Shreshth Lalit Nibandh : Vol. 1
Author:
Krishna Bihari MishraPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 360
₹
450
Available
यह धारणा श्लाघा का अतिरेक नहीं है कि हिन्दी की ललित निबन्ध-विधा समर्थ-समृद्ध विधा है। हिन्दी निबन्ध का चयन इस विवेक से किया गया है कि प्रत्येक विचारसरणि और प्रत्येक पीढ़ी के रचनाकारों की शिल्प-संवेदना का समुचित प्रतिनिधित्व हो सके। समग्रता का दावा मैं नहीं करता, नम्रतापूर्वक इतना ही निवेदन करना चाहता हूँ कि रम्य रचना के रसज्ञों को यह संकलन हिन्दी की व्यक्तिव्यंजक निबन्ध-परम्परा का एक संक्षिप्त किन्तु प्रामाणिक परिचय दे सकेगा।</p>
<p>—कृष्ण बिहारी मिश्र
ISBN: 9788180316371
Pages: 322
Avg Reading Time: 11 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Doodhnath Singh
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- Description: ‘निराला : आत्महन्ता आस्था’ दरअसल एक नए कवि-कथाकार द्वारा एक-दूसरे कवि का आत्मीय विश्लेषण है। इसका एक नाम यह भी हो सकता था—‘एक लेखक की निजी नोट-बुक में एक दूसरा लेखक’। यह पुस्तक लेखक के उन्हीं ‘नोट्स’ का क्रमबद्ध रूपान्तरण है, उसके निजी आनन्द की अभिव्यक्ति है। लेकिन आनन्द की यह अभिव्यक्ति लेखक के श्रद्धा-विगलित क्षणों की उपज न होकर, उसके दिमाग़ की तार्किक रस-सिद्धि का परिणाम है; उसके सधे हुए सुर की झंकार है। अत: उसमें एक तर्कपूर्ण निजी शास्त्रीयता भी है। इसीलिए वह मात्र प्रशस्ति-वाचन या निन्दा नहीं है, बल्कि निराला की काव्य-ऊर्जा तक पहुँचने के लिए बनाया गया एक नया और निजी द्वार है, जिससे जागरूक पाठक और नए आलोचक एक नई जगह से उस सिंह के दर्शन कर सकें। जब आप इस नए द्वार से प्रवेश करेंगे—तभी समझ सकेंगे कि क्यों निराला दूसरे छायावादी कवियों से विरोधी दिशा के कवि हैं? क्यों उनको बने-बनाए काव्य-सिद्धान्तों में 'फिट-इन' नहीं किया जा सकता? क्यों उनकी रचनात्मकता का अध्ययन करने के लिए काल-क्रम का आधार बेमानी ठहरता है? तब आप उस अँधेरी गुफा में बैठी, उन जलती आँखों के सान्द्र प्रकाश का साक्षात्कार कर पाएँगे। इसी साक्षात्कार के लिए प्रस्तुत है यह पुस्तक—‘निराला : आत्महन्ता आस्था’।
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