
Bhagwaticharan Verma : Sampurna Natak
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
212
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
424 mins
Book Description
भगवतीचरण वर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी रचनाकार थे। अपने विचारों और जीवनानुभवों को उन्होंने उपन्यास, कहानी, कविता और नाटक आदि अनेक सर्जनात्मक विधाओं में अभिव्यक्त किया।</p> <p>इस पुस्तक में भगवती बाबू के सभी गद्य और पद्य नाटकों को शामिल किया गया है। उनके प्रसिद्ध नाटक ‘रुपया तुम्हें खा गया’ के अलावा रेडियो के लिए लिखे हुए पद्य नाटक ‘कर्ण’, ‘द्रौपदी’, ‘महाकाल’ और ‘तारा’ भी इस संकलन में प्रस्तुत हैं।</p> <p>स्वयं भगवती बाबू के शब्दों में—‘जहाँ तक गद्य में लिखे नाटक हैं, वे सब के सब मंच पर प्रस्तुत हो चुके हैं और किए जा सकते हैं। पद्य नाटक मैंने रेडियो के लिए लिखे थे। उनमें नाटकीयता के साथ कवित्व है और रंगमंच पर प्रस्तुत करने के लिए उनमें थोड़ा-बहुत हेर-फेर किया जा सकता है।’</p> <p>इस संग्रह में शामिल गद्य नाटक जहाँ भगवती बाबू की रंगमंच की समझ और सामर्थ्य का पता देते हैं, वहीं पद्य नाटकों से हमें उनकी काव्य-प्रतिभा का नए सिरे से लोहा मान लेना पड़ता है।