
Alice Ekka Ki Kahaniyan
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
104
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
208 mins
Book Description
आदिवासी स्त्री लेखकों की रचनाएँ न सिर्फ़ भारतीय समाज के अदेखे बहुभाषायी और बहुसांस्कृतिक संसार को दर्ज करती हैं, बल्कि पूर्वग्रहों और ग़ैर-बराबरी से मुक्त एक स्वस्थ लोकतांत्रिक समाज की पुनर्रचना के लिए उत्प्रेरित भी करती हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आदिवासी स्त्री-लेखन न तो नारीवाद के प्रभाव से उपजा है और न ही दलितवाद की तरह किसी एक ख़ास सामाजिक वर्ग से मुक्ति चाहता है। आदिवासियों का सच एक अलग सांस्कृतिक विश्व है जहाँ आदिवासी स्त्रियाँ अपनी विशिष्ट स्त्रीगत समस्याओं पर बात करते हुए भी ग़ैर-आदिवासी स्त्री-लेखन की तरह 'देह' की मुक्ति या 'पुरुष-सत्ता' के सवालों को नहीं उठातीं, बल्कि अपनी सामूहिक आदिवासी चेतना के कारण वे सीधे-सीधे उस विश्व से टकराती हैं जो श्रम और सृष्टि की अवमानना करता है। जो इंसानी समाज का नस्लों, धर्मों, जातियों के आधार पर—रंग, भाषा और लिंग के आधार पर—भेदभाव करता है, उसका संकुचन व संक्षेपण करता है; जैसाकि रोज केरकेट्टा सहजता से इस सच्चाई को उद्घाटित करती हैं : 'स्कूल के दिनों में ही साहित्य के विषय में हमें संक्षेपण करना सिखाया जाता है। स्त्रियों के बारे में समाज भी हमें ऐसा ही नज़रिया देता है। हमारा समाज, इतिहास और साहित्य जीवन के हर क्षेत्र में स्त्रियों का संक्षेपण करता है—विशेषकर, हम आदिवासी स्त्रियों का। हमारा लेखन ऐसे संक्षेपण के ख़िलाफ़ है।'</p> <p>