Nashtar
Author:
Hasan ShahPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
‘नश्तर’ को पहला भारतीय उपन्यास कहा जा सकता है। सन् 1790 में जब हसन शाह ने इसे लिखा था तब तक हमारे यहाँ अंग्रेज़ी तर्ज़ के ‘नॉवेल’ का प्रादुर्भाव नहीं हुआ था।</p>
<p>यह वो ज़माना था जब भारत में नवाबी शानो-शौक़त अपने उतार पर थी और अंग्रेज़ों ने जगह-जगह अपनी जड़ें जमाना शुरू कर दिया था। अब वे ही स्वयं को नवाब समझने लगे थे और यहाँ की नाचने-गाने वाली स्त्रियों से अपना मनोरंजन करना उनका शौक़ बन गया था। इसके चलते इस व्यवसाय से जुड़ी स्त्रियों के समूह भी रोज़ी-रोज़गार के सिलसिले में अंग्रेज़ी दरबारों से जुड़ने लगे थे।</p>
<p>‘नश्तर’ का कथानायक ऐसे ही एक समूह की एक लड़की के प्रेम में पड़ जाता है जिसका अंजाम किसी ग्रीक ट्रेजेडी से कम नहीं होता। खानम जान के मोहक लेकिन सशक्त व्यक्तित्व ने उस ट्रेजेडी को जो गरिमा प्रदान की है, वह अद्भुत है।</p>
<p>‘नश्तर’ एक आत्मकथात्मक उपन्यास है। एक प्रेमकथा। एक त्रासदी...किन्तु यह केवल प्रेम की नहीं, बल्कि नृत्य-संगीत और कला-संस्कृति से जुड़ी एक पूरी ज़िन्दगी, पूरी परम्परा की भी त्रासदी है।</p>
<p>मूलत: फ़ारसी भाषा में रची गई अठारहवीं शताब्दी की इस कृति में शिल्प के स्तर पर आधुनिकता के अनेक लक्षणों को भी देखा जा सकता है।
ISBN: 9789390971855
Pages: 16
Avg Reading Time: 1 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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वर्ष 1968 में प्रकाशित 'राग दरबारी' आज भी हिन्दी का 'बेस्ट सेलर' है।
इन पचपन सालों में इस उपन्यास ने हर दिन नए पाठक जोड़े हैं। इस किताब के कारण दुनिया के अनेक भाषाभाषियों ने हिन्दी की रचनात्मकता का लोहा माना।
साहित्य के अलावा अन्य अनुशासनों के अध्येताओं में भी यह उपन्यास अपनी भाषा और समाजशास्त्रीय अहमियत के कारण लोकप्रिय रहा है।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि हर पीढ़ी का नया पाठक सबसे पहले 'राग दरबारी' पढ़ने की इच्छा रखता है।
यह 'राग दरबारी' का विशेष एवं संग्रहणीय संस्करण है जिसे आप अपनी बुकशेल्फ में जरूर रखना चाहेंगे और अपने प्रियजनों को उपहार में भी देना चाहेंगे।
Ulta Daun
- Author Name:
Prabodh Kumar Sanyal
- Book Type:

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Description:
जीवन के झंझावात के सम्मुख एक संवेदनशील व्यक्ति के असहाय और अकेले हो जाने की कथा है ‘उल्टा दाँव’। बांग्ला के अत्यन्त लोकप्रिय कथाकार, यात्रावृत्त-लेखक प्रबोध कुमार सान्याल का यह चर्चित उपन्यास मानव-चरित्र की कई कोणों से पड़ताल करता है।
हेमन्त, रूनू और उसके परिवार की सम्पन्न पृष्ठभूमि में यह उपन्यास हमें अपने आसपास की ही कहानी लगती है, लेकिन इसके चरित्रों के भीतरी अन्तर्विरोध, आकांक्षाएँ, कमज़ोरियाँ उन्हें एक ऐसा आईना बना देती है जिसमें हम अपने तथा अपने जीवन से जुड़े अनेक चरित्रों के चेहरे देख सकते हैं।
बांग्ला कथाकारों की वह विशेषता जो उनकी कथाकृतियों को बेहद पठनीय बना देती है, इस उपन्यास में भी पाठक को बाँधने के लिए अपने पूरे जादू के साथ उपस्थित है। रहस्य, रोमांच और रोमांस से भरे-पूरे इस उपन्यास में न्याय तथा नैतिकता सम्बन्धी प्रश्न को बहुत गहराई में जाकर पकड़ा है।
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