Kaafi Hain Ek Zindagi
Author:
Anjani Kumar SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
‘हर व्यक्ति की एक कहानी होती है। उस कहानी में एक घर-गाँव होता है। मेरे गाँव का नाम है चमथा… बिहार के चार जिलों का संगम है मेरा गाँव।’</p>
<p>अंजनी कुमार सिंह के संस्मरण इन पंक्तियों के साथ शुरू होते हैं। इसके बाद के पन्नों में, हम एक उल्लेखनीय जीवन को प्रकट होते देखते हैं—एक ऐसा जीवन जो 'संगम' है परंपरा और आधुनिकता का, अनुभव के माध्यम से सीखने और बिहार की विविध दुनियाओं की खोज का, और सार्वजनिक सेवा और व्यक्तिगत जुनून का। शासन और विकास कार्य की चुनौतियों और संतुष्टि के बारे में असाधारण अंतर्दृष्टि के साथ, अंजनी कुमार सिंह ने भारत और विदेशों में यात्रा के और दुर्लभ पौधों के एक संग्रह के निर्माण के अपने अनुभव भी साझा किए हैं। और साझा किया है एक शानदार उपलब्धि का अनुभव—बिहार संग्रहालय की स्थापना, जो कि दक्षिण एशिया की शास्त्रीय और समकालीन कला का घर है, और जिसकी तुलना दुनिया के सर्वश्रेष्ठ संग्रहालयों से की जा सकती है।</p>
<p><strong><em>काफ़ी है एक ज़िंदगी</em> को आप लोक सेवक और कला प्रेमी के सबसे रोचक और असामान्य संस्मरणों में से एक पाएंगे।</strong>
ISBN: 9789354472114
Pages: 236
Avg Reading Time: 8 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Shri Rambhakt : Shaktipunj Hanuman
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Jairam Mishra
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- Book Type:

- Description: ‘मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम’ ने कहा है—लोक पर जब कोई विपत्ति आती है तब वह त्राण पाने के लिए मेरी अभ्यर्थना करता है परन्तु जब मुझ पर कोई संकट आता है तब मैं उसके निवारणार्थ पवनपुत्र का स्मरण करता हूँ। अवतार श्रीराम का यह कथन हनुमानजी के महान व्यक्तित्व का बहुत सुन्दर प्रकाशन कर देता है। श्रीराम का कितना अनुग्रह है उन पर कि वे अपने लौकिक जीवन के संकटमोचन के श्रेय का सौभाग्य सदैव उन्हीं को प्रदान करते हैं और कैसे शक्तिपुंज हैं हनुमान कि जो श्रीराम तक के कष्ट का तत्काल निवारण कर सकते हैं। भगवान श्रीराम के प्रति अपनी अपूर्व, अद्भुत, अप्रतिम, एकान्त भक्ति के कारण अन्य की इसी प्रकार की भक्ति का आलम्बन बन जानेवाला हनुमान जैसा कोई अन्य उदाहरण विश्व में नहीं। यही कारण है कि संस्कृत से लेकर समस्त मध्यकालीन और आधुनिक भारतीय भाषाओं में श्री हनुमान में परम पावन चरित्र का गान किया गया है और उनके मन्दिर भारतवर्ष के प्रत्येक कोने में पाए जाते हैं। इस पुस्तक की रचना में ‘वाल्मीकीय रामायण’, ‘अध्यात्म रामायण’ तथा ‘आनन्द रामायण’ से विशेष सहायता ली गई है। ‘स्कंदपुराण’, ‘पद्मपुराण’ आदि एवं ‘महाभारत’ (वनपर्व) भी रचना में सहायक सिद्ध हुए हैं। गोस्वामी तुलसीदास की कृतियों—‘रामचरितमानस’, ‘विनयपत्रिका’, ‘गीतावली’, ‘कवितावली’ एवं ‘कम्बन’ रचित ‘कम्ब रामायण’ (तमिल रचना) से भी यत्र-तत्र सहायता ग्रहण की गई है। इनके अतिरिक्त श्री सुदर्शन सिंह ‘चक्र’ रचित ‘आंजनेय' कल्याण पत्रिका के ‘हनुमानांक’ (1975 ई.) तथा डॉ. गोविन्दचन्द्र राय की पुस्तक ‘हनुमान के देवत्व और मूर्ति का विकास’ आदि से भी यथावसर सामग्री प्राप्त की गई है।
Jannayak Ho Chi Minh Aur Bharat
- Author Name:
Geetesh Sharma
- Book Type:

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Description:
मानवता के इतिहास में ऐसे व्यक्ति विरल हैं जिन्होंने देशकाल की सीमाओं का अतिक्रमण कर समूचे विश्व को प्रेरित-प्रभावित किया है। ‘वियतनाम जनतांत्रिक गणतंत्र’ का महास्वप्न साकार करनेवाले जननायक हो चि मिन्ह ऐसे ही महान व्यक्ति थे। हो चि मिन्ह का नाम आज पूरे विश्व में समता-न्याय-स्वतंत्रता के लिए अनथक संघर्ष करनेवाले जनयोद्धा के रूप में आदर के साथ लिया जाता है। वस्तुतः हो के विषय में जानना व उनके व्यक्तित्व और विचारों का विश्लेषण करना प्रत्येक सचेत व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। ‘जननायक हो चि मिन्ह और भारत’ पुस्तक में प्रबुद्ध लेखक गीतेश शर्मा ने हो के जीवन का प्रामाणिक परिचय देते हुए उनके अविस्मरणीय योगदान को रेखांकित किया है! लेखक के अनुसार, ‘भारत में हो चि मिन्ह की प्रशस्ति तो बहुत की गई, उनकी याद में कसीदे पढ़े गए, पर हो के दर्शन, उनकी जीवन-शैली, सिद्धन्तों-आदर्शों पर न तो कोई गम्भीर पुस्तक आई, न ही उन्हें सही परिप्रेक्ष्य में समझने की गम्भीर चेष्टा की गई।’
प्रस्तुत पुस्तक हो को समझने का एक गम्भीर उपक्रम है। हो का भारत के साथ भी एक अद्भुत सम्बन्ध रहा है। जनोन्मुख राजनीति करनेवालों, बुद्धिजीवियों व ज़िम्मेदार पाठकों के मन में हो की स्मृतियाँ जीवन्त हैं। गीतेश शर्मा ने हो और भारत के वैचारिक रिश्तों का प्रभावपूर्ण वर्णन किया है। हो के व्यक्तित्व और कृतित्व का यह लेखा-जोखा समस्त पाठकों को नई ऊर्जा से सम्पन्न करेगा। प्रतिबद्ध राजनीति से जुड़े व्यक्तियों को हो के विचार आज भी सकारात्मक दिशा दिखा सकते हैं।
सहज व पारदर्शी भाषा-शैली में लिखी गई यह पुस्तक आज के वैश्विक परिदृश्य में एक आलोक स्तम्भ की तरह है।
Das Hazar Crore Se Aage
- Author Name:
Sanjeev Chopra
- Book Type:

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Description:
राज्य का सामाजिक एवं प्राकृतिक वातावरण औद्योगिक निवेश के अनुकूल है। ऐसे में उद्यमियों को राज्य की परिस्थितियों का लाभ उठाना चाहिए। संजीव चोपड़ा द्वारा लिखित पुस्तक से राज्य में निवेश करने के इच्छुक उद्यमियों को काफी मदद मिलेगी।
माननीय राज्यपाल, दैनिक जागरण; 1 जून, 2004
यह पुस्तक मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 'टीम उत्तरांचल' द्वारा कई मुख्य क्षेत्रों में तीव्र औद्योगिक प्रगति का सरल एवं ईमानदार विवरण है।
माननीय राज्यपाल, हिन्दुस्तान टाइम्स; 1 जून, 2004
पुस्तक ने औद्योगिक परिषदों के समन्वयात्मक प्रयासों का अभिलेखन किया है, जिससे राज्य आज प्रगति की उड़ान के लिए तत्पर है।
एलाइन्स दर्पण; जुलाई 15-अगस्त 15, 2004
लेखक ने औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में राज्य द्वारा चुनौतियों का सामना करने और मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी द्वारा परिकल्पित प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के विषय में सविस्तार लिखा है। उद्योग विभाग का जोर था कि राज्य में मजबूत अर्थतन्त्र की स्थापना हो और साथ ही युवा लोगों को रोजगार मिले।
द पायानियर; 2 जून, 2004
‘दस हजार करोड़’ राज्य के लिए सामाजिक-आर्थिक लक्ष्य निर्धारित करती है, जो भावी नियोजकों और विकासकर्ताओं एवं प्रशासकों के लिए निर्देश सिद्ध होंगे।
द टाइम्स ऑफ इंडिया; 19 जून, 2004
डायरी स्वरूप में लिखित पुस्तक में नीति-निर्धारण की प्रक्रिया और उसमें संलग्न व्यक्तियों का रोचक विवरण होता है। इस संदर्भ में ‘दस हजार करोड़ से आगे’ पूर्णरूपेण सफल है।
गढ़वाल पोस्ट; 6-12 जून, 2004
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