Alfa-Bita-Gama

Alfa-Bita-Gama

Authors(s):

Nasera Sharma

Language:

Hindi

Pages:

216

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

432 mins

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Book Description

<span style="font-weight: 400;">‘अल्फ़ा-बीटा-गामा’ एक ऐसे विषय को लेकर सभ्य, महानगरीय समाज की निर्दयताओं और अक्षम्य अमानवीयताओं को उजागर करता है जिसकी तरफ़ लिखित शब्दों का ध्यान अकसर नहीं जाता, वह भी इतने बड़े पैमाने पर कि उपन्यास हो जाए।</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">यह उपन्यास मनुष्य की आत्मग्रस्तता को कभी कुत्तों की आँखों से दिखाता है, कभी उन कुछ जनों की आँखों से जो अपने सीमित साधनों के साथ, और अपने आस-पड़ोस का विरोध झेलकर उन असहाय जीवों के लिए कुछ करना चाहते हैं। आख़िर यह कैसे होता है कि संस्कृति और धर्म के धनी जिस भारतीय समाज में पत्थरों के साथ भी जीवित की तरह बर्ताव कर लिया जाता है, इन सजीवों के लिए सहानुभूति का संस्कार हम ख़ुद को और अपनी सन्तानों को नहीं दे पाते!</span></p> <p><span style="font-weight: 400;">भारतीय कुत्तों की अनेक प्रजातियों के गहरे अध्ययन, उनके व्यवहार की गहरी जानकारी के साथ नासिरा जी इस उपन्यास में नागर क्रूरताओं की दैनिक और शाश्वत कथा कहते हुए हमारे मौजूदा समय तक आती हैं जहाँ कोरोना है, और लॉकडाउन है। लॉकडाउन जिसके शिकार अनेक लोग हुए और उसी अनुपात में वे कुत्ते भी जो सार्वजनिक स्थलों, दुकानों, होटलों आदि के बन्द हो जाने के बाद न सिर्फ़ भूखे, बल्कि अकेले भी पड़ गए। लाखों मज़दूरों के पलायन और उससे पहले हुए दिल्ली दंगों की विभीषिका के मद्देनजर उपन्यास कुत्तों की पीड़ा को मानवीय भाषा में समझाने का प्रयास करता है, और चाहता है कि हमारी संवेदना की पहुँच हमारे बन्द दरवाज़ों के बाहर तक हो।</span>

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