
Kissa Kursi Ka
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
168
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
336 mins
Book Description
किस्सा कुर्सी का हरिशंकर परसाई के साक्षात्कारों का संकलन है। इन साक्षात्कारों में वे न सिर्फ़ देश, दुनिया और समाज के बारे में अपने विचारों को सामने रखते हैं, बल्कि अपनी रचना-प्रक्रिया, विषयों के चुनाव और व्यंग्य-लेखन उनके लिए क्या अर्थ रखता है, इस पर भी खुलकर बात करते हैं। एक प्रश्न के जवाब में वे कहते हैं कि मेरे लेखन में तिरस्कार नहीं है, बल्कि समाज और जीवन की आलोचना और समीक्षा है; कि मैंने यही बताने की चेष्टा की है कि कहाँ, क्या ग़लत है। वे स्पष्ट करते हैं कि उनका व्यंग्य समाज का तिरस्कार नहीं करता, उसकी क्षमताओं में विश्वास रखते हुए उसको बदलना चाहता है। हिन्दी व्यंग्य में रचनाशीलता की अपार संभावनाओं को रेखांकित करते हुए वे कहते हैं कि व्यंग्य एक स्पिरिट है जो किसी भी विधा में हो सकती है। इन वार्ताओं में साक्षात्कारकर्ताओं ने उनके जीवन को भी खँगालने की कोशिश की है, परिणामस्वरूप हमें लेखक परसाई के साथ-साथ व्यक्ति परसाई को भी जानने के लिए पर्याप्त सूत्र मिलते हैं। इसके अलावा हम उस वातावरण को भी जान पाते हैं जिसमें वे लिख रहे थे। इस पुस्तक में संकलित मुक्तिबोध पर केन्द्रित उनकी बातचीत विशेषतौर पर पठनीय है, जिसमें उन्होंने मुक्तिबोध के व्यक्तिगत, पारिवारिक और वैचारिक व्यक्तित्व पर बातें की हैं।