Jahan-Jahan Kadam Pade

Jahan-Jahan Kadam Pade

Authors(s):

Chandrakanta

Language:

Hindi

Pages:

112

Country of Origin:

India

Age Range:

18-100

Average Reading Time

224 mins

Buy For ₹199

* Actual purchase price could be much less, as we run various offers

Book Description

वर्षों से निलम्बित साहस को बटोरकर, अपने सुरक्षित दैनिक व्यापार के दुष्चक्र को तोड़‌कर जब हम यात्राओं पर निकलते हैं तो वह सिर्फ बाहर की यात्रा नहीं होती, भीतर की भी होती है; अपने भीतर, अपने आपको नया करने की यात्रा। असीम तक फैले इस विराट संसार से एकमेक होकर स्वयं को एक नवीन रूप में देखने-जानने की यात्रा।</p> <p>‘जहाँ-जहाँ क़दम पड़े’ पुस्तक में संकलित, वरिष्ठ कथाकार चन्द्रकान्ता के यात्रा-वृत्त इसी अहसास के साथ की गई यात्राओं का विवरण देते हैं। यात्राएँ जिनका आरम्भ उत्सुकता से हुआ, और जो पूर्ण हुईं इस बोध के साथ कि ‘छोटी-छोटी यात्राएँ कभी-कभार हमारी चेतना में दबे अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर’ एक आभा के साथ हमारे सम्मुख रख देती हैं।</p> <p>अमेरिका, सिंगापुर, डिज्नीलैंड, सी वर्ल्ड, योसिमिटी नेशनल पार्क, पशुपतिनाथ धाम, जगन्नाथ धाम और उनकी अपनी वादी श्रीनगर, कश्मीर के अलावा इस पुस्तक में अलग-अलग संस्कृतियों के बीच सामंजस्य की कोशिश करते अमेरिकावासी भारतीयों की कथा भी हमारा ध्यान खींचती है।</p> <p>इन यात्राओं से प्राप्त अपने अनुभव के आधार पर चन्द्रकान्ता सही ही कहती हैं कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में अपने देखे-समझे को जीवन्ततापूर्वक अंकित करना भी एक तरह से इतिहास ही लिखना है, एक ‘जेनुइन इतिहास’, जो उन्होंने इन यात्रा-संस्मरणों में सम्भव किया भी है।

More Books from Rajkamal Prakashan Samuh