-weight: 400;">, </span><span style="font-weight: 400;">उपन्यास के सौ के लगभग पात्रों में केवल पाँच-सात नाम ही काल्पनिक हैं।</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">–</span><span style="font-weight: 400;">भूमिका से...</span>

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