
Pratinidhi Kavitayen : Ashok Vajpeyi
Publisher:
Rajkamal Prakashan Samuh
Language:
Hindi
Pages:
134
Country of Origin:
India
Age Range:
18-100
Average Reading Time
268 mins
Book Description
जन्म और मृत्यु। दो जीवन-सत्य। चूँकि 'मैं' हूँ, इसलिए इनका अस्वीकार भी सम्भव नहीं। फिर एक लय, एक सनातन लय-प्रेम की। सराबोर करती जीवन के, मृत्यु के इस अनुभव-पट को। अनुभव, स्पर्श का अनुभव। ऐन्द्रिकता का निर्द्वन्द्व स्वीकार। यही हैं अशोक वाजपेयी की कविता के मुख्य सरोकार। जड़ और चेतन—सभी ढले हैं उनकी कविताओं में—जो उनकी कविता-गंगा के पाट को दूर, बहुत दूर तक ले गए हैं; जहाँ तक पहुँच पाना या देख पाना, बिना इस गंगा में उतरे सम्भव नहीं। अशोक वाजपेयी जीवन के अनछुए अनुराग, अदेखे अन्धकार और अधखिले फूलों के साथ, उन मुरझाए फूलों को भी प्रेम करनेवाले कवि हैं, जिन्हें हम प्राय: नज़रअन्दाज़ कर जाते हैं। विभिन्न संकलनों से ली गई उनकी चुनिन्दा कविताओं का यह संग्रह निश्चय ही उनकी काव्य-संवेदना के कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित करेगा।