Ratna-Kangan Tatha Anya Kahaniyan
Author:
Aleksandr KuprinPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
कुप्रिन के पास समाज के हर तबक़े के पात्र के लिए अचूक अन्तर्दृष्टि थी और था एक स्पष्ट उद्देश्य—यथार्थ का अविकल अंकन और अन्याय का प्रतिरोध। वे अपनी कहानियों में हर तरह की विषमता को बड़ी संवेदनशीलता से रेखांकित करते हैं। प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ इसका मुकम्मल उदाहरण है। इसकी शीर्षक-कथा ‘रत्न-कंगन’ एक क्लर्क के एक राजसी महिला से एकतरफा प्रेम की कहानी है जो धीरे-धीरे उदात्त प्रेम पर लम्बे चिन्तन के आख्यान में बदल जाती है।
ISBN: 9789360867065
Pages: 240
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Aafreen
- Author Name:
Aalok Shrivastav
- Book Type:

- Description: ‘आमीन’ के बाद ‘आफ़रीन’। ग़ज़ल के बाद अफ़साना। ये आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लों का विस्तार है। ‘आफ़रीन’ ‘आमीन’ की उत्तरकथा है। इन कहानियों में भी इंसानी रिश्तों का वही दर्द है जिन्हें आलोक ने जिया, भोगा और फिर अपनी रचनाओं में सहेजा। इस दर्द को भोगने में पाठक लेखक का सहयात्री बनता है। ये कहानियाँ आलोक के जीवन का अक्स हैं। उसके अपने अनुभव। ‘फ़ल्सफ़ा’, ‘तिलिस्म’ और ‘अम्मा’ में तो आलोक सहज ही मिल जाते हैं। पढ़िए तो लगता है कि हम भी इन कहानियों के किरदार हैं। हमें ‘टैक्स्ट’ को डि-कंस्ट्रक्ट करना पड़ता है। ग़ज़ल हो या कहानी, आलोक की भाषा ताज़ा हवा के झोंके जैसी है। बोलती-बतियाती ये कहानियाँ बोरियत और मनहूसियत से बहुत दूर हैं। खाँटी, सपाट, क़िस्सागोई। जैसे आलोक को पढ़ना और सुनना। एक-सा ही है। सहज और लयबद्ध। ग़ज़ल के बाद कहानी! ख़तरा है। सम्प्रेषण के स्तर पर। कहानी मुश्किल है। शेर पर तुरन्त दाद मिलती है, लेकिन कहानी के पूरे होने तक इंतज़ार करना होगा। धीरज के साथ। लम्बे समय तक पाठक को बाँधे रखना, कहानी की एक और मुश्किल है। आलोक इस मुश्किल पर खरे उतरे हैं। ‘अम्मा’ और ‘तृप्ति’ बड़ी बात कहती, छोटी-छोटी ‘पत्र-कथाएँ’ हैं। आलोक ने ‘पत्र-कथा’ के रूप में अनूठा शिल्प रचा है। नई पीढ़ी में वे इस शिल्प के जनक हैं और लीक से हटकर चलने का प्रमाण भी। इस तरह, इस छोटी-सी किताब में बड़ा ख़ज़ाना है। ‘आफ़रीन’ में सिर्फ़ सात कहानियाँ हैं। एक कवि के गद्य का छोटा लेकिन सतरंगी आकाश। इसे आलोक की कुल जमा पूँजी से मैंने चुना है। दुष्यन्त के बाद आलोक ने हिन्दी में ग़ज़ल के पाठकों की नई जमात तैयार की है। अब कहानियों की बारी है। इन्हें भी पढ़ ही डालिए। -- हेमंत शर्मा
Hoshiyari Khatak Rahi Hai
- Author Name:
Subhash Chandra Kushwaha
- Book Type:

- Description: Short Stories
Mujhe Kuchh Kahana Hai….
- Author Name:
Khwaja Ahmad Abbas
- Book Type:

-
Description:
बहुत कम लोग जानते हैं कि फ़िल्मकार-कहानीकार ख़्वाजा अहमद अब्बास की क़लम की दुनिया कितनी बड़ी थी। सत्तर साल की अपनी ज़िन्दगी में उन्होंने 70 ही किताबें भी लिखीं और असंख्य अख़बारों और रिसालों में आलेख भी। हर बुधवार को 'ब्लिट्ज' में उनका स्तम्भ, अंग्रेज़ी में 'द लास्ट पेज' और उर्दू में 'आज़ाद क़लम' शीर्षक से, छपता था। और आपको जानकर हैरानी होगी कि इसे उन्होंने चालीस साल लगातार लिखा, जिसमें दोनों ज़बानों के विषय भी अक्सर अलग होते थे। कहते हैं कि ये दुनिया में अपने ढंग का एक रिकॉर्ड है।
आपके हाथों में जो है वह उनकी कहानियों का संकलन है। इस संकलन की सभी 17 कहानियों को उनकी नातिन और उनके साहित्य की अध्येता ज़ोया ज़ैदी ने संगृहीत किया है। इनमें कुछ कहानियाँ पहली बार हिन्दी में आ रही हैं। डॉ. ज़ैदी का कहना है कि अब्बास साहब ऐसे व्यक्ति थे जिनके ''जीवन का लक्ष्य होता है, एक उद्देश्य जिसके लिए वे जीते हैं। एक मक़सद मनुष्य के समाज में बदलाव लाने का, उसकी सोई हुई आत्मा को जगाने का।''
यही काम उन्होंने अपनी कहानियों, फ़िल्मों और अपने स्तम्भों में आजीवन किया। आमजन से हमदर्दी, मानवीयता में अटूट विश्वास, स्त्री की पीड़ा की गहरी पारखी समझ और भ्रष्ट नौकरशाही से एक तीखी कलाकार-सुलभ जुगुप्सा, वे तत्त्व हैं जो इन कहानियों में देखने को मिलते हैं। डॉ. ज़ैदी के शब्दों में, ये कहानियाँ अब्बास साहब की आत्मा का दर्पण हैं। इन कहानियों में आपको वो अब्बास मिलेंगे जो इनसान को एक विकसित और अच्छे व्यक्ति के रूप में देखना चाहते थे।
इस किताब का एक ख़ास आकर्षण ख़्वाजा अहमद अब्बास का एक साक्षात्कार है जिसे किसी और ने नहीं, कृश्न चन्दर ने लिया था।
Gyandan
- Author Name:
Yashpal
- Rating:
- Book Type:

- Description: यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है। ‘ज्ञानदान’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘ज्ञानदानֺ’, ‘एक राज़’, ‘गण्डेरी’, ‘कुछ समझ न सका’, ‘दु:ख का अधिकार’, ‘पराया सुख’, ‘80/100’, या ‘सांई सच्चे!’, ‘ज़बरदस्ती’, ‘हलाल का टुकड़ा’, ‘मनुष्य’, ‘बदनाम’ और ‘अपनी चीज़’।
Sukh Ki Dagar
- Author Name:
Prakash Chandra Darbari
- Book Type:

- Description: कथा, कहानी, किस्सा हर देश की संस्कृति की धरोहर कही जाती है। यही कारण है कि हर देश- काल में कहानी कहने और सुनने की परम्परा रही है। दादी और नानी की कहानियाँ बच्चों का मनोरंजन तो करती ही हैं बालमन को बिना मानसिक बोझ के संस्कार भी देती हैं। ये कहानियाँ बच्चों की कही जाती हैं पर हर वर्ग के और हर आयु के स्त्री और पुरुषों का समान रूप से मनोरंजन करती हैं, उन्हें जीवन जीने की कला सिखाती हैं। भारत में तो कथासरित्सागर और पंचतंत्र जैसे कितने ही कथा ग्रन्थ है जो विश्वभर में ज्ञान के अक्षय भण्डार माने गए हैं।
Adhoore Afsaane
- Author Name:
Lavnya Deepak Shan
- Book Type:

- Description: Books
Hare Skirt Wale Ped Ke Tale
- Author Name:
Neelam Kulshreshtha
- Book Type:

- Description: Book
Pratinidhi Kahaniyan : Shekhar Joshi
- Author Name:
Shekhar Joshi
- Book Type:

-
Description:
शेखर जोशी की कहानियों में शिल्प और संवेदना के अन्तर्सम्बन्धों की सुरम्य रचना के साथ जीवन और समाज के सहज उन्नयन एवं परिवर्तनकारी दृष्टि के प्रति दायित्वबोध साफ़ दृष्टिगोचर होता है। कथात्मक गठन में भाषा के सूक्ष्म उपयोग का उन जैसा आधुनिक बोध हिन्दी कहानी में अपरिचित है।
अत्यन्त सहज और ठंडी भाषा के माध्यम से ये कहानियाँ हमारे समक्ष जिस यथार्थ का उद्घाटन करती हैं, उसके पीछे समकालीन जन-जीवन की बहुविध विडम्बनाओं को महसूस किया जा सकता है। सपनों की वास्तविकता से अपरिचित बच्चों की ख़ुशी हो या बिरादरी की दलदल में फँसे व्यक्ति की मनोदशा—लेखकीय दृष्टि उन्हें एक अर्थ-गाम्भीर्य से भर देती है। उनके पास आदर्शवादी निर्णय हैं तो उनके सामने खड़ा कठोर और भयावह यथार्थ भी है।
वस्तुतः शेखर जोशी की ये कहानियाँ बिना किसी शोर-शराबे के हमारी सोच के विभिन्न स्तरों को स्पर्श और झंकृत करनेवाले रचनात्मक गुणों से परिपूर्ण हैं।
Hamzamin
- Author Name:
Avadhesh Preet
- Book Type:

-
Description:
अवधेश प्रीत उन थोड़े से कथाकारों में हैं जो यथार्थ की भीतरी तह तक पहुँचकर उसकी आन्तरिक गतिशीलता को उजागर करते हैं। उनकी कहानियों में जीवन के गहरे अनुभव के साथ-साथ समाज में होनेवाले परिवर्तनों के संकेत भी मिलते हैं। विसंगतियों और विडम्बनाओं का चित्र उकेरते वक़्त उनकी नज़र हमेशा उन वंचितजनों पर टिकी होती है, जो अपनी स्थिति से उबरने तथा समाज के बदलने के लिए संघर्ष कर रहे होते हैं। सपाटबयानी से बचते हुए अवधेश अपने एक-एक अनुभव को पहले वैचारिक धरातल पर सूत्रबद्ध करते हैं, फिर उनके कलात्मक संग्रन्थन से ऐसी फंतासी रचते हैं जिसमें किरदारों के आत्मसंघर्ष तथा सामाजिक संघर्ष के बीच की विभाजक रेखा मिट जाती है। उनका यह शिल्प ही उन्हें अपने समकालीनों से अलग करता है।
‘हमज़मीन’ संग्रह की कहानियों में अवधेश प्रीत ने साम्प्रदायिक और सामंती क्रूरताओं के शिकार वंचितों तथा स्त्रियों की पीड़ाओं के चित्रण के साथ-साथ उनके संघर्ष और जिजीविषा को रेखांकित करने का जो सार्थक प्रयास किया है वह उल्लेखनीय है।
Akbar Birbal Ki Anokhi Duniya
- Author Name:
Ashok Maheshwari
- Book Type:

- Description: अकबर विनोदप्रिय शासक था। मनोरंजन और ज़िन्दादिली का मुरीद। बीरबल का बुद्धिबल तीव्र था। वह समझ लेता था कि बादशाह अकबर की किस भंगिमा का क्या अर्थ है, और बीरबल अकबर की भंगिमा के अनुरूप अपने आपको ढाल लेता था। इसी विशेषता के कारण बीरबल अकबर का सखा बन गया था। अपनी तेज बुद्धि, मनोरंजक बातें, सूझ-पूर्ण ढंग से समस्याओं को सुलझाने और समयानुकूल निर्णय लेने की दक्षता के कारण बीरबल ने अकबर के दरबार में ही नहीं, बल्कि उसके जीवन और मन में भी स्थान बना लिया था। समय के साथ बीरबल और अकबर के क़िस्से मशहूर होने लगे। अपनी रोचकता, मनोरंजन की क्षमता और हाज़िरजवाबी की मिसाल होने के कारण इन क़िस्सों ने तब से लेकर अब तक की लम्बी यात्रा की है और आज भी रोचकता और आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। अकबर और बीरबल के विविध प्रसंगों को लेकर कही गई ये कहानियाँ जहाँ पाठकों का मनोरंजन करती हैं, वहीं उन्हें समयानुकूल आचरण करने के लिए प्रेरित भी करती हैं।
Visangati
- Author Name:
Jagdish Prasad Singh
- Book Type:

-
Description:
हमारे आसपास नित्य ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं जिनमें अनेक कहानियों के बीज निहित होते हैं, लेकिन हम कभी उन पर ध्यान नहीं देते। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो ऐसी जगहों में बड़ी कहानियाँ तलाश कर लेते हैं। यह संग्रह ऐसी ही कहानियों से सजा है।
डॉ. जगदीश प्रसाद सिंह की ये कहानियाँ मानव-मन और समाज की ऐसी अनोखी परतों को उघाड़ती हैं कि सहसा विश्वास नहीं होता। मसलन संग्रह की पहली ही कहानी ‘विसंगति’ को लें। इसमें स्वामी गोविन्दानन्द का जीवन कुछ ऐसी घटनाओं का प्रतिबिम्ब है जो भारतीय समाज में बहुत आम रहा है—यानी विपरीत परिस्थितियों के चलते संन्यास ले लेना। माधव वसु को जब पता चलता है कि उसकी पत्नी का उसके छोटे भाई से सम्बन्ध है तो वह घर-बार छोड़ देता है और एक सफल आध्यात्मिक जीवन जीने लगता है। लेकिन फिर एक दिन अतीत एक अलग ही रूप में उसके सामने आ खड़ा होता है।
‘प्रतीम सिंह का ढाबा’, ‘दाँत का दर्द’, ‘राह का काँटा’, ‘भगवती का शाप’, और ‘सरस्वती का भोंपू’ सहित इस संग्रह की सभी कहानियाँ समाज के किसी न किसी पहलू की विडम्बना को सामने लाती है। ये कहानियाँ अपनी सरल कहन के चलते हमें किसी शैल्पिक उलझाव से परे वास्तविकता की एक सहज दुनिया में ले जाती हैं जिसकी तहों के नीचे कई विसंगतियाँ साँस लेती रहती हैं।
Katha Saptak Sudha Arora
- Author Name:
Sudha Arora
- Book Type:

- Description: Collection of 7 brilliant stories: - उधड़ा हुआ स्वेटर - औरत की चुप्पी - अन्नपूर्णा मंडल की आख़िरी चिट्ठी - काला शुक्रवार - काँच के इधर और उधर - औरत की चुप्पी उर्फ़ रहोगी तुम वही - सात सौ का कोट
Pratinidhi Kahaniyan : Usha Priyamvada
- Author Name:
Usha Priyamvada
- Rating:
- Book Type:

- Description: उषा प्रियम्वदा को पढ़ना एक साथ बहुत से बिम्बों में घिर जाना है। बिम्ब जो घुमड़ते बादलों की तरह अनायास तैरते चले आते हैं और एक सार्थक संगति में गुँथकर पहले दृश्य का रूप लेते हैं। कहानियों में परम्परा के निर्वहण की अभ्यस्तता और उसे तोड़ देने की सजगता एक साथ गुँथी हुई मिलती है। 1952 से 1989 तक के कालखंड में फैली उषा प्रियम्वदा की कहानियों का अधिकांश साठ के दशक में उनके विदेश प्रवास के बाद आया है। ज़ाहिर है, डायस्पोरा मनोविज्ञान रिवर्स कल्चरल शॉक से उबरने की क्रमिक प्रक्रिया को नॉस्टेल्जिया में तब्दील कर देता है। इसलिए उषा जी की कहानियों की ज़मीन भले ही विदेशी हो गई हो, वहाँ की खुली संस्कृति और उदार वर्जनामुक्त माहौल से सम्बन्धों में सहजता और कुंठाहीनता पनपी हो, लेकिन उनकी नायिका स्वयं को भारतीयता के संस्कारों से मुक्त नहीं कर पाई है। यही वजह है कि दाम्पत्येतर प्रेम सम्बन्ध बनाते हुए भी वह अपराध-बोध और लोकापवाद के भय से ग्रस्त रहती है। सरपट दौड़ते हुए अचानक ठिठककर खड़े हो जाना, और फिर बिना कुछ कहे अपनी खोह में दुबक जाना उनकी स्त्री की विशेषता है। उषा जी बेहद महीन और कलात्मक पच्चीकारी के साथ उसके चारों ओर रहस्यात्मकता का वातावरण बुनती हैं, जो एक सम्मोहक तिलिस्म का रूप धरकर पाठक के भीतर सीढ़ी-दर-सीढ़ी उतरता चला जाता है, ठीक कृष्णा सोबती की लम्बी कहानी 'तिन पहाड़' की जया की तरह।
Matsygandha
- Author Name:
Geetashree
- Book Type:

- Description: Book
Log Bistron Per
- Author Name:
Kashinath Singh
- Book Type:

- Description: खाँटी माटी के कथाकार हैं काशीनाथ सिंह। कथा साहित्य में ‘अकहानी’, ‘सचेतन कहानी’, ‘समान्तर कहानी’ आदि आन्दोलनों के काल से गुज़रे काशीनाथ सिंह ने भीड़ में होते हुए अपनी लीक स्वयं बनाई है। जो लोक रचा है उसका यथार्थ अपनी भाषा, शिल्प, कथ्य और दृष्टि में विश्वसनीय तो है ही, विलक्षण भी है। एक सेवानिवृत्त व्यक्ति की नज़र से देखी-लिखी गई कहानी ‘सुख’ सामाजिक यथार्थ को व्यक्त करनेवाली एक अलग कहानी है तो ‘संकट’ एक ऐसे फौजी चरित्र की कथा जो अपनी वासना की पूर्ति न होने पर कई मानसिक तनावों में घिरता और घेरते चला जाता है। ‘एक बूढ़े की कहानी’ एक नाबालिग लडक़ी से बलात्कार की बेहद मार्मिक कथा है। ‘चोट’ में जाति के अहं को जिस पैनी दृष्टि के साथ रचा गया है, वह बदलते युग में वर्ण से जुड़ी कई गिरहों को खोलने में मदद करती है। जबकि ‘सुबह का डर’ मनुष्यता और पुलिसिया आतंक के बीच फँसे लोगों के डर के संजाल की कहानी है। देखें तो, काशीनाथ सिंह के दो संग्रहों ‘लोग बिस्तरों पर’ और ‘सुबह का डर’ से शामिल कहानियों की इस एक जिल्द में ‘बैलून’ जैसी प्रेम कहानी है तो मौत के प्रति चिन्ता और चिन्तन के खोखलेपन से पर्दा हटाती ‘चायघर में मृत्यु’ जैसी कहानी भी। ‘आखिरी रात’ में दाम्पत्य जीवन के आर्थिक तनाव की कथा है, ‘अपने घर का देश’ में बदलते मूल्यों का गहन अंकन तो निरन्तर छीजती संवेदना का एक त्रासद रूप रचती पुस्तक की शीर्षक कहानी ‘लोग बिस्तरों पर’। निस्सन्देह, काशीनाथ सिंह का यह कहानी-संग्रह महत्त्वपूर्ण ही नहीं, अपने समय की एक दस्तावेज़ भी है।
Baghin Ki Sawari
- Author Name:
Chandrakishore Jaiswal
- Book Type:

- Description: ‘बाघिन की सवारी’ संग्रह की कहानियाँ जीवन और समाज का एक वृहद ‘स्पेक्ट्रम’ पाठक के सामने रखती हैं। एक के बाद एक कहानी से गुजरते हुए हम कहीं गहन करुणा से आप्लावित होते हैं तो कहीं अपनी दुनिया की विसंगतियों से क्षुब्ध। कहीं किसी पात्र की असहायता हमें भिगो देती है तो कहीं किसी का संकल्प हमें आजादी की एक दिशा दे जाता है। ‘सहेलियाँ’ शीर्षक कहानी में दो सखियों की तरह प्रेम और विवाह जैसे विषयों पर खुलकर बतियातीं माँ वत्सला और बेटी गुंजन ऐसे ही पात्र हैं जो धीरे-धीरे बदलते हमारे समय को परम्परा की धारा से एकदम नहीं तोड़ना चाहते और नई सम्भावनाओं—परिवर्तनों से मुँह भी नहीं फेरते। वहीं ‘बेटा का घर’ कहानी के हताश माँ-पिता अपने परिवार में मगन बेटे के व्यवहार और अपनी विवशताओं को सोच आँख गीली कर लेते हैं, और पाठक को मौजूदा समय के प्रति सचेत कर जाते हैं। वृद्धावस्था और उससे जुड़े दुखों पर ये कहानियाँ बार-बार दृष्टिपात करती हैं। यह ऐसा विषय है जिस पर चन्द्रकिशोर जायसवाल अकसर लौटे हैं। इस संग्रह में ‘रोवनहार’ शीर्षक कहानी पूरी तरह इसी विषय पर केन्द्रित है जहाँ चार बेटों और बहुओं-पोतों से भरे घर में रामजनम चौधरी को वास्तविक लगाव अपने किराएदार की बच्ची से मिलता है, उन्हें लगता है कि उनके मरने पर और भले कोई न रोए वह जरूर रोएगी। संग्रह की शीर्षक कथा ‘बाघिन की सवारी’ सत्ता और सुख से मोहभंग और लगाव की लम्बी कहानी है जिसमें हमारी मुलाकात जवानी में साधु बने एक ऐसे व्यक्ति से होती है जो बीस साल बाद वापस, कदम-दर-कदम चलते हुए समाज और उसके सत्ता-व्यूह में दाखिल होता है।
A House On The Outskirts and Other Stories
- Author Name:
Devarakonda Balagangadhara Tilak
- Rating:
- Book Type:

- Description: This book is collection of ten short stories and translated from Telugu to English.The stories unveil the misery and pain buried in the depths of human predicament.They show sympathy for weakness,laugh at follies and appreciate love and kindness.
Main Hawa Pani Parinda Kuchh Nahin
- Author Name:
Rajesh Joshi
- Book Type:

-
Description:
यह एक कवि का गल्प है, सो ज़ाहिर है इसमें कल्पना की उड़ान भी है, और ज़मीन का खुरदरापन भी। ये कहानियाँ जिनके बारे में ख़ुद लेखक का कहना है कि बहुत अनुशासित ढंग से नहीं लिखी गईं, अपने आयतन में मध्यवर्गीय जीवन की कठोर सीमाओं को रेखांकित करते हुए उन फ़ंतासियों तक जाती हैं जिनमें एक बड़े जीवन-बोध की संभावनाएँ खुलती हैं।
संग्रह की पहली कहानी ‘मैं हवा पानी परिंदा कुछ नहीं’, जिसका नायक अपने पक्षी-प्रेम के चलते सहसा एक चिडि़या में बदल जाता है, फ़ंतासी के फ्रेम में समय तथा सत्ता-संरचना के कई कँटीले पहलुओं को रेखांकित करती है। इसी तरह ‘साँप’ भी जिसमें मध्यवर्गीय आकांक्षाओं और उनके सभ्यतागत विस्तार को एक साँप के रूपक में उसकी तमाम भयावहताओं के साथ साकार कर दिया गया है।
मँझोले शहरों का साँवला-सा माहौल इन कहानियों में अपने तमाम शेड्स के साथ मौजूद है जिसे राजेश जी की चुटीली कहन ने और जीवन्त कर दिया है। ‘सोमवार’ कहानी के विवरण इस लिहाज़ से विशेष तौर पर पढ़ने लायक़ है और इसमें चित्रित किया गया जीवन भी जो अपने देश और काल की छवियों को एक सजीव कोलाज में ढाल देता है।
कविता के पंखों पर उड़ता हुआ गद्य इन सभी कहानियों की उपलब्धि है। इन कहानियों को पढ़ते हुए हम सिर्फ़ कथा-सूत्र के साथ नहीं चलते, उसकी बिम्ब-योजना हमें अनुभव के एक समानान्तर लोक में भी प्रक्षेपित करती जाती है; जिससे एक वृहत्तर यथार्थ हमारी पहुँच में होता है।
Saankal
- Author Name:
Zakiya Zubairee
- Book Type:

-
Description:
यह बात सच है कि पैदाइश और परवरिश का माहौल ज़िन्दगी भर ज़ेहन पर हावी रहता है। और अगर तालीम का रंग भी इनमें शामिल हो जाए तो सोच का मुकम्मल ख़ाक़ा तैयार हो जाता है। ज़किया ज़ुबैरी की कहानियों का संग्रह ‘साँकल’ पढ़ते हुए बारहा यही महसूस होता है। इन कहानियों पर राजेन्द्र यादव की यह राय दुरुस्त है कि, ‘उनकी कहानियाँ ऐसे नारी मन के विभिन्न पहलुओं पर केन्द्रित हैं जो अभी भी भारत को अपने भीतर बसाए हुए है। वे द्वन्द्व और नॉस्टेल्जिया की कहानियाँ हैं।’
ज़किया औरतों की ज़िन्दगी में आहिस्ता से दाख़िल होकर उनके मन की परतों को खोलती हैं। भीतरी तहों में दबे सच कभी ‘बाबुल मोरा’ की लिसा, तो कभी ‘मेरे हिस्से की धूप’ की शम्मो के रूप में सामने आते हैं। अगर लेखिका की संवेदना परखनी हो तो ‘मारिया’, ‘साँकल’, ‘लौट आओ तुम’ जैसी कहानियाँ पढ़नी चाहिए।
सरोकार के साथ भाषा लेखिका की बहुत बड़ी ताक़त है। बड़ी सहजता से पूरा मंज़र सामने खड़ा हो जाता है, ‘किसी से डर न ख़ौफ़—बिन्दास! छोटी-छोटी आँखों को टेढ़ी करके बात किया करती, बात-बात पर खिलखिलाकर हँस देती और हँसते हुए झूल-सी जाती। वो जो कपड़े पहने होती, ऊँचे-नीचे, बेमेल-से, कहीं-कहीं से सिलाई खुले हुए कपड़ों से जवानी झाँक रही होती। वह एक ऐसी बेटी थी जिसके कारण घर में कंकरों की आमद बनी रहती।’ बेहद दिलचस्प कहानियों का संग्रह।
Bezubaan
- Author Name:
Subhash Sharma
- Book Type:

- Description: सुभाष शर्मा ने नवें दशक में युवा कथाकार के रूप में अपनी स्पष्ट पहचान बनाई है। जीवन के विभिन्न आयामों को काफी गहराई से देखने एवं समझने का माद्दा उनमें है। वे सामाजिक घटनाओं को ऐसी दृष्टि से देखते हैं जो समाज को आगे ले जाने वाली होती है। उनकी सोच-समझ कभी भी बने-बनाए साँचे में फिट नहीं होती क्योंकि वह जीवनानुभव से संबद्ध है। उनकी कहानी 'बेजुबान' नवें दशक की एक महत्त्वपूर्ण कहानी है। इसकी चर्चा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में होती रही है। समकालीन हिंदी कहानी से गुजरते हुए यह बात निर्विवाद रूप से कही जा सकती है कि सामाजिक अनुभवों का दायरा और अधिक व्यापक हुआ है, तथा मानवीय दृष्टिबोध और अधिक गहरा। अपने आसपास बिखरे जीवन-यथार्थ को अनदेखा कर आज का कथाकार किसी अगम्य फलसफे को रचने में विश्वास नहीं रखता। कहना न होगा कि सुपरिचित कवि-कहानीकार सुभाष शर्मा के इस संग्रह की कहानियों को इसी श्रेणी में रखा जाएगा। इस संग्रह में सुभाष की दस कहानियाँ संगृहीत हैं और इनमें से प्रायः प्रत्येक कहानी भारतीय जन-जीवन की किसी-न-किसी विडंबना को उजागर करती है। आजादी के बाद हमारे चारों ओर जिस सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक और शैक्षिक तंत्र का निर्माण हुआ है, मनुष्य उसमें किसी शिकार की तरह छटपटा रहा है। इस तंत्र में मौजूद जल्लादों के अनेक चेहरे 'जल्लाद' नामक व्यक्ति से कहीं अधिक भयावह हैं। 'हिंदुस्तनवा', 'फरिश्ते', 'जमीन', 'आँचल' और 'जल्लाद' जैसी कहानियाँ अपनी गंभीर अर्थवत्ता से हमें बहुत गहरे तक झकझोरती हैं, और यदि 'फरिश्ते' के सहारे कहा जाए तो हर प्रकार की अमानवीय दुर्गंध के बावजूद मानवीय संबंधों की महक का भी बखूबी अहसास कराती हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...